- Sponsored -
- Sponsored -
झारखंड के खरसावां-कुचाई इलाके में ऑर्गेनिक तसर सिल्क का उत्पादन विशेष पहचान बन चुका है, लेकिन हाल के वर्षों में तसर कोसा की खेती से लेकर सूत कताई और कपड़ों की बुनाई का कार्य प्रभावित हुआ है। किसानों और बुनकरों की हालत बढ़ी नहीं है। झारखंड सरकार ने उद्योग विभाग की ओर से कुचाई सिल्क के लिए विशेष आर्थिक पैकेज की व्यवस्था करने की योजना बनाई है, जो क्षेत्र के गांवों की अर्थव्यवस्था में सकारात्मक परिवर्तन ला सकती है। इसके साथ ही ग्रामीणों को काम के लिए भटकना नहीं पड़ेगा।
चीन समेत कई देशों में जाने वाले खरसावां से बने सिल्क कपड़े का एक्सपोर्ट साल 2005 से 2013 तक बड़े पैमाने पर होता था। इस वक्त यहां तसर की खेती बड़ी रौशनी से बढ़ रही थी। इसी दौरान खरसावां और चांडिल क्षेत्र में भी तसर की खेती होती थी। कई देशों में यहां के सिल्क कपड़ों का आयात होता था। परंतु हाल के वर्षों में तसर कोसा का उत्पादन लगातार घट रहा है। इसके बावजूद, यहां सिल्क का सालाना कारोबार करीब 20 से 25 करोड़ रुपये के आसपास का है। तसर की खेती के लिए धान के खेत में मेढ़ पर अर्जुन व आसन के पौधे लगाकर तसर की खेती होती है। इससे बड़ी संख्या में महिलाएं रोजगार से वंचित हो गई हैं।
विभाजन से पहले बंद हुआ था सिल्क पार्क 2009 में तैयार होने वाले सिल्क पार्क का शिलान्यास किया गया था, जिसे बंद होने के बाद अब फिर से चालू करने की योजना है। यहां सिल्क पार्क में तसर कोसा से सूत कताई, डिजाइनिंग, और कपड़े की बुनाई की योजना थी, जो स्थानीय आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता। इस पार्क के बनने से स्थानीय लोगों को स्वरोजगार के अवसर प्राप्त होते। तसर कोसा की खेती और सूत कताई में लगी मशीनों की देखभाल में भी समस्याएं आ रही हैं।
बंबू और लेदर क्राफ्ट का कार्य भी बंद हो रहा है झारखंड सरकार के उद्योग विभाग की झारक्राफ्ट द्वारा बंबू क्राफ्ट, लेदर क्राफ्ट, और एंब्रोडोरी का कार्य पूरी तरह से बंद हो रहा है। इससे ग्रामीण शिल्पकारों को रोजगार की समस्या हो रही है। पहले लोग बांस की कारीगरी में रोजगार करते थे, परंतु अब यह क्षेत्र भी कमजोर हो रहा है।
मलबाड़ी सिल्क के खेती की योजना खटाई में मलबाड़ी सिल्क की खेती कराने की योजना है। मलबाड़ी सिल्क सर्वाधिक पसंदीदा सिल्क कपड़ा है और इसे कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, और पश्चिम बंगाल के कुछ क्षेत्रों में उत्पादित किया जाता है। यह एक संभावित विकल्प हो सकता है जिससे स्थानीय लोगों को अधिक रोजगार संभावनाएं मिल सकती हैं।
ऑर्गेनिक तसर का दर्जा और बेरोजगारी की समस्या खरसावां और कुचाई में तैयार होने वाले तसर सिल्क को ऑर्गेनिक तसर का दर्जा मिल चुका है, जिससे इसकी मांग देश और विदेश में बढ़ी है। परंतु यह स्थिति उत्पन्न होने के बावजूद भी कई लोग रोजगार से वंचित हो रहे हैं। सरकार के समर्थन में इसे पुनर्जीवित करना संभव है और यह स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर प्रदान कर सकता है।
- Sponsored -
Comments are closed.