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टिको शिव मंदिर, जो जीमा और टाटी पंचायत के सीमाना पर केसरे हिंद की भूमि पर स्थापित है, वहां उपस्थित लोगों के विश्वास और विनयों को पूरा करने के लिए प्रसिद्ध हो गया है। उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, उड़ीसा, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, दिल्ली और मुम्बई से भक्तजन मिल कर टिको नदी के तट पर स्थित शिव मंदिर पहुंचते हैं, जहां श्रद्धालु पुरोहितों के साथ विभिन्न प्रकार के पूजन अनुष्ठान, रुद्राभिषेक, शिव पुराण का पाठ आदि किये जाते हैं, ताकि शिवजी को खुश किया जा सके।
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भोलेनाथ के दरबार में पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की पुकार कभी खाली नहीं गई। कहा जाता है कि टिको नदी के तट पर भोलेनाथ के रूप में एक पत्थर निकल आया था, जिसके कारण शिव मंदिर का निर्माण गंगाधर पाठक और अन्य लोगों ने 11 दशक पहले किया था। पुरोहित को रात्रि में एक स्वप्न आया था और उन्हें टिको नदी के समीप एक शिवलिंग नजर आया था। इसलिए, उन्होंने शिवलिंग में दुग्धाभिषेक करने का निर्णय लिया।
पुरोहित गंगाधर पाठक ने सुबह टिको नदी के तट पर पहुंचते ही एक शिवलिंग का दर्शन किया। सन् 1920 में, पुरोहित गंगाधर पाठक ने शिवलिंग की सेवा करनी शुरू की। इसकी चर्चा कुड़ू में फैल गई। ब्रिटिश शासन के भय से, आम लोग गुप्त रूप से टिको नदी के तट पर पहुंचते और पूजा करने लगे। इसके बाद, खपरैल मंदिर का निर्माण किया गया।
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खपरैल मंदिर के निर्माण के बाद, टिको नदी के तट पर स्थित शिव मंदिर की प्रसिद्धि फैल गई कि श्मशान घाट के तट पर स्थित शिव मंदिर में श्रद्धालुओं के द्धारा मांगी गई मन्नत कभी खाली नहीं जाती। पुरोहित लवकेश पाठक ने बताया कि देश में पांच स्थानों – वाराणसी, विंध्याचल, काशी, कांजीपुरम और बंगाल का तारापीठ, में शिवधाम क्रिमेटरी के नजदीक है। इस संबंध में, बीडीओ मनोरंजन कुमार ने बताया कि मामला संज्ञान में आया है और जिला प्रशासन को जानकार कराया जाएगा ताकि इस समस्या का समाधान हो सके।
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