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 एसीसी सीमेंट कंपनी के सभी प्रभावित रैयतो  को नौकरी और मुआवजा की मांग को लेकर मुख्यमंत्री को सौंपा ज्ञापन

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एसीसी कंपनी  ने वर्ष 2000 से 2014 तक  अवैध रूप से खनन कर 900 करोड़ का  किया घोटाला, मात्र लगा 48 करोड का लगा जुर्माना, 850 करोड़ के सरकारी राजस्व का नुकसान
 
 कंपनी  अंग्रेजों की तरह फूट डालो राज करो और मुनाफाखोरी में लगी, आदिवासियों की जमीन पर खड़ी है कंपनी, आदिवासियों और क्षेत्र की स्थिति बलहाल, गरीबी – भुखमरी, बेरोजगारी -पलायन को मजबूर
 

चाईबासा : अखिल भारतीय क्रांतिकारी आदिवासी महासभा के केंद्रीय अध्यक्ष जॉन मिरन मुंडा ने मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपकर एसीसी सीमेंट  कंपनी झीकपानी द्वारा प्रभावित रैयतो  को न्याय दिलाने की मांग की है। मुख्यमंत्री को सौंपे ज्ञापन में श्री मुंडा ने कहा कि एसीसी सीमेंट कंपनी जमीन मालिकों के साथ हमेशा से विश्वासघात करते आ रहा है जिसका नतीजा है कि आजादी के 70 साल बाद भी यह क्षेत्र और यहां के आदिवासी जमीन मालिकों का गरीबी में जिंदगी गुजर -बसर हो रहा है। नौकरी और मुआवजा के लिए भी कंपनी को जमीन देने वाले आदिवासी  रैयतों को भी लोगों को भटकना पड़ रहा है। आदिवासियों की जमीन पर कंपनी खड़ा है और आदिवासियों और आदिवासी इस क्षेत्र का विकास नहीं हुआ है पूरे क्षेत्र में गरीबी भुखमरी बेरोजगारी है जिसके कारण लोगों को पलायन करना पड़  रहा  है। जबकि कंपनी अंग्रेजों की तरह सिर्फ मुनाफा कमाने में लगी है और अरबों खरबों का मुनाफा आदिवासियों की जमीन खोदकर कमा चुकी है। लेकिन आज भी आदिवासियों की दशा और दिशा इस क्षेत्र की तस्वीर गरीबी भुखमरी बेरोजगारी पलायन समाप्त नहीं हुई है।  आज कोंदवा, दोकट्टा, रांजका, नीमडीह के जमीन मालिकों को डरा धमका कर जबरन जमीन पर कब्जा कर कंपनी द्वारा खनन कार्य किया जा रहा है अपने क्षेत्र में अंग्रेजों की तरह फूट डालो राज करो की तर्ज पर कथित लोगों को नौकरी और मुआवजा का लालच दिखाकर बल बुला रहा है और मुनाफाखोरी एवं क्षेत्र को अशांत करने में लगा है । मुआवजा और नौकरी का झांसा देकर जल जंगल जमीन और अस्तित्व को समाप्त करने का षड्यंत्र किया जा रहा है । आदिवासी को भूमिहीन और उनके पैतृक घर बार से बेदखल किया जा रहा है। पांचवी अनुसूची समता जजमेंट के तहत जमीन मालिकों को न्याय दिया जाए। समता जजमेंट को सख्ती से लागू कर जमीन मालिकों को हिस्सेदारी मिले, समता जजमेंट का सख्ती से पालन हो और जमीन मालिक रैयतों को हिस्सेदारी मिले ।कंपनी से प्रभावित रैयतो और उनके परिवारों के 18 वर्ष से ऊपर के सभी सदस्यों को नौकरी दे, लीज समाप्त क्षेत्रों में समतल कर खेती योग्य बनाकर जमीन वापस दे ताकि आदिवासी भूमिहीन  ना हो । रांजका लीज प्रभावित  रहने के कारण गांव का नाम नक्शा से कट गया है जिस कारण जाति प्रमाण पत्र ,स्थानीय आय प्रमाण पत्र ,आधार कार्ड आदि बनाने में दिक्कत हो रही है इसलिए दोबारा रांजका गांव का नक्शा में डाला जाए ।एसीसी कम्पनी  द्वारा नए लीज के नाम पर पुराना लीज समाप्त एफ -2 लीज प्रभावित क्षेत्र के 45 जमीन मालिकों को नौकरी देने की सहमति दी है । जिसमें खनन कार्य खत्म हो चुका है ,उसका मुआवजा नहीं दिया गया है। जबकि एसीसी कंपनी  ने वर्ष 2000 से 2014 तक  अवैध रूप से खनन कर 900 करोड़ का घोटाला किया है,  कंपनी प्रबंधन ने महाधिवक्ता को करोड़ों रुपए देकर खरीद लिया और मात्र 48 करोड का जुर्माना लगाया गया ।इस तरह सरकार को 850 करोड़ रूपया की राजस्व की क्षति हुई है।  लेकिन इस अवैध खनन में जमीन मालिकों को कोई मुआवजा नहीं मिला है । इसलिए उक्त जमीन का मुआवजा 1 -1 करोड़  प्रत्येक जमीन मालिकों को भुगतान किया जाए एसीसी कंपनी प्रबंधन द्वारा लीज समाप्त क्षेत्र जी ब्लॉक खदान को समतल कर आदिवासीयो  को को वापस करे ताकि उस पर खेती किया जा सके और वाटर सप्लाई प्लांट लगा लग सके। जब तक पुराने लीज का मामला निष्पादन नहीं जाता प्रत्येक  सभी को नौकरी और मुआवजा नहीं मिल जाता तब तक नया लीज देने पर रोक लगाई लगाई जाए । साथ ही पांचवी अनुसूची के तहत समता जजमेंट के आधार पर रैयतों को नौकरी और हिस्सेदारी की गारंटी मिले। मांगे पूरी नहीं होने पर एसीसी कंपनी के आदिवासी ,गरीब, मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ आंदोलन किया जायेगा। पत्र की प्रतिलिपि राज्यपाल ,मुख्य सचिव ,खान सचिव ,आयुक्त, उपायुक्त,एसपी ,जिला भू अर्जन पदाधिकारी अनुमंडल पदाधिकारी को दी गई है।

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