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कर्नाटक विधानसभा में एक अत्यंत अशांत दृश्य देखा गया: भाजपा की बेतहाशा भड़ास और राजनीतिक अशांति
प्रस्तावना
एक घटनाक्रम ने आश्चर्यजनक रूप से कर्नाटक विधानसभा में एक अत्यंत अशांत दृश्य देखने को मिला। विधानसभा की कार्यवाही खाने के बिना बिना रुके चलने का निर्णय भाजपा के सदस्यों को गुस्से में ला दिया था, जिसके परिणामस्वरूप भाजपा के सदस्यों ने अपने आपसी भिन्नता का स्पष्टीकरण करने के लिए विधानसभा के अध्यक्ष के प्रतिष्ठान पर कागजात फेंके। इस प्रदर्शन के चलते दस भाजपा विधायकों को विधानसभा सत्र के शेषांश में सजा देने का फैसला किया गया और अध्यक्ष के विरुद्ध कागजात फेंकने के आरोप में उन्हें निलंबित किया गया। इसी बीच, कर्नाटक विधानसभा सत्र से भाजपा विधायकों की निलंबन के बाद, भाजपा और जेडीएस ने अध्यक्ष के खिलाफ नो-विश्वास निर्धारण के लिए नोटिस दिया। विधानसभा की कार्यवाही के दौरान विपक्षी भाजपा और जेडीएस के विधायकों ने वेल में आकर विरोध किया, जिसमें कांग्रेस सरकार को आरोप लगाया गया कि उसने अपने संघटना नेताओं के सेवा में 30 आईएएस अधिकारियों को तैनात किया था। जो भारत के 2024 लोकसभा चुनावों के लिए रणनीति तैयार करने के लिए सोमवार और मंगलवार को बेंगलुरु में इधर-उधर की गई थी और इसे ‘इंडिया’ की नई गठबंधन घोषित किया गया।
खाने का विरोध
अध्यक्ष की अवज्ञा और भड़काऊ प्रतिक्रिया
विधानसभा की कार्यवाही को बिना खाने के बिना जारी रखने के लिए अध्यक्ष यूटी खदर के साहसी बयान ने विधानसभा में पहले से ही तनावपूर्ण माहौल को और बढ़ा दिया। विधानसभा सत्र के चलते डिप्टी स्पीकर रुद्रप्पा लमनी ने विधानसभा की कार्यवाही चलाई जबकि भाजपा के सदस्य अपने आपसी भेदभाव को जगाने के लिए भाजपा के सदस्य ने अचानक अपने आप को आवाज़ देने वाले कुर्सी के द्वारा ताकत भरे अंदाज में अध्यक्ष की ओर कागजात फेंक दिए। उन्होंने मांग की कि खाने को रद्द किया जा रहा है, इसके बारे में किस नियम के तहत किया जा रहा है, जिससे विधानसभा में अशांति का बाजार फैला दिया गया।
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विपक्ष के आरोप
खाने के विरोध के बावजूद, भाजपा के सदस्यों ने एक और विवादित मुद्दे को उठाया – अध्यक्ष खदर ने चीफ मिनिस्टर सिद्दारमैया द्वारा भोजन का आयोजन करने वाले सोमवार को रात को खाने का समर्थन किया था। इससे लोगों के मुख पर आंखें खुलीं और पहले से ही तनावपूर्ण वातावरण को और भी तनावपूर्ण बना दिया गया। निरंतर कागजात फेंकने के कार्यक्रम के परिणामस्वरूप विधानसभा के अध्यक्ष को बचाने के लिए असेंबली मार्शल्स ने लमनी की मदद करने के लिए उन्हें घिर लिया। कांग्रेस के विधायकों ने भाजपा के सदस्यों के अनुशासनहीन व्यवहार का सख्त विरोध किया, जिससे सभा को अंततः बंद कर दिया गया।
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भाजपा का नो-विश्वास विधेयक
गुस्से से भरे हुए हालात में, भाजपा के नेता, पूर्व मुख्यमंत्री बसवराज बोममई समेत भाजपा नेताओं ने विधानसभा अध्यक्ष यूटी खदर के विरुद्ध नो-विश्वास विधेयक पेश करने की घोषणा की। इस विधेयक के द्वारा भाजपा विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष पर नो-विश्वास का प्रस्ताव पेश करने के साथ ही सरकार और उसके विधायकों के प्रति अपने संदेह भी जताए। इस नो-विश्वास विधेयक के फलस्वरूप सरकार की स्थिरता और विधानसभा की कार्यवाही पर बड़ा प्रभाव पड़ सकता है। राजनीतिक मंज़िल में अनिश्चितता के साथ, विधानसभा का भविष्य संदिग्ध है।
भाजपा विधायक का बिगड़ना
विधानसभा के अंदर और बाहर अत्यंत अशांति के बीच, एक दुर्भाग्यवशी घटना भी घटी। कर्नाटक भाजपा विधायक बासनगौड़ा पाटिल यत्नाल ने उत्पन्न असन्तोष के चलते बेहोश हो गए और उन्हें तत्काल मेडिकल सहायता के लिए विधानसभा से बाहर ले जाना पड़ा। उन्हें निजी अस्पताल ले जाने के बाद, उनकी स्थिति स्थिर है और उन्हें अच्छा इलाज मिल रहा है। यह घटना सभी विधायकों के लिए एक चेतावनी है कि वे अपने व्यवहार को संयमित रखें और संघर्ष के माध्यम से मुद्दे को सुलझाने का प्रयास करें।
समाप्ति
भाजपा के सदस्यों के बीच अपने आपसी भेदभाव और नेतृत्व के मुद्दे को लेकर हुए विवाद ने कर्नाटक विधानसभा में एक अत्यंत अशांत और नाजुक दृश्य को उजागर किया। खाने के विरोध से लेकर भाजपा के सदस्यों के आपसी झगड़े तक, सभी इस घटना से प्रभावित हुए और विधानसभा की समानता और न्याय के प्रति सवाल उठे। भाजपा और जेडीएस के नेताओं ने अध्यक्ष के खिलाफ नो-विश्वास विधेयक पेश किया जिससे सरकार की स्थिरता को खतरा हो सकता है। विपक्ष के सदस्यों ने भाजपा के अवैध विधायकों के साथ एकजुट होकर अपने मुद्दे को उठाया। विधानसभा में हुए इस विवाद के चलते सभी पार्टियों को विधानसभा के दृश्य को सुलझाने के लिए संयम और सदयता का प्रदर्शन करना चाहिए।
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