बिहार में शिक्षक भर्ती को लेकर गरमायी राजनीति, सड़क पर उतरे अभ्यर्थी
पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने लगाया है पैसा लेकर शिक्षकों की बहाली करने का आरोप
- Sponsored -
बिहार में शिक्षक भर्ती को लेकर फिर से राजनीति गरमा गई है. वैसे तो पहले से ही पूरी प्रक्रिया में कई तरह के अनियमितता के आरोप लग रहे थे. परन्तु पूर्व मुख्यमंत्री औऱ हिंदुस्तान अवाम मोर्चा के प्रमुख जीतनराम मांझी के आरोप के बाद मामला तूल पकड़ता दिख रहा है. राज्य में एक लाख सत्तर हजार शिक्षकों की बहाली के लिए बीपीएससी की ओर से परीक्षा ली गई थी. परन्तु परीक्षा का परिणाम आने के बाद से ही बहाली में अनियमितता के गंभीर आरोप लग रहे हैं. इसको लेकर परीक्षा में असफल रहे अभ्यर्थियों ने बिहार लोकसेवा आयोग यानि बीपीएससी दफ्तर के बाहर विरोध प्रदर्शन करने आज भी पहुंचे. परीक्षा का परिणाम आने के बाद से ही विरोध प्रदर्शनों का सिलसिला जारी है. इन लोगों ने सोशल मीडिया पर भी नीतीश सरकार के खिलाफ मुहिम छेड़ रखी है.
- Sponsored -
बिहार में नीतीश को घेरने के लिए विपक्ष को भी मिला मुद्दा
माहौल और मौका देख कर विपक्ष ने भी सरकार की घेराबंदी शुरू कर दी है. विपक्ष पूरी प्रक्रिया की जांच कराने की मांग कर रहा है. मंगलवार को पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी के बयान के बाद मामला और तूल पकड़ने लगा. जीतनराम मांझी ने कहा कि जैसे रेलवे में नौकरी के बदले जमीन का मामला था उसी तरह से शिक्षक भर्ती में नौकरी के बदले पैसे का मामला है. उन्होने पैसा लेकर नौकरी बांटे जाने का गांभीर आरोप लगाया है और इसकी जांच की मांग की है . इसके बाद से विपक्ष के दूसरे नेताओं को मुद्दा मिल गया है और वो इसे भुनाने में जुट गए हैं.
बिहार बीजेपी का इस मामले में जल्द बड़ा खुलासा करने का दावा
राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी बीजेपी इस मुद्दे को हाथ से जाने देना नहीं चाहती. विधान सभा में नेता प्रतिपक्ष विजय सिन्हा ने कहा शिक्षकों की भर्ती में कऊ तरह की गड़बड़ियां सामने आई है, इसके बावजूद सरकार नियुक्ति पत्र बांटे जा रही है. बहुत से छात्रों के साथ अन्याय हुआ है. विजय सिन्हा ने कहा कि वो जल्द ही इस मामले में बड़ा खुलासा करेंगे.
उधर बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने कहा कि उन्हे नहीं पता कि कितने नए उम्मीदवारों को नौकरी मिल पाएगी. सम्राट चौधरी ने कहा कि सिर्फ ज्यादा संख्या दिखाने के लिए वर्षों से काम कर रहे शिक्षकों को दोबारा नियुक्ति पत्र बांटा जा रहा है. उन्होने भी पूरी प्रक्रिया में बड़े घोटाले का आरोप लगाया. जाहिर है चुनावी मौसम में बीजेपी किसी हाल में मुद्दे को अपने हाथ से नहीं जाने देना चाहती है.
बिहार लोकसेवा आयोग ने किसी तरह की अनियमितता से किया इनकार
बिहार लोकसेवा आयोग यानि बीपीएससी ने तमाम आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए इसे निराधार बताया है. बीपीएससी फिलहाल परीक्षा में उतीर्ण छात्रों को सामूहिक रुप से नियुक्ति पत्र बांटे जाने की तैयारी में जुटा है. दो नवंबर को पटना के गांधीमैदान में इसके लिए बड़े कार्यक्रम का आयोजन किया गया है जिसमें नीतीश कुमार 25 हजार लोगों को नियुक्ति पत्र सौंपेंगे.
बिहार में एक लाख सत्तर हजार शिक्षकों की बहाली के लिए वैकेंसी निकाली गई थी. इसके लिए ली गई परीक्षा में एक लाख बाइस हजार अभ्यर्थी ही सफल हुए. इसमें भी पास होने वाले करीब 45 हजार अभ्यर्थी ऐसे हैं जो पहले से ही नियोजित शिक्षक के रुप में नौकरी कर रहे हैं. इसके अलावा डॉक्यूमेंट के आधार पर भी कई उम्मीद्वार संदेह के घेरे में हैं. बहाली के लिए जाली दस्तावेज जमा कराने के भी आरोप लग रहे हैं. कहा जा रहा है कि इसकी अच्छी तरह पड़ताल किए बगैर ही बीपीएससी की ओर ने नियुक्ति के लिए इनका नाम शिक्षा विभाग को भेज दिया है. इस मामले को लेकर असफल अभ्यर्थी अब कोर्ट जाने की तैयारी कर रहे हैं.
- Sponsored -
Comments are closed.