Live 7 TV
सनसनी नहीं, सटीक खबर

सतत विकास लक्ष्यों को हासिल करने में भारत ने की उल्लेखनीय प्रगति : आर्थिक सर्वेक्षण

- Sponsored -

नयी दिल्ली : केन्­द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज कहा कि नीति आयोग के सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) इंडिया इंडेक्स एवं डैशबोर्ड पर देश का स्कोर वित्त वर्ष 2020-21 में बढ़कर 66 हो गया, जो एसडीजी को हासिल करने की दिशा में उसकी प्रगति को दर्शाता है।
वित्त मंत्री ने सोमवार को संसद में आर्थिक समीक्षा 2021-22 को पेश करते हुए कहा कि नीति आयोग के एसडीजी इंडिया इंडेक्स एंड डैशबोर्ड पर भारत का स्­कोर वर्ष 2018-19 में 57 और 2019-20 में 60 से बढ़कर 2020-21 में 66 हो गया, जो सतत विकास लक्ष्­यों को हासिल करने की दिशा में उसकी प्रगति को दर्शाता है। उन्­होंने एसडीजी के अंतर्गत सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय लक्ष्­यों को हासिल करने की दिशा में भारत की प्रतिबद्धता दोहराई।
आर्थिक सीमक्षा में नीति आयोग ने एसडीजी इंडिया इंडेक्­स, 2021 पर राज्­यों और केन्­द्रशासित प्रदेशों के प्रदर्शन के बारे में अपनी टिप्­पणी में कहा है कि 65-99 स्­कोर वाले फ्रंट रनर राज्­यों और केन्­द्रशासित प्रदेशों की संख्­या वर्ष 2020-21 में 22 हो गई जबकि 2019-20 में 10 थी। केरल अग्रणी राज्­य और चंडीगढ़ अग्रणी केन्­द्रशासित प्रदेश रहे। पूर्वोत्­तर भारत में 64 जिले फ्रंट रनर और 39 जिले परफॉर्मर रहे।
समीक्षा में संरक्षण, पारिस्थितिक सुरक्षा और पर्यावरणीय स्थिरता के साथ त्­वरित आर्थिक विकास के साथ संतुलन के महत्­व को रेखांकित करते हुए बताया गया है कि पिछले एक दशक के दौरान भारत के वन क्षेत्र में उल्­लेखनीय वृद्धि हुई है और वह वर्ष 2010 से 2020 के बीच वन क्षेत्र के औसत वार्षिक शुद्ध लाभ में वैश्विक स्­तर पर तीसरे स्­थान पर है। इसी समय 2011 से 2021 के दौरान भारत के वन क्षेत्र में तीन प्रतिशत से अधिक वृद्धि हुई। ऐसा मुख्­यत: बहुत घने जंगलों में वृद्धि के कारण हुआ, जिनमें इस अवधि के दौरान 20 प्रतिशत तक वृद्धि हुई।
समीक्षा में प्रधानमंत्री की इस घोषणा को दोहराया गया है कि वर्ष 2022 तक भारत एकल उपयोग वाले प्­लास्टिक को चरणबद्ध तरीके से समाप्­त कर देगा। इस मामले पर वैश्विक समुदाय द्वारा कदम उठाए जाने की आवश्­यकता को स्­वीकार करते हुए वर्ष 2019 में आयोजित संयुक्­त राष्­ट्र पर्यावरण सभा में भारत ने एक प्रस्­ताव- एकल उपयोग वाले प्­लास्टिक उत्­पादों से होने वाले प्रदूषण से निपटना पारित किया। घरेलू स्­तर पर प्­लास्टिक अवशिष्­ट प्रबंध संशोधन नियम, 2021 को अधिसूचित किया गया, जिसका उद्देश्­य एकल उपयोग वाले प्­लास्टिक को चरणबद्ध रूप से समाप्­त करना है। प्­लास्टिक पैकेंिजग हेतु विस्­तारित उत्­पादक उत्­तरदायित्­व पर विनियमन का मसौदा भी अधिसूचित किया गया। यह कदम प्­लास्टिक पैकेंिजग अपशिष्­ट की सक्र्­युलर अर्थव्­यवस्­था को मजबूत करने, प्­लास्टिक और टिकाऊ पैकेंिजग के नये विकल्­पों के विकास को बढ़ावा देने के लिए उठाया गया।
समीक्षा में कहा गया है कि भूजल संसाधन प्रबंधन और मूल्­यांकन इस ओर संकेत करते हैं कि राज्­यों एवं केन्­द्रशासित प्रदेशों को पुनर्भरण, भूजल संसाधनों के अत्­यधिक दोहन पर रोक लगाने सहित अपने भूजल संसाधनों का सावधानीपूर्वक प्रबंधन करने की आवश्­यकता है। आकलनों में भारत के पश्चिमोत्­तर और दक्षिणी भागों में भूजल संसाधनों के अत्­यधिक दोहन की बात सामने आई है। मानसून के महीनों के दौरान जलाशय का लाइव भंडारण अपने चरम पर होता है और गर्मियों के महीनों में सबसे कम होता है। इसलिए जलाशयों के भंडारण, रिलीज और उपयोग की सावधानीपूर्वक योजना बनाने तथा समन्­वय करने की आवश्­यकता है।
आर्थिक समीक्षा में नमामि गंगे मिशन की स्­थापना के बाद से उसके अंतर्गत अनेक सीवेज अवसंरचना परियोजनाएं बनाए जाने को रेखांकित करते हुए गंगा और उसकी सहायक नदियों के किनारे स्थित अत्­यधिक प्रदूषणकारी उद्योगों (जीपीआई) के अनुपालन में सुधार होने पर प्रकाश डाला गया है, जो वर्ष 2017 में 39 प्रतिशत से 2020 में 81 प्रतिशत हो गया। अपशिष्­ट निर्वहन में भी कमी आई है। यह 2017 के 349.13 एमएलडी से कम होकर 2020 में 280.20 एमएलडी हो गया।
देशभर में 2024 तक पार्टिकुलेट मैटर सांद्रता में 20-30 प्रतिशत कटौती का लक्ष्य हासिल करने के लिए सरकार ने राष्­ट्रीय स्­वच्­छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) शुरू किया था। यह कार्यक्रम 132 शहरों में लागू किया जा रहा है। देश में विभिन्­न स्रोतों से होने वाले वायु प्रदूषण पर काबू पाने और उसमें कमी लाने के लिए कई अन्­य कदम भी उठाए जा रहे हैं, जिनमें वाहन से होने वाला उत्­सर्जन, धूल और कचरे को जलाने से होने वाला प्रदूषण तथा परिवेषी वायु गुणवत्­ता की निगरानी शामिल हैं।
भारत ने उत्­सर्जन में कमी लाने के लिए वर्ष 2015 में पेरिस समझौते के अंतर्गत अपना प्रथम राष्­ट्रीय स्­तर पर निर्धारित योगदान (एनडीसी) घोषित किया और वर्ष 2021 में 2030 तक हासिल किये जाने वाले महत्­वकांक्षी लक्ष्­यों की घोषणा की। समीक्षा में वन-वर्ड-मूवमेंट: लाइफ शुरू करने की आवश्­यकता रेखांकित की गई है, जिसका आशय है पर्यावरण के लिए जीवन शैली, जो बिना सोचे-समझे और विनाशकारी खपत के स्­थान पर सावधानीपूर्वक और सोद्देश्यीपूर्ण उपयोग का अनुरोध करती है।
समीक्षा में इस बात का कभी उल्­लेख किया गया है कि भारत ने जलवायु के संबंध में अंतर्राष्­ट्रीय सौर सहयोग (आईएसए), आपदा प्रतिरोधी बुनियादी ढांचे के लिए गठबंधन (सीडीआरआई) और उद्योग संक्रमण के लिए नेतृत्­व समूह (लीड आईटी समूह) के अंतर्गत वैश्विक स्तर पर नेतृत्वकारी प्रदर्शन करता आ रहा है। वित्­त मंत्रालय, आरबीआई और सेबी ने भी संधारणीय वित्­त के क्षेत्र में कई कदम उठाए हैं।

Looks like you have blocked notifications!

- Sponsored -

- Sponsored -

Comments are closed.