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अधिकतर सरकारी टेंडरो हो रहे मैनेज, माफिया काट रहे चांदी

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पाकुड़: सरकार डाल डाल तो ठेकेदार और टेंडर मैनेज करने वाले माफिया पात पात की कहावत को चरितार्थ करने में कोई कोर कसर पाकुड़ में नही छोड़ रहे। यही वजह है कि टेंडर निकलते ही मैनेज माफिया अपने मंसुबे को कामयाब बनाने में जी जान से जुट रहे है. टेंडर निष्पादन के पहले मैनेज करने का खेल भी शुरू हो गया है. ताजा मामला नगर परिषद द्वारा शहरी क्षेत्र के कई वार्डो में एचवाईडीटी अधिष्ठापन सह पाईप लाइन विस्तारीकरण योजना से जुड़ा हुआ है. नगर परिषद द्वारा निकाली गयी इस योजना की निविदा में दर्जनों संवेदको द्वारा ऑनलाइन टेंडर डाला गया और जब ऑफलाइन कागजात जमा करने की बारी आयी तो ठेकेदारों की संख्या कम गयी. संवेदक सुत्रों के मुताबिक आधा दर्जन टेंडर माफिया जिले में सक्रिय है और इन्ही के द्वारा टेंडर को मैनेज करने के लिए शाम दंड भेद की प्रक्रिया अपनाने से बाज नहीं आते है. कुछ ठेकेदारों ने नाम न छापने के शर्त पर बताया कि ऑनलाइन टेंडर एक योजना के कई ठेकेदारों द्वारा डाले जाते है और जब मैनेज की बारी आती है तो मात्र दो ही ठेकेदार की संख्या एक योजना में सिमित हो जाती है. सुत्रो के मुताबिक टेंडर मैनेज करने के दौरान निकाली गयी निविदा की पुर्ण राशि का 7 से 10 प्रतिशत राशि देकर ठेका मैनेज का काम किया जा रहा है. हालांकि नगर परिषद द्वारा निकाली गयी एचवाइडीटी अधिष्ठापन सह पाइपलाइन विस्तारीकरण योजना का निविदा निष्पादन अबतक नही हो गया है. यहां उल्लेखनीय है कि झारखंड सरकार ने निविदा निष्पादन के मामले में कई शर्ते तय की हुई है. पहले ठेकेदारों द्वारा विलो रेट में टेंडर डाल दिया जाता था जिससे सरकार को ज्यादा फायदा होता था. बाद में ठेकेदारों एवं मैनेज माफियाओं ने विलो रेट से बचने और सभी को कुछ न कुछ फायदा देने और दिलाने की नियत से ठेका मैनेज का काम शुरू किया जो आज भी बदस्तुर जारी है. इस मामले में नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी कौशलेश कुमार यादव ने बताया कि हमें टेंडर मैनेज करने की कोई जानकारी नही मिली है. उन्होने बताया कि पूरे नियम के मुताबिक निविदा का निष्पादन किया जा रहा है. हालांकि सरकार ठेका मैनेज करने वाले माफियाओं की करतुतें संज्ञान में आने के बाद कुछ नये नियम और शर्तो को लागु करने का फैसला लिया है. जिसे अगले वित्तीय वर्ष में लागु किया जायेगा.

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