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झरिया के यशोमति श्री विद्या निकेतन में श्रीकृष्ण रूप सज्जा प्रतियोगिता का आयोजन
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झरिया। श्रीकृष्ण की मनोहारी मोहनी छवि और राधा रानी की अठखेलियां, कभी गीता के उपदेष तो कभी श्रीराधाकृष्ण की लीला। भावविभोर और मंत्रमुग्ध कर देने वाली भंगिमाएँ। यह सबकुछ था झरिया के यषोमति श्री विद्या निकेतन में। अवसर था श्रीकृष्ण जन्माष्टमी से पूर्व श्री राधाकृष्ण रूपसज्जा प्रतियोगिता के आयोजन का। जिसमें भारी संख्या में विद्यालयों के भैया’बहनों ने उत्साह के साथ भाग लिया। कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि विनय सिंह, प्रबंध समिति के अध्यक्ष जयप्रकाष देवरालिया व सह सचिव विनोद शर्मा, उपाध्यक्ष अरूणा भगानिया, प्रधानाचार्या सुप्रिय मुखर्जी ने दीप प्रज्जवलन कर किया। श्री देवरालिया ने बच्चों को आषीर्वचन देते हुए कहा कि श्री कृष्ण कर्मयोगी थे। संपूर्ण कलाओं और गुणों से विभूषित थे। धर्म, संस्कृति की स्थापना में जीवन भर लगे रहे। उनके गुणों को आत्मसात करना ही कार्यक्रम की सफलता होगी। विनोद षर्मा ने कहा कि योगेष्वर श्रीकृष्ण के गीता के उपदेष आज के युवाओं के साथ बच्चों के लिए भी उपयोगी है। गीता का अध्ययन भारत की षैक्षणिक समृद्धि का मार्ग प्रषस्त करेगा। विनय सिंह ने बच्चों के प्रदर्षन पर शुभकामनाएँ दी।
प्रतियोगिता का आयोजन दो वर्गों में किया गया था। शिशु वर्ग में उत्तम कुमार प्रथम, वंषिका केसरी द्वितीय तथा गुनगुन साव तृतीय रहे। वहीं किशोर वर्ग में प्रिया कुमारी प्रथम, तृप्ति ठाकुर द्वितीय तथा शीवानी विष्वकर्मा तृतीय रही। सभी सफल प्रतिभागियों को पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया। प्रधानाचार्या सुप्रिया मुखर्जी ने धन्यवाद ज्ञापन देते हुए कहा कि ऐसे आयोजन बच्चों में सहयोग, संस्कार और संस्कृति का विकास करते है। कार्यक्रम को सफल बनाने में संतोष भारती, गिताली राय, आसित दास, अजय कुमार, सरोज सिंह,सीताराम,तनु श्री,निकिता दे, जयंती अड्डो,सिमरन,ममतामयी अनंता आदि शामिल थे।
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