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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज पुरानी संसद में अपना आखिरी भाषण दिया। इस भाषण में उन्होंने देश के 75 साल के इतिहास की चर्चा करते हुए पंडित नेहरू की भी बात की। आमतौर पर नेहरू की आलोचना करने वाला सत्तापक्ष आज देश के पहले प्रधानमंत्री को याद कर मेज थपथपाता दिखा।
इस घटना का महत्व कई मायनों में है। सबसे पहले, यह दिखाता है कि प्रधानमंत्री मोदी ने पंडित नेहरू के योगदान को स्वीकार किया है। उन्होंने नेहरू को देश के स्वतंत्रता संग्राम के नायक और एक महान नेता के रूप में याद किया।
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दूसरा, यह घटना यह दर्शाती है कि प्रधानमंत्री मोदी राष्ट्रीय एकता के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने नेहरू के साथ-साथ बाबा साहेब आंबेडकर और पंडित श्यामा प्रसाद मुखर्जी जैसे अन्य महान नेताओं का भी जिक्र किया। इससे यह पता चलता है कि प्रधानमंत्री मोदी सभी भारतीयों को एक साथ लाने के लिए काम कर रहे हैं।
तीसरा, यह घटना यह दर्शाती है कि प्रधानमंत्री मोदी लोकतंत्र के मूल्यों में विश्वास करते हैं। उन्होंने कहा कि सरकारें और पार्टियां आती-जाती रहती हैं, लेकिन देश हमेशा रहना चाहिए। यह लोकतंत्र के सिद्धांत को दर्शाता है कि सत्ता जनता के पास है और जनता ही सरकार चुनती है।
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कुल मिलाकर, प्रधानमंत्री मोदी के पुरानी संसद में भाषण में पंडित नेहरू की प्रशंसा एक सकारात्मक घटना है। यह घटना यह दर्शाती है कि प्रधानमंत्री मोदी भारत के इतिहास और लोकतंत्र के मूल्यों का सम्मान करते हैं।
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