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तीन हजार करोड़ के भूमि-मुआवजा घोटाले पर पीएमओ ने मुख्य सचिव को दिया कार्रवाई का निर्देश

देवाशीष गुप्ता की एसआईटी रिपोर्ट पर 2017 से पड़ रही धूल,कार्रवाई की बात सरकार गई भूल, गैरमजरूआ जमीन के मुआवजा वितरण की स्वीकारोक्ति बना एनटीपीसी के गले की फांस

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राहुल कुमार

रांची: हज़ारीबाग़ जिले के बड़कागांव केरेडारी-कटकमदाग में भूमि-मुआवजा घोटाले पर प्रधानमंत्री कार्यालय के अंडर सेक्रेट्री संजय कुमार चौरसिया ने झारखंड के मुख्य सचिव और पॉवर मिनिस्ट्री भारत सरकार के सचिव को कार्रवाई का निर्देश दिया है. यह कार्रवाई मंटू सोनी उर्फ शनि कांत के शिकायत पर की गई है. मंटू सोनी ने सीएमओ में शिकायत किए थे, कि बड़कागांव-केरेडारी-कटकमदाग प्रखंड में बड़े पैमाने पर गैरमजरूआ खास, गैरमजरूआ आम व जंगल- झाड़ी के अलावे सार्वजनिक उपयोग की जाने वाली श्मशान घाट, कब्रिस्तान, मंडप-मजार की जमीन को फर्जी हुक़ूमनामा बनाकर भू- माफियाओं ने बंदोबस्त करा ली गई थी. सरकारी अंचल-कर्मियों, अधिकारियों और एनटीपीसी के मिलीभगत से करोड़ों रुपए मुआवजा के तौर पर बांट बंदरबांट किया गया है. जमीन के असली मालिकों-कब्जाधारियों को मुआवजा नहीं दिया जा रहा है. औने-पौने दाम में जमीन अधिग्रहण की जा रही है.

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गैरमजरूआ जमीन के मुआवजा वितरण की स्वीकरोक्ति बनी एनटीपीसी के गले की फांस

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मुआवजा वितरण से सम्बंधित गड़बड़ियों की शिकायत पूर्व में मंटू सोनी ने पीएमओ में की थी. जिसमें एनटीपीसी ने पंकरी बरवाडीह कोल परियोजना अंतर्गत 80 एकड़ जमीन के बदले दस लाख रुपए प्रति एकड़ की दर से करीब आठ करोड़ रुपया सरकारी अंचल कर्मियों-अधिकारियों के क्लियरेंस के आधार पर मुआवजा वितरण करने की बात स्वीकार की गई थी. जिसमें उसने अपनी जिम्मेवारी से पल्ला झाड़ लिया था. इसी बात को आधार बनाकर पुनः मंटू सोनी ने पीएमओ में यह शिकायत कर दिया की जमीन के कागजात की अंचल कर्मियों-अधिकारियों के क्लियरेंस के बाद एनटीपीसी ने मुआवजा का चेक वितरण से पहले जमीन का भौतिक सत्यापन क्यों नही किया? या एनटीपीसी ने जानबूझकर इस बात को छिपाया और मनमाने तरीके से जमीन का मुआवजा वितरण कर दिया? जो एनटीपीसी के अधिकारियों की लापरवाही-मिलीभगत को साबित करता है. इस बिंदु को पीएमओ ने गंभीरता से लिया है.

देवाशीष गुप्ता की एसआईटी रिपोर्ट पर 2017 से पड़ रही धूल,कार्रवाई की बात सरकार गई भूल

हज़ारीबाग़ में बड़े पैमाने पर जमीन की गड़बड़ियों को सामने आने के बाद तत्कालीन उपायुक्त मुकेश कुमार ने 2016 में सरकार से एसआईटी जांच कराने की अनुसंशा की थी. सरकार ने सेवानिवृत्त आईएएस देवाशीष गुप्ता की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय एसआईटी कमिटी का गठन किया गया था. एसआईटी ने 2017 में तीन हजार करोड़ का मुआवजा घोटाला का अनुमान लगाते हुए तीन सौ करोड़ मुआवजा वितरण किए जाने की जानकारी सरकार को देते हुए एसआईटी रिपोर्ट में यह मांग किया था, कि सरकारी कर्मियो और एनटीपीसी के अधिकारियों पर कार्रवाई करने के साथ ही रिपोर्ट में सीबीआई जांच की अनुसंशा की गई थी. एसआइटी रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद भू-राजस्व,निबंधन एवं भूमि सुधार विभाग ने एनटीपीसी में अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक और हज़ारीबाग़ उपायुक्त को तीन-तीन बार पत्र लिखकर दोषी अधिकारियों को चिन्हित कर कार्रवाई करने को कहा गया. लेकिन अब तक किसी पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है. इसी मामले को लेकर मंटू सोनी और अधिवक्ता अनिरुद्ध कुमार ने झारखंड हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है. जिसपर अभी सुनवाई होना बाकी है.

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