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नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सूरत में प्राकृतिक खेती की शुरुआत को उत्साहजनक, सफल तथा लोगों में भरोसा पैदा करने वाली बताते हुए उम्मीद जताई है कि सूरत का मॉडल पूरे ंिहदुस्तान का मॉडल बन सकता है।
श्री मोदी ने रविवार को सूरत में प्राकृतिक कृषि पर आयोजित सम्मेलन को वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से संबोधित करते हुए कहा, ‘‘कुछ महीने पहले ही गुजरात में नैचुरल फार्मिंग के विषय पर नेशनल कॉन्क्लेव का आयोजन हुआ था। इस योजन में पूरे देश के किसान जुड़े थे। प्राकृतिक खेती को लेकर देश में कितना बड़ा अभियान चल रहा है, इसकी झलक उसमें दिखी थी। आज एक बार फिर सूरत में ये महत्वपूर्ण कार्यक्रम इस बात का प्रतीक है कि गुजरात किस तरह से देश के अमृत संकल्पों को गति दे रहा है। ‘‘ उन्होंने कहा कि हर ग्राम पंचायत में 75 किसानों को प्राकृतिक खेती से जोड़ने के मिशन में सूरत की सफलता पूरे देश के लिए एक उदाहरण बनने जा रही है। उन्होंने कहा,” मैं ”प्राकृतिक कृषि सम्मेलन” के इस अवसर पर इस अभियान से जुड़े हर एक व्यक्ति को, अपने सभी किसान साथियों को अनेक-अनेक शुभकामनायें देता हूँ।जिन किसान साथियों को, सरपंच साथियों को आज सम्मानित किया, मैं उन्हें भी हार्दिक बधाई देता हूँ।और खास करके किसानों के साथ-साथ सरपंचों की भी भूमिका बहुत प्रशंसनीय है। उन्होंने ही यह बीड़ा उठाया है और इसलिए हमारे ये सभी सरपंच भाई-बहनें भी उतने ही प्रशंसा के पात्र है।
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उन्होंने कहा कि साढ़े पांच सौ से ज्यादा पंचायतों से 40 हजार से ज्यादा किसान प्राकृतिक खेती से जुड़ चुके हैं। यानी एक छोटे से इलाके में इतना बड़ा काम, ये बहुत अच्छी शुरूआत है। ये उत्साह जगाने वाली शुरुआत है और इससे हर किसान के दिल में एक भरोसा जगता है। आने वाले समय में आप सभी के प्रयत्नों, आप सभी के अनुभवों से पूरे देश के किसान बहुत कुछ जानेंगे, समझेंगे, सीखेंगे। सूरत से निकल नैचुरल फॉर्मिंग का मॉडल, पूरे ंिहदुस्तान का मॉडल भी बन सकता है।
कृषि व्यवस्था को जीवन का आधार बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा ,‘‘जैसे-जैसे किसान आगे बढ़ेगा, जैसे-जैसे हमारी कृषि उन्नत और समृद्ध होगी, वैसे-वैसे हमारा देश आगे बढ़ेगा। इस कार्यक्रम के माध्यम से, मैं देश के किसानों को फिर एक बात याद दिलाना चाहता हूं। प्राकृतिक खेती आर्थिक सफलता का भी एक जरिया है, और उससे भी बड़ी बात यह हमारी मां, हमारी धरती मां हमारे लिए तो यह धरती मां, जिसकी रोज हम पूजा करते हैं, सुबह बिस्तर से उठकर पहले धरती माता से माफी मांगते हैं, ये हमारे संस्कार हैं।‘‘ उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती किफायती है और इससे पशुधन से आय आय के अतिरिक्त स्रोत भी खुलते हैं साथ ही मिट्टी की गुणवत्ता की बढ़ती है। इसके अलावा इससे पर्यावरण की रक्षा भी होती है।
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श्री मोदी ने कहा,‘‘सरकार के प्रयासों के साथ ही हमें इस दिशा में अपने प्राचीन ज्ञान की तरफ भी देखना होगा। हमारे यहाँ वेदों से लेकर कृषि ग्रंथों और कौटिल्य, वराहमिहिर जैसे विद्वानों तक, प्राकृतिक खेती से जुड़े ज्ञान के अथाह भंडार मौजूद हैं।’
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