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जीएसटी के साथ पाँच सालों का सफर – मृत्युंजय शर्मा

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देश में 70 साल पुराने टैक्स सिस्टम में व्यापक बदलाव लाते हुए पांच साल पहले इसी जुलाई माह में केंद्र सरकार ने भारत के सबसे बड़े कर सुधार “वस्तु एवं सेवा कर” (जीएसटी) को लागू किया था। जीएसटी ने एक्साइज ड्यूटी, सर्विस टैक्स, वैट और करीब 12 सेस को खत्म कर दिया । सरकार के खजाने और आम आदमी की जेब पर जीएसटी लागू होने का बहुत सकारात्मक प्रभाव पड़ा है | वहीं आम उपभोक्ता को भी रोजमर्रा की बहुत सी चीजें सस्ती दर पर उपलब्ध हुई है | टैक्स व्यवस्था को सरल और आसान बना देने से छोटे दुकानदार से लेकर बड़ी कंपनियों तक को व्यापार करने में आसानी हुई है |
जीएसटी से पहले के दौर में एक उपभोक्ता को वैट, उत्पाद शुल्क, सीएसटी आदि को मिलाकर औसतन 31 प्रतिशत कर देना होता था। जीएसटी में वित्तीय संघवाद की अभूतपूर्व कवायद हुई जिसमें केंद्र और राज्य नई कर प्रणाली के सुगम क्रियान्वयन के लिए जीएसटी परिषद में एक साथ आए ।
अपने पांच साल के सफर में GST ने कई उतार चढ़ाव देखे हैं | टैक्‍स कलेक्‍शन घटने की तमाम शंकाओं को दूर करते हुए जीएसटी ने सरकारी खजाने को खूब भरा है | मनीकंट्रोल डॉट कॉम की एक रिपोर्ट के अनुसार 2017-18 (अगस्त-मार्च) में रु 7.18 लाख करोड़ जीएसटी संग्रह हुआ | 2018-19 में 11.17 लाख करोड़ रुपए, 2019-20 में 12.22 लाख करोड़ रुपए, 2020-21 में 11.37 लाख करोड़ रुपए और 2021-2022 में 14.83 लाख करोड़ रुपए सरकारी खजाने में आए | जीएसटी लागू होने से टैक्स चोरी पर भी लगाम लगी है | पिछले 18 महीने में 50,000 करोड़ रु का जीएसटी फ्रॉड पकड़ा गया है |
उद्योग की उपेक्षाओं के अनुरूप, जीएसटी ने करों के कास्केडिंग प्रभाव को हटाकर विनिर्माण क्षेत्र पर सकारात्मक प्रभाव डाला है जिसके परिणामस्वरूप उद्योगों के उत्पादन लागत में कमी आई है। जीएसटी से पहले, निर्माताओं को कई रिटर्न दाखिल करने की आवश्यकता होती थी और विभिन्न कर अधिकारियों द्वारा मूल्यांकन किया जाता था। जीएसटी के कार्यान्वयन के साथ, कर अनुपालनों के स्वचालन के कारण अनुपालन करने में आसानी हुई है। साथ ही, आकलन और न्यायिक प्रक्रिया भी आसान होने की उम्मीद है।
जीएसटी को लागू करने में सरकार को शुरुआत में कई कठिनाइयां आई, कारोबारियों को भी इसके अनुपालन में थोड़ी मुश्किलें आईं । इसी बीच कोविड महामारी ने दस्तक दिया और जीएसटी के प्रभावी निष्पादन एवं एकीकृत बाज़ार के लक्ष्य में अनेक मुश्किलें देखने को मिली | लेकिन इसे लेकर सबसे बड़ी बात रही कर अनुपालन के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग जो जीएसटी की सफलता का सबसे बड़ा कारण भी बना । इसके बाद धीरे-धीरे देश के व्यापारी जागरूक हुए और इससे भविष्य में होनेवाले लाभ को पहचाना | आज जीएसटी से हर महीने एक लाख करोड़ रुपये का राजस्व संग्रह एक सामान्य बात हो गई है ।
केंद्र सरकार ने एक जुलाई को जून महीने के जीएसटी संग्रह के आंकड़े जारी किये । वित्त मंत्रालय के अनुसार जून में ग्रॉस जीएसटी कलेक्शन 1,44,616 करोड़ रुपये रहा | इसमें सेंट्रल जीएसटी 25,306 करोड़ रुपये, स्टेट जीएसटी 32,406 करोड़ रुपये, इंटीग्रेटेड जीएसटी 75,887 करोड़ रुपये और सेस 11,018 करोड़ रुपये शामिल है | अप्रैल, 2022 में यह संग्रह रिकॉर्ड 1.68 लाख करोड़ रुपये था।
वित्त मंत्रालय के द्वारा कंज्यूमर एक्सपेंडिचर डेटा के विश्लेषण से ये पता चला कि जीएसटी लागू होने के बाद एक औसत भारतीय परिवार को रोजाना इस्तेमाल किए जाने वाले सामानों की खरीदारी पर हर महीने 300 से 400 रुपये की बचत हो रही है। सामान्य इस्तेमाल की वस्तुओं पर जीएसटी की दरों में कटौती के कारण उपभोक्ताओं को यह बचत हो रही है। जीएसटी लागू होने से पहले और उसके बाद परिवारों के खर्च के विश्लेषण से पता चलता है कि खाद्य और पेय पदार्थों के साथ ही रोजमर्रा के इस्तेमाल में आने वाली वस्तुओं जैसे हेयर ऑइल टूथपेस्ट, साबुन, वाशिंग पाउडर तथा फुटवियर सहित 83 वस्तुओं पर टैक्स रेट में कमी आई है |
एक्सपेंडिचर एनालिस्ट के अनुसार अगर कोई परिवार 10 वस्तुओं-अनाज, खाद्य तेल, चीनी, चॉकलेट, नमकीन और मिठाई, कॉस्मेटिक्स और टॉयलेट्रीज, वाशिंग पाउडर, टाइल्स, फर्नीचर एवं घरों में इस्तेमाल में आने वाली कई अन्य वस्तुओं पर हर महीने 8,400 रुपये खर्च करता है, तो उस परिवार को हर महीने 320 रुपये की बचत हो रही है |
वर्षों से लंबित इस आर्थिक सुधार को धरातल पर उतरना मोदी सरकार के पहले कार्यकाल की सबसे बड़े उपलब्धियों में से एक गिनी जा सकती है | वहीं इसके परिचालन में आ रही दिक्कतों को दूर करके आज प्रत्येक माह औसतन डेढ़ लाख करोड़ का जीएसटी संग्रह वर्तमान सरकार की आर्थिक सुधारों का प्रति प्रतिबद्धता दर्शाती है |

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