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जादवपुर यूनिवर्सिटी में छात्र की मौत के 25 दिन बाद यूजीसी का एक प्रतिनिधिमंडल जादवपुर यूनिवर्सिटी आया. गौरतलब है कि गत 10 अगस्त को प्रथम वर्ष के छात्र की संदिग्ध हालात में हुई मौत को लेकर जादवपुर विश्वविद्यालय (जेयू) में अब भी तनाव की स्थिति है.
यूजीसी की निगरानी: तीन बार की रिपोर्टों के बावजूद
विश्वविद्यालय से यूजीसी ने इस घटना पर तीन बार रिपोर्ट मांगी थी. लगातार तीन रिपोर्टों से असंतुष्ट, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने आखिरकार आयोग के एंटी-रैगिंग सेल से अपनी टीम भेजने का फैसला किया है.
यूजीसी की टीम: जादवपुर यूनिवर्सिटी का दौरा
यूजीसी की टीम जादवपुर यूनिवर्सिटी पहुंच चुकी है. इस दौरे के दौरान, टीम के सदस्य विश्वविद्यालय के संकाय सदस्यों और छात्रों के साथ अलग-अलग बातचीत करेंगे.
यूजीसी का मिशन: रैगिंग पर स्वतंत्र जांच
जादवपुर के अंतरिम कुलपति बुद्धदेव साउ ने कहा, “यूजीसी के प्रतिनिधि पहले अधिकारियों से बात करेंगे. उसके बाद तय करेंगे कि कहां जाना है और क्या करना है.”
यूजी की नजर: अंतरिम कुलपति की धमकी
जेयू सूत्रों ने जानकारी दी है कि आयोग का मुख्य उद्देश्य एक गहन सर्वेक्षण करना है कि आयोग द्वारा निर्धारित एंटी-रैगिंग दिशानिर्देशों को जेयू में कितना लागू किया गया है. साथ ही अनुत्तरित प्रश्नों पर स्पष्टीकरण प्राप्त करना है.
जेयू की दवाब: तीन रिपोर्ट्स भेजी जा चुकी हैं
इस संबंध में विश्वविद्यालय द्वारा पूर्व में तीन रिपोर्ट भेजी जा चुकी है.
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जेयू की समस्या: सीसीटीवी कैमरों की अस्थायी स्थिति
इस बीच, जेयू के सूत्रों ने कहा कि विश्वविद्यालय के विभिन्न कोनों में 26 सीसीटीवी कैमरे लगाने के लिए निविदा जारी करने के बावजूद, वास्तविक स्थापना पर अभी भी अनिश्चितता बनी हुई है.
राज्य सरकार के साथ संघर्ष: कुलपतियों की मंजूरी
राज्य के विश्वविद्यालयों में वाइस चांसलरों की नियुक्ति को लेकर चांसलर या राज्यपाल व राज्य सरकार के बीच लंबे समय से तकरार चल रही है.
राजभवन का निर्देश: कुलपतियों की मंजूरी के बिना आदेश नहीं
राजभवन से फिर एक विज्ञप्ति जारी की गयी है. कुलपतियों को उनके संबंधित विश्वविद्यालयों के प्रधान कार्यकारी अधिकारी बताते हुए यहां राजभवन ने कहा कि इन संस्थानों के अन्य अधिकारी उनकी (कुलपतियों की) मंजूरी के बिना सरकार से सीधे आदेश नहीं लेंगे, या उन्हें लागू नहीं करेंगे.
सवालों का समाधान: स्थापना पर गहन सर्वेक्षण
परिपत्र में कहा गया है कि कुलपतियों ने विभिन्न अवसरों पर बैठकों के दौरान कुलाधिपति (राज्यपाल) के कार्यालय से कुछ मामलों पर स्पष्टीकरण मांगा था. इसमें कहा गया है कि विशेषज्ञों की कानूनी राय के आधार पर विश्वविद्यालयों के भावी मार्गदर्शन को लेकर स्पष्टीकरण जारी किये जा रहे हैं.
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