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रांची: राजधानी रांची से 38 किमी दूर स्थित बेड़ो के खख्शीटोली निवासी जल पुरुष के रूप में चर्चित पद्मश्री सिमोन उरांव को शुक्रवार को पैरालाइसिस का अटैक आया है। उन्हें इलाज के लिए बेड़ो सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से रांची स्थित रिम्स रेफर कर दिया गया है। जानकारी के अनुसार पद्यश्री सिमोन उरांव की तबीयत बुधवार शाम को बिगड़ गई थी। उनका इलाज स्वजनों द्वारा स्थानीय स्तर पर कराया जा रहा था। शुक्रवार की सुबह तबीयत ज्यादा खराब हो गई। स्वजन तत्काल एबुंलेंस से उन्हें इलाज के लिए बेड़ो सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में लेकर आए। यहां सीएचसी की प्रभारी चिकित्सक डा. सुमित्रा कुमारी व डा. कुसुमलता ने उनका प्रारंभिक इलाज किया। इलाज के बाद चिकित्सकों ने बताया कि इन्हें पैरालाइसिस अटैक आया है। बीपी भी बढ़ा हुआ है। इसके बाद चिकित्सकों ने उन्हें रिम्स रेफर कर दिया। उन्हें रिम्स ले जाने की तैयारी चल रही थी। मांडर से एंबुलेंस के आने का इंतजार हो रहा था।जल संरक्षण के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने के कारण सिमोन उरांव को 2016 में पद्यश्री का पुरस्कार तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने दिया था। सिमोन उरांव ने बेड़ो प्रखंड जल संरक्षण का फायदा बताकर लोगों को एकजुट किया और नहर का निर्माण कराकर खेतों तक पानी पहुंचाया है। इधर, सिमोन के बीमार होने पर स्थानीय लोगों ने उनके शीघ्र स्वस्थ्य होने की कामना की है। मालूम हो कि दैनिक जागरण की ओर से आज शुक्रवार को ही पद्मश्री सिमोन उरांव को झारखंड आइकन अवार्ड से सम्मानित किया जाना था।
रांची के बेड़ो प्रखंड की हरिहरपुर जामटोली पंचायत के खक्सी टोली के वह रहने वाले हैं। वर्तमान में सांई ग्राम रोड बेड़ो में रहते हैं। पद्मश्री सिमोन उरांव, पड़हा राजा, जल बाबा व जल पुरुष के नाम से जाने जाते हैं। सिमोन उरांव जल, जंगल व जमीन बचाने के लिए हजारों पेड़ पौधे लगा चुके हैं। वर्षा जल संचयन और पेड़ पौधों के संरक्षण को बढ़ावा देने के लिये कई अविस्मरणीय कार्य किये हैं। अपना सारा जीवन प्रकृति और मानव कल्याण के लिए समर्पित कर दिया है। उनके काम को देखते हुए उन्हें पद्मश्री सहित कई पुरस्कारों से देश भर में सम्मानित किया गया है।
आज लोग उन्हें जल संरक्षक और जल पुरुष के नाम से जानते हैं। पिछले 70 साल से अदम्य साहस, दृढ़ संकल्प के साथ वह जल, जंगल व जमीन को बचाकर जामटोली व खक्सी टोली की बंजर भूमि को खेती करने योग्य बना चुके हैं। इन्होंने अपने ग्रामीण तरीकों से जल प्रबंधन और वन संरक्षण को नया आयाम दिया। सिंचाई के अभाव में जहां खेती करना दुर्लभ हो गया था, वहां आज लोग 3 से 4 फसल उपजा रहे हैं। 88 वर्षीय सिमोन उरांव को पूरे क्षेत्र में पड़हा राजा व जल बाबा के नाम से जाना जाता है। सिमोन उरांव का मिशन आज भी वही है जंगल को बचाना है, हरियाली लौटना है। उन्हीं के प्रयासों से ग्रामीण आर्थिक रूप से खुशहाल हुए हैं।
बाबा ने अपनी कड़ी मेहनत व लगन से जामटोली गांव में हरितक्रांति ला दी है। बाबा 12 गांवो के पाड़हा राजा है। गांव की समस्या और झगड़ों को सुलझाना और गांव में शांति बहाल करना पाड़हा व्यवस्था द्वारा ही होता है। यही नहीं झारखंडी संस्कृति व परम्परा को आज भी पड़हा समाज द्वारा संजो कर रखा है।
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