उत्तरकाशी टनल से 2 से 3 दिनों में हो सकता है मजदूरों का रेस्क्यू
मजदूरों को सुरक्षित सकुशल बाहर निकालना प्राथमिकता
- Sponsored -
उत्तरकाशी में 12 नवंबर को धंसी टनल को 8 दिन पूरे हो चुके है। आज 9वें दिन भी भी मजदूरों को बाहर निकालने का कार्य जारी है। केंद्र और राज्य सरकार ने इस मुद्दे पर पूरी नजर बना रखी है। केंद्र सरकार ने शनिवार को विशेषज्ञ के साथ बैठक की, जिसमें 5 मुद्दो पर विकल्प कार्य योजना बनी। इन विकल्पों को पूरा करने के लिए पांच अलग-अलग एजेंसियां तय की गई। जिसमें तेल और प्राकृतिक गैस निगम (ONGC), सतलुज जल विद्युत निगम (SJVNL), रेल विकास निगम लिमिटेड (RVNL), राष्ट्रीय राजमार्ग एवं अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड (NHIDCL) और टिहरी हाइड्रो डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (THDCL) को जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं.
- Sponsored -
उत्तरकाशी टनल से मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकालना प्राथमिकता
टनल में फंसे मजदूरों को निकालने के लिए लगातार प्रयास जारी है। इसी बीच लगातार सुरंग में फंसे मजदूरों को पाइप के सहारें दवाएं और पोष्टीक आहार भी भेजा जा रहा है ताकि मजदूरों को सकुशल सुरक्षित बाहर निकाला जा सकें। डीप ड्रिलिंग में विशेषज्ञता रखने वाली ओएनजीसी ने बरकोट छोर से वर्टिकल ड्रिलिंग का शुरुआती काम भी शुरू कर दिया है. ऐसा माना जा रहा है कि 2-3 दिन में मजदूरों के रेस्क्यू कर लिया जायेगा।
रविवार को केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने लिया हालातों का जायजा
रविवार को हादसे के 8वें दिन केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी बचाव कार्य का जायजा लेने मौके पर पहुंचे. उन्होनें कहा कि हमारी तरफ से मजदूरो को निकालने के लिए हर संभव प्रयास किये जा रहे है। ‘इस ऑपरेशन की पहली प्राथमिकता पीड़ितों को जिंदा बाहर निकालना है. बीआरओ द्वारा विशेष मशीनों से पहाड़ को काट कर रास्ता बनाने की लगातार कोशिश की जा रही है। ‘अगर बरमा मशीन ठीक से काम करती है, तो हम अगले दो से ढाई दिनों में सुरंग में फंसे मजदूरों को तक पहुंच जाएंगे।
12 नवंबर की सुबह हुआ था हादसा
उत्तरकाशी जिला मुख्यालय से लगभग 30 किलोमीटर की दूर स्थित सिलक्यारा सुरंग केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी चारधाम परियोजना का हिस्सा है. सुरंग का निर्माण राष्ट्रीय राजमार्ग एवं अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड के तहत किया जा रहा है. टनल ब्रह्मखाल और यमुनोत्री नेशनल हाईवे पर सिल्क्यारा और डंडलगांव के बीच बन रहा है। इसकी लंबाई करीब साढ़े चार किलोमीटर होगी। टनल के बन जाने के बाद उत्तरकाशी से यमुनोत्री की दूरी करीब 26 किलोमीटर कम हो जाएगी। टनल की लागत लगभग 850 करोड़ है और मार्च 2024 तक इसका काम पूरा करने का टारगेट है। 12 नवंबर की सुबह लगभग 5 बजे टनल एकाएक धंस गई थी। जिसमें काम कर रहे बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के मजदूर फंस गए थे।
- Sponsored -