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रेलवे की अतिक्रमण जमीन पर बसे परिवारों की दायर याचिकाओं पर गुरुवार को होगी सुनवाई- उच्चतम न्यायालय

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उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को कहा कि उत्तराखंड के हल्द्वानी में रेलवे की जमीन पर कथित तौर पर अतिक्रमण कर दशकों से बसे हजारों परिवारों की ओर से दायर उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर गुरुवार को वह सुनवाई करेगा।

मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने अधिवक्ता प्रशांत भूषण की शीघ्र सुनवाई की गुहार स्वीकार करते हुए पांच जनवरी को सुनवाई करने के लिए सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया। श्री भूषण ने ‘विशेष उल्लेख’ के दौरान इस मामले (इकतादर उलाह बनाम रवि शंकर एवं अन्य) को महत्वपूर्ण बताते हुए शीघ्र सुनवाई करने का अनुरोध किया था।

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अधिवक्ता भूषण ने बनभूलपुरा (आजाद नगर) के कुछ निवासियों का पक्ष रखते हुए कहा था कि वे 70 वर्षों से अधिक समय से रह रहे हैं। उच्च न्यायालय के फैसले के बाद उनके बेघर होने का खतरा उत्पन्न हो गया है। उन्होंने शीर्ष अदालत के समक्ष कहा कि उच्च न्यायालय के इस फैसले में कई खामियां हैं। न्यायालय का यह फैसला सार्वजनिक परिसर अधिनियम रेलवे अधिकारियों पर लागू नहीं होता है।

उत्तराखंड उच्च न्यायालय का दिसंबर 2022 में रेलवे के पक्ष में फैसले से हल्द्वानी के बनभूलपुरा क्षेत्र में दशकों से रह रहे ‘वंचित’ वर्ग के 4,000 से अधिक परिवारों पर बेघर होने का खतरा मंडरा रहा है। याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि उत्तराखंड सरकार ने उच्च न्यायालय के समक्ष उनका पक्ष ठीक तरीके से नहीं रखा। इसी वजह से रेलवे के पक्ष में फैसला आया है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि वे समाज के वंचित वर्ग से संबंधित है। उच्च न्यायालय के फैसले के बाद उनके सामने बेकार होने का खतरा मंडरा रहा है।

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