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पीएम मोदी ड्रीम प्रोजेक्ट 334 करोड़ की चाईबासा मेडिकल कॉलेज की भवन निगम के अभियंताओ एवं ठेकेदार ने निकाल दी हवा 

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 वर्ष 2019 मार्च में शुरू हुई चाईबासा मेडिकल कॉलेज जनवरी 2022 में होना था पूरा अब तक हुआ मात्र 8 से 10 प्रतिशत कार्य, 15 करोड़ का हुआ भुगतान
 
सदर अस्पताल पुराने भवनों को तोड़कर नया भवन निर्माण योजना भी अधर में लटकी आधा अधूरा कार्य पुराने भवन का लाखो का मैट्रियल स्क्रैप लोहा हुआ गायब

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राजीव सिंह ” बुलबुल”

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चाईबासा: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ड्रीम प्रोजेक्ट 334 करोड़ की लागत बनने वाली चाईबासा मेडिकल कॉलेज
अधर में लटक गया है .भवन निगम, अभियंताओं और ठेकेदार की लापरवाही और संवेदनशीलता के कारण पीएम मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट योजना जो पूरी हो जानी चाहिए थी वह अब तक मात्र 8 से10 प्रतिशत ही कार्य हो पाया है. चाईबासा मेडिकल कॉलेज का समय पर निर्माण हो जाता तो जिले एवं आसपास के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा के लिए रांची और टाटा नहीं जाना पड़ता. रिम्स और एम्स की तरह कोल्हान प्रमंडल मुख्यालय चाईबासा में भी लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा संसाधन मिल पाता.लेकिन विडंबना है कि वासियों के नाम पर राजनीति करने वाली राजनीतिक राजनीतिक पार्टी भी मुखर नहीं है.आदिवासी बहुल इस क्षेत्र में बेहतर स्वास्थ्य सुविधा को लेकर 334 करोड़ की लागत से बन रही चाईबासा मेडिकल कॉलेज और जगन्नाथपुर प्रखंड का आयुर्वेदिक कॉलेज सह अस्पताल का निर्माण इसी वर्ष पूरा होना था. दोनो योजना आज तक अधूरी पड़ी हुई है.
सरकार किसी की हो पर योजना तो जनता की सुविधाओं के लिए बनती है, लेकिन सरकार बदलते ही योजना अधर में लटक जाती है.सरकार की वैसी दो महत्वपूर्ण योजना शायद राजनीति पचडे में फंसने के कारण पूरी नहीं हो पा रही है.  यदि यह दोनों योजना पूरी हो जाती तो जिले के लोगों को बेहतर और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सुविधा मिलती, यहां के लोगों को इलाज कराने के लिए टाटा रांची जाने की जरूरत नहीं पड़ती और ना ही बेहतर इलाज के अभाव में लोगों की जाने जाती .पश्चिमी सिंहभूम जिला भाजपा के मीडिया प्रभारी हेमंत केशरी नें कार्यकारी निदेशक झारखंड राज्य भवन निर्माण निगम प्रोजेक्ट भवन,रांची को पत्राचार कर कार्य को अविलंब पूरा कराने की मांग की है.वर्ष 2019 के मार्च माह में स्वीकृत “चाईबासा मेडिकल कालेज “निर्माण की योजना, जिसे जनवरी 2022 में पूर्ण कर देना था, वह निर्माण कार्य विगत कई माह से बंद पड़ा है. कार्यपालक अभियंता,चाईबासा से जानकारी मिली कि अभी तक  कार्य एजेंसी “सिंप्लेक्स प्राइवेट लिमिटेड”ने मात्र 8 से 10 प्रतिशत कार्य किया है,और उसे तकरीबन 15 करोड़ का भुगतान भी किया जा चुका है. यह क्यों कर हुआ यह समझ से परे है. क्योंकि स्थल में कार्य आरंभिक स्थिति में नजर आ रहा है. देखने से साफ प्रतीत हो रहा है कि कार्य एजेंसी और विभाग के इंजीनियरों ने लापरवाही बररते हुए सरकारी राशी का सही उपयोग नही किया है. देश  प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की चाईबासा में मेडिकल कॉलेज ड्रीम प्रोजेक्ट का योजना है कि देश के प्रत्येक राज्य में जनता के स्वास्थ्य सुविधा के लिये मेडिकल कालेज खोलना है,और इसी के तहत चाईबासा में मेडिकल कालेज खोलने के लिए झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास  के अथक प्रयास से इस योजना का शुभारम्भ  मार्च 2019 में हुआ था. जानकारी के अनुसार 334 करोड़ की इस योजना निर्माण कार्य जनवरी माह से बंद है, जो विभाग के स्थानीय पदाधिकारियों की अकर्मण्यता को दर्शा रहा है. वही चाईबासा सदर अस्पताल परिसर के पुराने भवन को ध्वस्त कर दिया गया. ओपीडी के पूर्वी छोर के भवन को तोड़ दिया गया और दोनों स्थान में थोड़ा बहुत निर्माण कर पूरे अस्पताल परिसर को कचरे की ढेर बना कर मरीजों के आने जाने के रास्ते को पूरी तरह कीचड़मय बना कर यूं ही छोड़ दिया गया है. पुराने भवन के जीर्णोद्धार पर भी करोड़ों रुपया खर्च किया गया था जिसे नया भवन बनाने के लिए तोड़ दिया गया यह भी पैसे की बर्बादी है साथ ही पुराने भवन से निकाले गए ईटा स्क्रैप लोहा आदी भी गायब हो गया हैं। वह सभी ईटा पत्थर स्क्रैप लोहा ग्रिल रेलिंग सब कहां गया किसी को पता नहीं ? वही सदर अस्पताल के जीवन रक्षक आपातकाल सेवा के पहुंच पथ में जाना आना जानलेवा बन गया है. उसी प्रकार आचु में भी अस्पताल निर्माण में और सुविधा के नाम पर सिर्फ नाम मात्र का कार्य हुआ है. ऐसे में कार्य एजेंसी को कैसे और क्यों 15 करोड़ का भुगतान कार्यपालक अभियंता ने कर दिया. तोड़े गए भवन से निकले बिलडिंग मैटेरियल्स कहां गए? यह सभी जांच का विषय है. पश्चिम सिंहभूम जिला 90 प्रतिशत ग्रामीण जिला है, 80 प्रतिशत अनुसूचित जाति और जनजाति के लोग निवास करतें है. पूरे जिले में सरकारी या मुफ्त जन स्वास्थ्य सुविधा 150 बेड वाले एकमात्र सदर अस्पताल ही है जहां 24 घंटे मरीज इलाज के लिए आते हैं, जो डॉक्टरों के अभाव में काफी मुश्किल से चल रही है. मांग की गई है कि अविलंब चाईबासा मेडिकल कालेज निर्माण कार्य को पूर्ण करवाकर, इस क्षेत्र की जनता को स्वास्थ्य सुविधा देने सुनिश्चित करवाएं साथ ही भुगतान किये गए 15 करोड़ राशि पर कार्य की गुणवत्ता की उच्चस्तरीय जांच करवाएं. पत्र की प्रतिलिपि-मुख्य सचिव,झारखंड सरकार,स्वास्थ्य सचिव,झारखंड सरकार को भी भेजी गई है.

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