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एनजीटी ने एनटीपीसी के अवैध खनन-परिवहन मामले का लिया संज्ञान

एनजीटी के प्रिंसिपल बेंच ने हाई लेबल कमिटी गठित कर फैक्ट्यूल रिपोर्ट मांगा

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हजारीबाग: हजारीबाग जिले के बड़कागांव में पंकरी बरवाडीह कोल परियोजना में एनटीपीसी, त्रिवेणी-सैनिक माईनिंग लिमिटेड द्वारा सुप्रीम कोर्ट के आदेशों-निर्देशों का उल्लंघन कर अवैध खनन-परिवहन किए जाने के मामले में एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूलन ) कोलकाता जोन के प्रिंसिपल बेंच के जस्टिस सुधीर अग्रवाल और ए सेंथिल भेल ने संज्ञान लेते हुए हाईलेवल कमिटी गठित किया हैं. इस कमिटी को दो महीने के अंदर फैक्च्यूल रिपोर्ट देने का आदेश दिया गया है. एनजीटी के प्रिंसिपल बेंच ने शिकायत में अवैध खनन-परिवहन के संबंध में वर्णित तथ्यों को देखते हुए एक हाई लेबल ज्वाइंट कमिटी गठित किया है, जिसमें स्टेट पीसीबी अधिकारी, पर्यावरण मंत्रालय भारत सरकार के  क्षेत्रीय कार्यालय के अधिकारी, हज़ारीबाग़ डीएफओ और सीपीसीबी शामिल हैं.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन कर वन विभाग के अधिकारियों की मदद से त्रिवेणी-सैनिक कर रही अवैध खनन
पंकरी बरवाडीह कोल परियोजना में एनटीपीसी के त्रिवेणी-सैनिक माईनिंग प्राइवेट लिमिटेड द्वारा भारत सरकार के शर्तों का उल्लंघन कर दोमुहानी नाला(नदी) को नष्ट कर करीब एक सौ एकड़ में अवैध खनन कर लिया गया है और अवैध खनन अब भी जारी है. एनटीपीसी को भारत सरकार से शर्तों में संशोधन का कोई आदेश नही मिला है उसके बाद भी वन विभाग के अधिकारियों के मिलीभगत से अवैध खनन किया जा रहा है. शिकायत में वन विभाग के अधिकारियों पर यह आरोप लगाया गया है कि भारत सरकार के शर्तों का  अनुपालन नही कराया गया और खनन के आरोपियों से मिलकर अवैध खनन पर रोक नहीं लगाया गया है. जबकि सुप्रीम कोर्ट का स्पष्ट आदेश है कि जब तक फॉरेस्ट क्लियरेंस के वगैर खनन अवैध है. इसके बावजूद वन विभाग के अधिकारी कंपनी के पक्ष में रिपोर्ट बनवाकर सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन कर शर्तों में संशोधन दिलवाने की अनुसंशा कर रहे हैं.
कंवेयर बेल्ट बनने के बावजूद हो रहा सड़क मार्ग से अवैध ट्रांस्पोर्टेशन,पश्चिमी डीएफओ पर गंभीर सवाल
एनटीपीसी द्वारा भारत सरकार की शर्तों के खिलाफ कंवेयर बेल्ट बन जाने के बाद भी सड़क मार्ग से अवैध ट्रांस्पोर्टेशन किया जा रहा है. जिसको लेकर हज़ारीबाग़ पश्चिमी डीएफओ सबा आलम अंसारी पर गम्भीर सवाल उठाया जा रहा है. अवैध ट्रांस्पोर्टेशन को वन विभाग द्वारा अनैतिक तरीके से संरक्षण दिया जा रहा है. वन विभाग द्वारा अवैध ट्रांस्पोर्टेशन के लिए ट्रांजिट परमिट भी जारी किया जा रहा है पश्चिमी डीएफओ द्वारा अवैध ट्रांस्पोर्टेशन पर पूछे गए सवाल पर विधानसभा में जवाब देने के लिए भी एनटीपीसी से पूछकर जवाब दिया गया है। एनटीपीसी ने पश्चिमी डीएफओ को जो जवाब दिया है, उसमें यह नही कहा गया है कि कंवेयर बेल्ट नही बना है,सिर्फ यह कहा गया है कि कंवेयर बेल्ट पूर्ण रूप से कार्यरत नही है. सड़क मार्ग से ट्रांस्पोर्टेशन के लिए भारत सरकार द्वारा वर्ष 2020 के जिस नोटिफिकेशन को आधार बनाया गया है. जबकि उसी नोटिफिकेशन में यह स्पष्ट किया गया है कि रेल मार्ग और कंवेयर सिस्टम नही बनने की स्तिथि में सड़क मार्ग से कोयला ट्रांस्पोर्टेशन करना है. उसमें कहीं भी यह जिक्र नही किया गया है कि कंवेयर सिस्टम पूर्ण रूप से कार्य करता है या नही ? उसके लिए किस परिस्तिथि में कंवेयर सिस्टम पूर्ण रूप से संचालित माना जाएगा ? ऐसा कोई मापदंड तय नही किया गया है. फिर भी उसी को सही मानते हुए डीएफओ ने नियमों-निर्देषों का अध्ययन किए वगैर विधानसभा में जवाब देने के लिए सरकार को रिपोर्ट भेज दिया था.

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