- Sponsored -
संयुक्त राष्ट्र:विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर ने कहा है कि भारत अगले साल संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आतंकवाद-रोधी समिति (सीटीसी) के अध्यक्ष के रूप में कार्यभार संभालेगा और गुरुवार को आतंकवाद विरोधी विषय पर आयोजित मंत्रिस्तरीय बैठक में जिन तथ्यों का जिक्र किया गया, उनका इस्तेमाल उसमें किया जाएगा। श्री जयशंकर ने गुरुवार को यहां कहा,‘ भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की आतंकवाद विरोधी समिति की अध्यक्षता करेगा।
हम 2022 में ट्यूनीशिया से पदभार ग्रहण कर रहे हैं और हम आज की बैठकों सेसीटीसी की अध्यक्षता के दौरान लाभ प्राप्त करने की उम्मीद करते हैं।’ गौरतलब है कि अमेरिका पर सितंबर 2001 के आतंकवादी आतंकी हमलों के बाद स्थापित सीटीसी, संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों की अपनी सीमाओं और क्षेत्रों में आतंकवादी कृत्यों को रोकने में उनकी क्षमता को बढ़ाने के लिए काम करता है।
- Sponsored -
इसमें जिन महत्वपूर्ण विषयों पर ध्यान दिया जा रहा है, उनमें आतंकवाद के वित्त पोषण पर रोक लगाना, सीमा सुरक्षा और हथियारों की तस्करी, कानून प्रवर्तन, विधि संबंधी मुद्दे, मानवाधिकार, आतंकवाद का सामना करने के लिए लैंगिक विषयों को समाहित करना, ंिहसक अतिवादी और आतंकवादी कृत्यों को रोकना, सूचना और संचार संबधी प्रौद्योगिकियों के बारे में जानकारी साझा करना तथा विदेशी आतंकवादियों और उनकी रणनीतियों से निपटने संबंधी मुद्दे हैं।
श्री जयशंकर ने कहा कि उन्हें यह जानकर खुशी हुई कि ‘परिषद द्वारा एक बहुत मजबूत, वास्तविक, स्पष्ट बयान को अपनाया गया है, जिसमें कई प्रमुख चिंताओं को रेखांकित किया गया है, विशेष रूप से आतंकवादी वित्तपोषण पर कड़ाई से रोक सुनिश्चित करने और आतंकवादी हमलों के अपराधियों को न्याय के दायरे में लाने की आवश्यकता है।उन्होंने कहा,‘ आतंकवादी गतिविधियों के कारण अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए खतरे’ पर बैठक के दौरान, यूएनएससी के सभी सदस्यों ने एक स्वर से आतंकवाद को किसी भी रूप में कतई भी बर्दाश्त नहीं करने का समर्थन किया है। ’
- Sponsored -
उन्होंने कहा, ‘ हम इस बात को लेकर पूरी तरह स्पष्ट हैं कि आतंकवाद पर दोहरे मानदंड नहीं हो सकते हैं। जयशंकर ने कहा कि यह बैठक बहुत ही अच्छे समय पर की गई है क्योंकि दो दिनों में पूरा विश्व आतंकवाद से पीड़तिों के लिए चौथा अंतरराष्ट्रीय स्मरण और श्रद्धांजलि दिवस मनाएगा। ’ उन्होंने कहा, ‘ एक ऐसे देश के रूप में जिसने सीमा पार आतंकवाद का दंश झेला है, यह हमेशा ही भारत के लिए प्राथमिकता का मुद्दा रहा है और आगे भी रहेगा और निश्चित रूप से हमारी सुरक्षा परिषद की सदस्यता में से एक होगा। ’
- Sponsored -
Comments are closed.