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प्रदेश अध्यक्ष ने किया विरोध, रामेश्वर उरांव एवं आलमगीर आलम ने सही करार दिया, सीपी सिंह ने लगाया तुष्टीकरण का आरोप
रांची : धनबाद एवं बोकारो जिला से भोजपुरी एवं मगही भाषा को हटाने के सरकार के निर्णय से कांग्रेस बिफर पड़ी है। पहली बार कांग्रेस ने इस मामले में अपना स्टैंड को क्लीयर किया है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने कहा कि इतना बड़ा निर्णय लेने से पूर्व सरकार को अपने सहयोगी दलों से सलाह-मशवरा करनी चाहिए थी। राजेश ठाकुर ने कहा कि यह गठबंधन की सरकार है। पहले का लिया गया निर्णय से पीछे हटने से मैसेज अच्छा नहीं जा रहा है। अगर इस तरह का निर्णय लिया जाना चाहिए था तो गठबंधन दलों के साथ बात करनी चाहिए थी। उन्होंने कहा कि सबसे पहले तो इन भाषाओं को शामिल करने मांग कहीं से उस तरह उठी नहीं थी। इसके बाद भोजपुरी, महगी, अंगिका एवं मैथिली को शामिल किया गया। फिर इसे हटा दिया गया। वह भी धनबाद एवं बोकारो से।
झारखंड में इन भाषाओं को बोला जाता है, इसलिए इसे हटाना कहीं से उचित नहीं है। कौन से लोग हैं इस विवाद को बढ़ा रहे हैं, इसकी पहचान की जानी चाहिए। इससे सरकार के प्रति गठबंधन दलों एवं जनता के बीच अच्छा संदेश नहीं जा रहा है।
इधर स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने इशारो ही इशारों में इन भाषाओं के पक्ष में अपनी बात रख दी। उन्होंने कह डाला भोजपुरी बोलने से मन हरियर हो जाता है।
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आलमगीर आलम और रामेश्वर उरांव ने किया स्वागत
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सरकार द्वारा शुक्रवार को लिये गये फैसले का मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव और आलमगीर आलम ने स्वागत किया है। आलमगीर आलम ने भाजपा द्वारा उठाये जा रहे सवाल पर पलटवार करते हुए कहा है कि साम्प्रदायिक उन्माद फैलाने का काम भाजपा करती रही है। सरकार ने भाषा को लेकर उठे विवाद को शांत करने के लिए बोकारो और धनबाद में मगही और भोजपुरी की मान्यता समाप्त कर नये सिरे से अधिसूचना जारी की है।
पूरे राज्य में उर्दू बोलने वाले लोग : जगरनाथ महतो
राज्य के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को धन्यवाद दिया है. उन्होंने कहा कि गढ़वा में भोजपुरी भाषा को क्षेत्रीय भाषा की सूची में रखा गया है। इसी तरह मगही को चतरा, लातेहार जिला के क्षेत्रीय भाषा के सूची में रखा गया है।
हिंदी को बाहर किया और उर्दु की एंट्री : सीपी सिंह
पूर्व स्पीकर और रांची विधायक सीपी सिंह ने हिन्दी को मान्यता नहीं दिये जाने और उर्दू को सभी जिलों में मान्यता दिये जाने पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि सीपी सिंह ने इसे हेमंत सरकार पर तुष्टिकरण करने का आरोप लगाया है। उन्होंने झारखंड में भाषा विवाद को शीघ्र खत्म कराने की मांग की है। सीपी सिंह ने इस भाषा विवाद को सरकार प्रायोजित बताते हुए कहा कि इससे झारखंड के स्थानीय छात्रों को हानि होगी।
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