- Sponsored -
नई दिल्ली: वश्व फुटबॉल संचालन संस्था फीफा द्वारा भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) को निलंबित किए जाने के मामले पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगले आदेश तक प्रशासकों की समिति (सीओए) भारतीय फुटबॉल संघ (एआईएफएफ) के मामलों पर कोई हस्तक्षेप नहीं करेगी। केंद्र सरकार ने सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट से प्रशासकों की समिति (सीओए) को हटाने की अपील की और कहा कि भारतीय फुटबॉल संघ (एआईएफएफ) को अब एआईएफएफ प्रशासन के हवाले कर दिया जाना चाहिए, जिसकी अगुआई कार्यवाहक महासचिव कर रहे हैं।
इसके साथ ही केन्द्र सरकार ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट प्रशासकों की समिति से कहे कि वो एआईएफएफ के संविधान का अंतिम मसौदा 23 अगस्त तक कोर्ट में दें। इसी के साथ एआईएफएफ में सीओए का हस्तक्षेप खत्म हो जाना चाहिए।
इस मामले पर लंबी सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने प्रशासकों की समित भंग कर दी, जिसे दिल्ली हाईकोर्ट ने 16 अगस्त को बनाया था। इस समिति में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस अनिल आर दवे, पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एस वाई कुरैशी और विदेश मंत्रालय के पूर्व सचिव विकास स्वरूप शामिल थे। इसके साथ ही उच्चतम न्यायालय ने भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) की दिल्ली उच्च न्यायालय के उस आदेश के खिलाफ दायर याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी किया, जिसमें कार्यों के संचालन के लिए तीन सदस्यीय समिति के गठन का आदेश दिया गया था।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि, एआईएफएफ पर लगा फीफा का निलंबन को रद्द हो और भारत में अंडर -17 महिला फीफा विश्व कप आयोजित हो सके। इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय आयोजनों में भारत की टीमों को खेलने की अनुमित मिले।इससे पहले इस मामले में बुधवार को सुनवाई हुई थी। इसमें केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि फीफा अधिकारियों से बातचीत चल रही है। अंडर-17 विश्व कप के आयोजन और भारतीय फुटबॉल महासंघ के निलंबन को लेकर बातचीत का दौर जारी है।एआईएफएफ के चुनाव फीफा परिषद के सदस्य प्रफुल्ल पटेल के नेतृत्व में दिसंबर 2020 तक होने थे, लेकिन इसके संविधान में संशोधन पर गतिरोध के कारण इसमें देरी हुई। इसके बाद इसी महीने की शुरूआत में (तीन अगस्त) सुप्रीम कोर्ट ने तुरंत चुनाव कराने का आदेश दिया था और कहा था कि निर्वाचित समिति तीन महीने की अवधि के लिए एक अंतरिम निकाय होगी। सीओए ने चुनाव को अपने मुताबिक कराने का तय किया और इसमें कुछ पूर्व प्रमुख खिलाड़ियों से वोट कराने का फैसला लिया। इसे फीफा ने तीसरे पक्ष का हस्तक्षेप माना।पांच अगस्त को ही फीफा ने तीसरे पक्ष (सीओए) के हस्तक्षेप को लेकर भारतीय फुटबॉल महासंघ को को निलंबित करने की धमकी दी थी। इसके साथ ही फीफा ने अक्तूबर में होने वाले महिला अंडर-17 विश्वकप की मेजबानी के अपने अधिकार भी छीन लेने की चेतावनी दी थी। 16 अगस्त को फीफा ने कुछ सुधार न होने पर एआईएफएफ को बैन कर दिया। भारतीय फुटबॉल महासंघ को अपने 85 साल के इतिहास में पहली बार फीफा से निलंबन झेलना पड़ा। फीफा के इस फैसले ने अक्तूबर में होने वाले अंडर-17 महिला विश्व कप की मेजबानी के अधिकार भी भारत से छीन लिए। इस बीच सुप्रीम कोर्ट की ओर से नियुक्त प्रशासकों की समिति ने चुनावी प्रक्रिया शुरू कर दी है। 28 अगस्त को चुनाव होने हैं।फीफा के नियमों के मुताबिक, सदस्य संघों को अपने-अपने देशों में कानूनी और राजनीतिक हस्तक्षेप से मुक्त होना चाहिए। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई प्रशासकों की समिति के हस्तक्षेप और उनके मुताबिक चुनाव कराए जाने पर फीफा ने भारतीय फुटबॉल महासंघ को सस्पेंड कर दिया। फीफा ने पहले इसी तरह के मामलों में अन्य राष्ट्रीय संघों को भी निलंबित किया है।फीफा ने सोमवार के बयान में कहा- एआईएफएफ कार्यकारी समिति की शक्तियों को ग्रहण करने के लिए प्रशासकों की एक समिति गठित करने के आदेश के निरस्त होने और एआईएफएफ प्रशासन एआईएफएफ के दैनिक मामलों पर पूर्ण नियंत्रण हासिल करने के बाद निलंबन हटा लिया जाएगा।फीफा के निलंबन का मतलब यह है कि जब तक यह जारी रहेगा तब तक भारतीय पुरुष फुटबॉल टीम और भारतीय महिला फुटबॉल टीम किसी भी अंतरराष्ट्रीय मैच में हिस्सा नहीं ले पाएगी। साथ ही कोई भी खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय लीग में हिस्सा नहीं ले पाएगा।
- Sponsored -
Comments are closed.