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पारा टीचर की नौकरी छोड़ दिलीप बना बारूद माफिया, एफआइआर के बाद फिर रहा है भागता

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पश्चिम बंगाल के वीरभुम से पाकुड़ और साहेबगंज जिले में वर्षो से कर रहा है दिलीप का सीडिंकेट बारूद खपाने का काम

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रामप्रसाद सिन्हा
पाकुड़: शासन प्रशासन में बैठे लोगो में पैसे की भुख के कारण अवैध कारोबार करने वाले माफिया फलते और फुलते है। इतना ही नही भ्रष्ट अधिकारियो के संरक्षण मिलने के कारण खुद तो करोड़ो कमाते और सरकार को राजस्व का चुना लगाने के साथ ही देश की सुरक्षा के लिए खतरा भी पैदा करते है। ऐसे ही माफियाओ में एक नाम इन दिनों चर्चा में है वह है अवैध विस्फोटक कारोबार से जुड़ा साहेबगंज जिले के बरहरवा प्रखंड का दिलीप कुमार साहा। जिस दिलीप कुमार साहा के खिलाफ हाल में ही हिरणपुर थाने में अवैध विस्फोटक के अलावे अवैध तरीके से पत्थरो का उत्खनन कर सरकार के राजस्व को क्षति पहुंचाने के आरोप के तहत अलग अलग एफआइआर दर्ज हुए वह साहेबगंज जिले के बरहरवा टाइल्स और मोटरसाइकिल का शोरूम का भी संचालन कर करोड़ो रूपये का कारोबार कर रहा है। प्राप्त जानकारी के मुताबिक दिलीप कुमार साहा साहेबगंज जिले के बरहरवा प्रखंड के उत्क्रमित मध्य विद्यालय के ढाठापाड़ा में बतौर पारा शिक्षक के रूप में कभी अपनी सेवा दिया करता था। बच्चों में शिक्षा की भुख जगाने के दौरान ही वह पश्चिम बंगाल के वीरभुम के अवैध विस्फोटक कारोबारियो के सम्पर्क में आया और पैसे कमाने की भुख ने उसे पारा शिक्षक की नौकरी छोड़ने पर मजबुर कर दिया। पारा टीचर की नौकरी छोड़ने के बाद दिलीप साहेबगंज एवं पाकुड़ जिले में अवैध विस्फोटक का कारोबार शुरू किया। दिलीप के अवैध विस्फोटक कारोबार के सिंडीकेट में अनवर, धीरज और अविनाश नामक व्यक्ति की भी चर्चा इन दिनों जोरो पर है। सीडिंकेट में शामिल इन लोगो की चर्चा इसलिए हो रही है कि साहेबगंज एवं पाकुड़ जिले के कुछ सिविल एवं पुलिस पदाधिकारी इन्हे संरक्षण देने का काम करते है। चर्चा तो यह भी है यदि कुछ अफसरो के मोबाइल कॉल डिटेल खंगाले गये तो भ्रष्ट अधिकारियो और बारूद कारोबार के सीडिंकेट में शामिल माफियाओ का गठजोर का खुलासा भी होगा। घुसखोर अफसरो का संरक्षण मिलने के बाद महज आठ साल के दौरान ही दिलीप ने साहेबगंज जिले के बरहरवा में अपनी हैसियत रसुखदार के रूप में बना ली। दिलीप के कई साथियों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि पारा टीचर के पद पर बहाल होने के पहले वह पतना चौक में दारू बेचने का काम करता था। आज अवैध विस्फोटक का यह कारोबारी टाइल्स, मार्बल एवं मोटरसाइकिल शोरूम का मालिक भी है। सुत्रो के मुताबिक करोड़ो रूपये की चल अचल संपति अवैध विस्फोटक का यह कारोबारी अवैध तरीके से बारूद बेचकर अर्जित भी किया है। फिलवक्त अवैध विस्फोटक एवं अवैध तरीके से पत्थरो का उत्खनन कर करोड़ो रूपये अर्जित करने वाला दिलीप पुलिस की आंखो से छुपता फिर रहा है। इसके खिलाफ हाल में ही हिरणपुर थाने में अवैध विस्फोटक एवं अवैध पत्थर उत्खनन और प्रेषण को लेकर थाना कांड संख्या 61/21 एवं 62/21 दर्ज किये गये है। इसके पहले भी हिरणपुर थाने में अवैध विस्फोटक को लेकर पुलिस ने दिलीप के खिलाफ एफआइआर दर्ज किया था। बहरहाल दिलीप पुलिस की आंखो में धुल झोंककर भागता फिर रहा है और पुलिस उसे अपने शिकंजे में लेने के लिए जीतोड़ मेहनत कर रही है। यहां उल्लेखनीय है कि झारखंड राज्य के अंतिम छोर में बसा न केवल पाकुड़ बल्कि संथाल परगना प्रमंडल का दुमका, गोड्डा जिला आदि नक्सल प्रभावित क्षेत्र के रूप में चिन्हित है। निकटवर्ती पश्चिम बंगाल और बंगलादेश से भी आंतकवादी गतिविधियो में शामिल लोगो के संरक्षण लेने का एक शरणस्थली के रूप में पाकुड़ पहले से चर्चित है। ऐसे में सवाल खड़ा होना लाजमी है कि कही अवैध विस्फोटक का यह कारोबारी नक्सलियो और आतंकवादी एवं देशविरोधी गतिविधियो में शामिल लोगो को भी तो बारूद की आपूर्ति नही करता था।
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