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शाहिर रजा खान
कुडू – लोहरदगा : कुडू वनक्षेत्र में लकड़ी माफियाओं के हौसले कितने ज़्यादा बुलंद है इसकी एक बानगी फिर देखने को मिली। दो दिन पूर्व जिस चंदन के पेड़ को माफियाओं ने आधा काटकर छोड़ रखा था इसे जड़ संहित उखाड़कर चलते बने। करीब एक दशक के लंबे अंतराल के बाद टाटी स्थित स्थायी पौधशाला से रविवार 3 जुलाई को एक बार फिर चंदन के पेड़ की कटाई शुरू हो गई। चोर एक पेड़ को काटकर ले गए जबकि दूसरे को ले जाने में असफल रहे और जड़ खोदकर छोड़ दिया था। तब वन विभाग के अधिकारी सतर्क हुए और आधे कटे पेड़ की जड़ में मिटटी भरने का काम किया लेकिन इन माफियाओं के विरुद्ध कोई कार्रवाई न होने के कारण उनके हौसले बुलंद रहे और एक दिन बाद ही स्थायी पौधशाला के पक्षमि छोर से कैरो जाने वाली मुख्य सड़क के किनारे लगे एक और स्वेत चंदन के पेड़ पर निडरता पूर्वक आरी चला दी। इस बार चोरों ने ठूंठ तक को नहीं छोड़ा उसे भी उखाड़कर चलते बने। एक ओर केन्द्र व राज्य की सरकारें पेड़-पौधों को संरक्षित रखने के लिए तरह-तरह के उपाय कर रही है वहीं विभाग प्रतिवर्ष लाखों खर्च कर वन महोत्सव मनाता है। इस दौरान लाखों पौधे लगाने के संकल्प लिए जाते हैं। इधर लकड़ी माफिया अपनी जेबें गरम करने के लिए क्या छोटा क्या बड़ा पेड़ पौधों की बली चढाने से गुरेज़ नहीं कर रहे हैं। हालांकि एक बड़ा तबका कोरोना महामारी के दौरान पेड़ पौधों के उत्थान और सम्मान के लिए जागरूक हुआ हैं। पौधो को काटकर इंसानी बस्तियां बसाने वाले इंसानो को इसकी भारी क़ीमत अदा करने के बाद शायद अपनी ग़लती का एहसास हुआ, कल तक पेड़ पौधों से दूर दूर तक कोई वास्ता नहीं रखने वाले भी अब क़ुदरत का क़र्ज़ उतारने की नियत से पेड़ पौधे लगाने लगे हैं। वहीं जिन्हें आज भी अपना मतलब से ही सरोकार है वे पर्यावरण समाज और इंसानियत के दुश्मन बने बैठे हैं। इनसे सखती से निपटने और इनके विरुद्ध कठोर कार्रवाई करने की ज़रूरत है। वरना पेड़ काटने का यही सिलसिला चलता रहा तो आने वाले समय में सरकारी तो सरकारी निजी ज़मींन पर भी पेड़ नहीं बचेंगे।
डेढ़ दशक पहले ही आधा सैकड़ा चंदन पेड़ काटकर तस्करों ने पुरे पौधशाला को कर दिया है वीरान
झारखंड राज्य के लिए दुर्लभ स्वेत चंदन पेड़ कुडू के टाटी नर्सरी और इसके आस-पास के इलाके में बड़ी संख्या में था। लेकिन लगभग डेढ दशक पहले से अंतरप्रांतीय तस्कर गिरोह की नजर यहा के चंदन पेड़ो में लग गयी। और एक-एक कर नर्सरी और आस-पास के 50 से अधिक सभी तैयार पेड़ो को काटकर ले गए और पूरे नर्सरी को वीरान कर दिया। पहली बार 9 जुलाई 2007 को टाटी नर्सरी से चंदन पेड़ काटकर ले जाने के क्रम में पुलिस को तीन तस्करों को पकड़ने में सफलता मिली थी। पकड़े गए तस्करों में एक उत्तरप्रदेश के कानपुर का और दो झारखंड के रहने वाले थे। इनके पास से चाइना निर्मित लोडेड सिक्सर, यूपी नंबर का एक हुंडई कार, पिकप वैन, पेड़ काटने का चार ऑटोमैटिक मशीन आदि बरामद किया था। इस मामले में तस्करों का साथ देने के आरोप में नर्सरी के माली जयश्री सेवार उसके भाई व अन्य कई लोगो की भी गिरफ्तारी हुई थी। इसके बाद लगभग पांच वर्षों तक चंदन पेड़ काटने की घटना लगभग रुक से गया था। और नर्सरी में बचे चंदन पेड़ भी काफी छोटे-छोटे थे। फिर 2 नवंबर 2014 में नर्सरी के नजदीक तरुण लाल की निजी ज़मींन पर लगे चन्दन के पेड़ को चोर काटकर अपने साथ ले गए थे। 31 मई वर्ष 2016 की रात हाता टोली स्थित अशोक मिश्रा के मिश्रा उद्यान नर्सरी से चोरों ने लाखों रु की कीमत के 3 कीमती पेड़ को काट लिया था। कुछ माह बाद टाटी नर्सरी से सटे अजीत सिंह के आवास परिसर का दो पुराने चंदन के पेड़ों को तस्करों ने हथियारों के नोक पर काट लिया था। विरोध करने पर घर मालिक अजित सिंह को धारदार हथियार से मारकर घायल कर दिया था।
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