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श्रीनगर, कश्मीर: भारत के 77वें स्वतंत्रता दिवस पर श्रीनगर के लाल चौक ने तिरंगों के रंगों से झूमकर खुद को सजाया। कश्मीर से धारा 370 को हटने के चार साल बाद, कश्मीरी राष्ट्रीय ध्वज ने फिर से हवाओं में लहराया। श्रीनगर के वो घंटाघर जहां पहले आतंकवादी पाकिस्तानी झंडा लगाने की सोच रखते थे, आज उसमें तिरंगा फहराने की खुशी में झूम रहा था। श्रीनगर के बक्शी स्टेडियम में भी स्वतंत्रता दिवस के समारोह में कश्मीरी उत्साह से भरपूर थे। गवर्नर मनोज सिन्हा ने भी तिरंगा फहराया, जिससे यह ऐतिहासिक पल बन गया। इस बार अनोखी बात यह थी कि लोग लाइन में लगकर स्टेडियम में पहुँचे, जिसमें कई महिलाएं भी शामिल थीं।
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कश्मीर के स्थानीय लोगों के अनुसार, धारा 370 के हटने के बाद से ही कश्मीर की माहौल में बदलाव आया है, और वे इसे अब महसूस कर रहे हैं। वे गर्व का अनुभव कर रहे हैं क्योंकि यह पहली बार है जब वे 15 अगस्त को इस तरह से सेलिब्रेट कर रहे हैं, जैसे कि यह ईद का मौका हो।
इस स्वतंत्रता दिवस के मौके पर कश्मीर में तिरंगा यात्राएँ भी निकाली गईं, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील पर हुईं। कश्मीर के कई इलाकों में लोग तिरंगा फहराने निकले, जो एक और बदलाव की ओर एक प्रतीक है। वहीं, जहां गोलियों की आवाज सुनाई देती थी, वहीं लोग अब भारत माता की जय के नारे दे रहे थे।
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1990 के दशक में, कश्मीर में तिरंगा फहराने की चुनौती ९० के दशक में विपरीत दिशा में बदल गई थी, कश्मीर में आतंकवाद अपने चरम पर था। लाल चौक पर तिरंगा फहराना एक बड़ी चुनौती थी, क्योंकि सुरक्षा कारणों से उसकी अनुमति नहीं थी। तब पीएम नरेंद्र मोदी ने तत्कालीन बीजेपी अध्यक्ष मुरली मनोहर जोशी के नेतृत्व में तिरंगा यात्रा की थी, जिससे कश्मीर के लाल चौक पर तिरंगा फहराने का पहला मौका मिला था। तब यह यात्रा कान्याकुमारी से लेकर कश्मीर तक, 35 हजार किलोमीटर की यात्रा थी। इस यात्रा के दौरान बीजेपी के तत्कालीन डीजीपी जे एन सक्सेना भी घायल हो गए थे, क्योंकि आतंकी हमलों की धमकी थी। फिर भी उन्होंने खुद को सुरक्षित करते हुए तिरंगा फहराने का समय निकाला था।
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