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नयी दिल्ली : जनजातीय कार्य मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का उद्देश्य समानता और समावेश सुनिश्चित करना है तथा यह नीति सुशासन का एक सच्चा घोषणा पत्र है जिसने आदिवासी समाज की शिक्षा को एक राष्ट्रीय स्वरूप दिया है।
श्री मुंडा ने मंगलवार को शिक्षा मंत्रालय और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की ओर से ‘समावेशी शासन प्रणाली सुनिश्चित करना और प्रत्येक व्यक्ति को महत्वपूर्ण बनाना’ विषय पर आयोजित एक वेबिनार को संबोधित किया।
श्री मुंडा ने कहा कि एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय (ईएमआरएस) योजना समावेशी शिक्षा के प्रति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी दृष्टिकोण को प्रदर्शित करती है। उन्होंने कहा कि ईएमआरएस आदिवासी क्षेत्रों में हाशिये की आबादी के लिए शिक्षा की पहुंच प्रदान करता है। डिजिटल इंडिया, समग्र शिक्षा आदि जैसे कार्यक्रम आदिवासी और ग्रामीण क्षेत्रों के विद्यार्थियों को राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने में मदद कर रहे हैं।
श्री मुंडा ने कहा, “इस सरकार ने सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास की भावना के साथ स्वशासन को महत्व दिया है। प्रधानमंत्री ने हमें इन आदर्शों को प्राप्त करने में लोगों की भागीदारी पर ध्यान देने के साथ यह मंत्र दिया है, जो एक सच्चे लोकतंत्र का आधार है।” उन्होंने कहा, ‘‘जब हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं, तो ऐसे समय में सभी को समान अवसर प्रदान करने के लिए हमारी दीर्घकालिक संवैधानिक प्रतिबद्धता के साथ अवसरों का लाभ उठाने के लिए सभी को सशक्त बनाने का संकल्प होना चाहिए।’’ श्री मुंडा ने समावेशी विकास के लिए सुशासन, स्वशासन और समावेशी शासन व्यवस्था पर बल देते हुए कहा कि शिक्षाविदों को नई पीढ़ी, विशेषकर वंचितों की आकांक्षाओं को नई ऊंचाई प्रदान करने की जिम्मेदारी याद रखनी चाहिए।
इस वेबिनार का आयोजन बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय, लखनऊ के सहयोग से किया गया था। उच्च शिक्षा सचिव अमित खरे और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष डी.पी. ंिसह समेत मंत्रालय के कई वरिष्ठ अधिकारी इस अवसर पर उपस्थित थे।
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