नीति आयोग के ताजा पॉवर्र्टी इंडेक्स में बिहार फिसड्डी, सीएम नीतीश ने जताई नाराजगी, तरीके पर उठाए सवाल
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रिपोर्ट आने के बाद से विपक्ष है सरकार पर हमलावर
नई दिल्ली : नीति आयोग ने हाल में अपनी पहली मल्टी डाइमेंशनल पॉवर्टी इंडेक्स (एमपीआई) रिपोर्ट जारी की है। इसमें बिहार का रिपोर्ट कार्ड बहुत खराब रहा है। इसके बाद से ही हंगामा मचा हुआ है। सत्तारूढ़ दल के नेताओं को खासतौर से यह बात पसंद नहीं आई है। उन्होंने इसे तय करने के तौर-तरीकों पर सवाल उठाए हैं। क्या राज्य के नेताओं के दावों में वाकई दम है? नीति आयोग का यह इंडेक्स क्या सही तस्वीर नहीं दिखाता है? इन सवालों का जवाब तभी मिल सकता है जब यह जान लिया जाए कि आखिर इस इंडेक्स को तैयार कैसे किया गया है।
कैसे बना है इंडेक्स : आइए, पहले यह जान लेते हैं कि इस इंडेक्स में कौन-कौन से इंडिकेटर हैं और यह बना कैसे है। एमपीआई (पॉवर्टी इंडेक्स) में तीन डाइमेंशन हैं। हेल्थ, एजुकेशन और स्टैंडर्ड आॅफ लिविंग। इंडेक्स में तीनों डाइमेंशन का वेटेज यानी वजन बराबर-बराबर एक-तिहाई है। फिर इन तीन डाइमेंशन को अलग-अलग इंडिकेटर में बांटा गया है। हेल्थ में न्यूट्रीशन, चाइल्ड एडोलसेंट मॉर्टेलिटी और एंटीनेटल केयर तीन इंडिकेटर शामिल हैं। एजुकेशन में स्कूल जाने के साल और स्कूल की अटेंडेंस हैं। स्टैंडर्ड आॅफ लिविंग में कुकिंग फ्यूल, सेनिटेशन, ड्रिकिंग वॉटर, इलेक्ट्रिसिटी, हाउसिंग, एसेट्स और बैंक अकाउंट हैं। इस तरह इसमें कुल मिलाकर 12 इंडिकेटर हैं। देश के पहले नेशनल एमपीआई की यह बुनियादी रिपोर्ट राष्टÑीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण की 2015-16 की संदर्भ अवधि पर आधारित है।
रिपोर्ट कार्ड में बिहार के बाद झारखंड
इंडेक्स से पता चलता है कि बिहार की 51.9 फीसदी आबादी गरीब है। इस लिहाज से यह अव्वल है। इसके बाद झारखंड (42.16%), उत्तर प्रदेश (37.79%), मध्य प्रदेश (32.67%), मेघालय (32.67%) और असम (32.67%) का नंबर आता है। केरल, गोवा, सिक्किम, तमिलनाडु और पंजाब में सबसे कम गरीबी है। ये इंडेक्स में सबसे नीचे हैं।
सीएम नीतीश कुमार ने उठाए सवाल
बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने नीति आयोग की मेथडोलॉजी पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा है कि सारे देश को आप एक ही तराजू में नहीं तौल सकते हैं। उन्होंने बिहार की स्थिति को लेकर तर्क दिया। उन्होंने कहा कि बिहार आबादी की दृष्टिकोण से तीसरे नंबर पर है। यानी यूपी और महाराष्ट्र के बाद उसका नंबर आता है। वहीं, क्षेत्रफल के हिसाब से वह 12वें नंबर पर है। एक वर्ग किमी में बिहार में जो आबादी है, वह देश में कहीं नहीं है। इन परिस्थितियों को ध्यान में रखना होगा।
विपक्ष हो गया है हमलावर
बिहार में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव सहित पूरा विपक्ष नीतीश को घेरने में जुट गया है। तेजस्वी यादव बोले हैं कि नीतीश को इस पर जवाब देना चाहिए। आखिर नीतीश के इतने दिनों के शासन के बाद भी बिहार पीछे क्यों है।
आरजेडी प्रमुख व पूर्व सीएम लालू प्रसाद यादव ने भी राज्य सरकार पर तंज कसते हुए कहा, नीति आयोग सहित मूल्यांकन करने वाली अनेक प्रतिष्ठित संस्थाओं की बेरोजगारी, गरीबी, विकास, विधि व्यवस्था, शिक्षा एवं स्वास्थ्य क्षेत्रों की बहुआयामी रिपोर्ट्स में लगातार बिहार देश में सबसे निचले पायदान पर है। नीतीश कुमार को अब चुल्लू भर पानी में डूब मरना चाहिए।
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