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तेहरान :ईरान ने यूरेनियम धातु के अधिक संवर्द्धन की प्रक्रिया शुरू कर दी है, जिससे उसे परमाणु हथियार विकसित करने में मदद मिल सकती है।संयुक्त राष्ट्र की परमाणु निगरानी संस्था अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) ने मंगलवार को यह जानकारी दी। ईरान ने आईएईए को अधिक यूरेनियम संवर्द्धन की प्रक्रिया शुरू करने की सूचना दी है और कहा कि एक शोध रिएक्टर के लिए ईंधन विकसित करने के मकसद से यूरेनियम संवर्द्धन किया जा रहा है।
ब्रितानी, फ्रांसीसी और जर्मन अधिकारियों ने कहा कि इस कदम से 2015 के परमाणु समझौते को पुनर्जीवित करने के लिए शुरू होने वाली वार्ता को खतरा हो सकता है। अमेरिका ने इसे ‘पीछे की ओर उठाया गया दुर्भाग्यपूर्ण कदम’ बताया है।
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औपचारिक रूप से संयुक्त व्यापक कार्य योजना (जेसीपीओए) के रूप में ज्ञात इस समझौते के तहत ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर प्रतिबंध लगा दिया गया था ताकि उसके लिए परमाणु हथियार विकसित करना कठिन हो जाये। बदले में, अमेरिका और यूरोप उस पर से आर्थिक प्रतिबंध हटाने पर सहमत हुए थे।
ईरान और अमेरिका के बीच वर्ष 2015 में राष्ट्रपति बराक ओबामा के प्रशासन के दौरान परमाणु समझौता हुआ था। इस समझौते पर इन दोनों देशों के अलावा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सदस्य देश और यूरोपीय संघ के कुछ देशों ने भी दस्तखत किए थे। उस वक्त श्री ओबामा ने इसको ऐतिहासिक संधि करार दिया था।बाद में, हालांकि उनके उत्तरवर्ती राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने इस समझौते को बेकार बताते हुए 2018 में अमेरिका को इससे बाहर निकाल लिया और ईरान के खिलाफ प्रतिबंध बहाल किये।
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इसके बाद हालांकि तेहरान ने अपने कई प्रतिबंधों का उल्लंघन करना शुरू कर दिया। वर्तमान अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन के प्रशासन ने अब तक ईरान के खिलाफ श्री ट्रम्प के प्रतिबंधों को बरकरार रखा है।
गौरतलब है कि अमेरिका और यूरोप के वार्ताकार समझौते को बहाल करने की कोशिश करने के लिए वियना में बातचीत कर रहे हैं। वियना वार्ता अप्रैल में शुरू हुई और 20 जून को स्थगित कर दी गयी। अगले दौर की वार्ता के लिए कोई तारीख निर्धारित नहीं की गयी है। ईरान के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति इब्राहिम रायसी चाहते हैं कि समझौते का पालन करने के एवज में अमेरिका उनके देश पर से प्रतिबंध हटा दे।
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