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झरिया:धनबाद में खुलेआम बिक रही नागालैंड-बंगाल की लॉटरी सूदखोरों से कर्ज लेकर टिकट खरीद रहे कोयला मजदूर……झारखंड में लाॅटरी अवैध है, इसके बावजूद धनबाद जिले में नगालैंड, सिक्किम, पश्चिम बंगाल की लाॅटरियाें के टिकट खुलेआम बेचे जा रहे हैं। झरिया और आसपास के इलाके इस अवैध धंधे के गढ़ हैं, यहां लाॅटरी के टिकटाें के 300 से अधिक काउंटर हैं। धनबाद स्टेशन राेड और वासेपुर में भी तेजी से यह धंधा फैल रहा है। धंधेबाज राेजाना 5 से 7 लाख रुपए यानी महीने में 1.5 से 2 कराेड़ रुपए की कमाई कर रहे हैं। झरिया थाने से महज आधा किमी के दायरे में घनी आबादी के बीच खुलेआम करीब 100 काउंटर चल रहे हैं। पुलिस-प्रशासन काेई कार्रवाई नहीं कर रहे। रातों-रात अमीर बनने के चक्कर में कम पढ़े-लिखे और मजदूर आसानी से धंधेबाजाें के झांसे में आ जाते हैं।
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बता दें कि झरिया के मोसीपी के लोदना में चसमली बंटी पत्रकार के शह पर उसके शागिर्द राजेश निषाद, पिनकल विश्वकर्मा और बबलू सिंह खुल्लमखुल्ला चाय दुकान,पान दुकान से लेकर कपडे दुकान तक यह तीनों शक्श लॉटरी का धंधा खूब जोर शोर से कर रहें हैं और कोयला कर्मी के गाढ़ी कामाई को लूट रहें है, 1990 से 1998 तक खुद यह पत्रकार पहले लॉटरी के धंधे में संलिप्त थे और मनीष गुप्ता नमक धंधेबाज़ जो झारखण्ड का सबसे बड़ा लॉटरी के टिकट कारोबारी बताया जाता है उनके आशीर्वाद बंटी को प्राप्त था।जब 2002 -03 में झरिया में तेज तर्रार पुलिस अधिकारी रमाकांत प्रसाद झरिया थाने के प्रभारी बने तो बंटी लॉटरी टिकट के धंधे को बाई बाई कर पत्रकार बन गए और इनडाइरेक्ट वे में अपने तीन सहयोगी को इस धंधे में खड़ा किया और आज ये तीनों धंधेबाज़ झरिया के लोगो को चुना लगा रहा है।बहरहाल इस गंदे धंधे में पुलिस के साथ साथ कई सफेदपोश भी खुल कर सामने आ गए हैं अब पुलिस और सरकार कैसे इस धांजबाज़ों पर अंकुश लगाए यह बड़ी सवाल है क्योंकि इससे झारखंड और झारखंडियों के टैक्स भी चोरी का मामला बनता है।
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