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मांगलिक और आदित्य यात्रियों के पीछे चंद्रमा की दिशा में बड़ी चुनौती का सामना करने वाले दो विशेष प्रकार के स्पेसक्राफ्ट, भारत की चंद्रयान-3 और रूस की लूना-25, दोनों के बीच एक रेस का हिस्सा बन गए हैं। रूस की स्पेस एजेंसी, रोस्कोसमोस, ने रविवार को लूना-25 मिशन के ऑटोमैटिक स्टेशन को सक्रिय कर दिया है। यह घोषणा न केवल दोनों यात्राओं के महत्वपूर्ण महीनों को पुरी करने के पीछे की संघर्षी जीवनशैली का परिणाम है, बल्कि यह चंद्रमा के अध्ययन में एक नया महत्वपूर्ण मुद्दा भी उत्पन्न करता है।
रूस का लूना-25 मिशन
रूस की स्पेस एजेंसी रोस्कोसमोस ने बताया कि उन्होंने लूना-25 मिशन के ऑटोमैटिक स्टेशन के वैज्ञानिक उपकरणों को सक्रिय कर दिया है। यह स्थिति रूसी विज्ञानिकों के लिए गर्व का संकेत है, क्योंकि यह पहली बार है जब उनके द्वारा विकसित वैज्ञानिक उपकरण सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में उड़ान के दौरान सक्रिय किए गए हैं। इन उपकरणों का उद्देश्य चंद्रमा की सतह पर अनुसंधान करना और मूनलैंडिंग के लिए संभावित स्थलों की जांच करना है।
चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव का महत्व
वैज्ञानिकों के अनुसार, चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पानी के रूप में बर्फ मौजूद है। इसके अलावा, चंद्रमा के इस क्षेत्र में अन्य मानव वास्तविकता के लिए महत्वपूर्ण संसाधनों की भरपूर मात्रा हो सकती है। इसका मतलब है कि यह एक प्रमुख स्थल हो सकता है जहां मानव आवास बनाने के लिए आवश्यक जल स्रोत, ऊर्जा, और ईंधन प्राप्त किए जा सकते हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि इसके अलावा, चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर मानव मिशन के लिए उपयोगी स्थल मिल सकते हैं जहां आकर्षण कम होता है और इंसानों का रख-रखाव संभव होता है।
लूना-25 के मिशन की योजना
रूसी स्पेस एजेंसी ने बताया कि लूना-25 मिशन के तहत यह स्पेसक्राफ्ट चंद्रमा के सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने की योजना बना रहा है। इसके बाद, यह चंद्रमा की सतह पर मौजूद बर्फ की जांच करेगा और वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए आवश्यक डेटा और नमूने लेगा। इसके साथ ही, यह मिशन चंद्रमा के उद्दीपक स्थलों की भी जांच करेगा, जो मानव मिशनों के लिए उपयोगी साबित हो सकते हैं।
उत्तराधिकारी देशों की रेस
रूस और भारत दोनों ही चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने की दिशा में पहले देश बनने का सपना देख रहे हैं। यह मिशन न केवल उनके अंतरिक्ष प्रयासों की महत्वपूर्णीकरण करता है, बल्कि यह भी वैज्ञानिकों के लिए चंद्रमा के नए पहलुओं की खोज में मदद करता है। चंद्रमा की उद्दीपक स्थलों का अध्ययन और उनके उपयोग के बारे में अधिक जानकारी हासिल करने से आने वाले मानव मिशनों के लिए महत्वपूर्ण सूचना प्राप्त की जा सकती है।
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