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नयी दिल्ली : राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा है कि कोरोना महामारी की चुनौतियों से निपटने के दौरान देश की क्षमता दिखायी दी है और भारत से 180 देशों को संबंधित दवाइयों की आपूर्ति की जा रही है।
राष्ट्रपति ने सोमवार को बजट सत्र में पहले दिन संसद के संयुक्त अधिवेशन को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार देश में स्वास्थ्य सेवाओं का बुनियादी ढांचा मजबूत कर रही है। देश के फार्मा क्षेत्र ने अपनी उल्लेखनीय क्षमता प्रदर्शित की है। भारत में बन रहे कोविड टीके पूरी दुनिया को महामारी से मुक्त कराने और करोड़ों लोगों का जीवन बचाने में अहम भूमिका निभा रहे हैं। भारत से लगभग 180 देशों को दवाओं की आपूर्ति की जा रही है।
उन्होेंने कहा कि कोरोना काल में भारतीय फार्मा क्षेत्र ने अपनी श्रेष्ठता साबित की है। इस क्षेत्र में भारत के लिए संभावनाएं कहीं अधिक व्यापक हैं। फार्मा उद्योग के लिए सरकार की उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजनाओं से इन संभावनाओं को विस्तार मिलेगा और शोध को भी गति मिलेगी। सरकार के प्रयासों के परिणामस्वरूप योग, आयुर्वेद एवं पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों की लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है। वर्ष 2014 में देश से 6600 करोड़ रुपए के आयुष उत्पादों का निर्यात होता था, जो बढ़कर 11 हजार करोड़ रुपए से अधिक हो गया है। दुनिया के सबसे पहले ‘विश्व स्वास्थ्य संगठन परंपरागत औषधि वैश्विक केंद्र ’ की स्थापना भी भारत में होने जा रही है।
उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी ने पूरी दुनिया को प्रभावित किया है, और भारत में भी लोगों ने बहुत से अपनों को हमसे खोया है। इन परिस्थितियों में केंद्र से लेकर राज्यों तक सभी सरकारों, स्थानीय शासन और प्रशासन, डॉक्टर्स, नर्सेज़ और हेल्थ वर्कर्स, वैज्ञानिकों और उद्यमियों सभी ने एक समूह के रूप में काम किया है। उन्होेंने कहा, ‘‘ सरकार और नागरिकों के बीच यह परस्पर विश्वास, समन्वय और सहयोग, लोकतन्त्र की ताकत का अभूतपूर्व उदाहरण है। इसके लिए, मैं देश के प्रत्येक स्वास्थ्य और अग्रिम पंक्ति के योद्धाओं का, हर देशवासी का अभिनंदन करता हूँ।’’ राष्ट्रपति ने कहा कि कोविड के खिलाफ इस लड़ाई में भारत के सामर्थ्य का प्रमाण कोविड टीकाकरण अभियान में नजर आया है। एक साल से भी कम समय में 150 करोड़ से भी ज्यादा कोविड टीके लगाने का रिकॉर्ड पार किया गया है। आज भारत पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा कोविड टीका देने वाले अग्रणी देशों में से एक हैं। इस अभियान की सफलता ने देश को एक ऐसा रक्षा-कवच दिया है जिससे हमारे नागरिकों की सुरक्षा भी बढ़ी है और उनका मनोबल भी बढ़ा है। देश में 90 प्रतिशत से अधिक वयस्क नागरिकों को कोविड टीके की एक खुराक मिल चुकी है, जबकि 70 प्रतिशत से अधिक लोग दोनों टीके ले चुके हैं।
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उन्होंने कहा कि ‘हर घर दस्तक अभियान’ के माध्यम से सरकार बाकी लोगों तक भी पहुंच रही है। टीकाकरण अभियान में 15 से 18 वर्ष तक के किशोर-किशोरियों को भी शामिल किया गया है। साथ ही, अग्रिम पंक्ति के योद्धाओं और बीमारियों से ग्रस्त वरिष्ठ नागरिकों के लिए अतिरिक्त टीके की शुरुआत भी की गई है। अब तक देश में कुल आठ टीकों को आपात प्रयोग के लिए स्वीकृति मिल चुकी है। भारत में बन रही तीन वैक्सीन्स को विश्व स्वास्थ्य संगठन की तरफ से आपात स्थिति में उपयोग की मंजूरी भी मिली है। भारत में बन रही ये टीके पूरी दुनिया को महामारी से मुक्त कराने और करोड़ों लोगों का जीवन बचाने में अहम भूमिका निभा रहे हैं।
उन्होेंने कहा कि कोरोना महामारी से निपटने के लिए सरकार के प्रयास केवल तात्कालिक चुनौतियों तक सीमित नहीं हैं। इसीलिए, ऐसे दूरदर्शी समाधान तैयार किया जा रहे हैं जो भविष्य के लिए भी प्रभावी और उपयोगी रहें। सरकार का 64 हजार करोड़ रुपए की लागत से शुरू किया गया प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत – हेल्थ इनफ्रास्ट्रक्चर मिशन इसका एक सराहनीय उदाहरण है। इससे न केवल वर्तमान की स्वास्थ्य संबंधी जरूरतों को पूरा करने में मदद मिलेगी, बल्कि आने वाले संकटों के लिए भी देश को तैयार किया जा सकेगा।
उन्होेंने कहा कि सरकार की संवेदनशील नीतियों के कारण देश में अब स्वास्थ्य सेवाएँ जन साधारण तक आसानी से पहुंच रही हैं। अस्सी हजार से अधिक ‘हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर्स’ और करोड़ों की संख्या में जारी आयुष्मान भारत कार्ड से गरीबों को इलाज में बहुत मदद मिली है। सरकार ने 8000 से अधिक जन-औषधि केंद्रों के माध्यम से कम कीमत पर दवाइयां उपलब्ध कराकर, इलाज पर होने वाले खर्च को कम किया है। सुलभ और सुगम स्वास्थ्य सेवाओं के लिए उठाया गया ‘आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन’ भी एक बड़ा कदम है।
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