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थैलेसीमिया एक गंभीर रक्त विकार है, जो एक अनुवांशिक विकार भी है। यह बीमारी पंजाब, पश्चिम बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश, दक्षिणी मध्य पश्चिम राज्यों की आदिवासी आबादी में अधिक प्रमुख है। इस बीमारी के शुरुआती लक्षण हो सकते हैं, हड्डियों में समस्याएँ, कमजोर हड्डियाँ, देर या मंद शारीरिक विकास आदि।
थैलेसीमिया के कारण
थैलेसीमिया बीमारी गंभीर होती है, जब बच्चे को माता-पिता दोनों से दो उत्परिवर्तन जीन मिलते हैं। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, यह बीमारी जब बच्चे को जन्म देते समय ग्रहों की स्थिति के कारण होती है।
ग्रहों का प्रभाव
मंगल ग्रह रक्त का स्वामी है, और यदि इसका प्रभाव नकारात्मक हो तो रक्त में विकार हो सकता है। मंगल के साथ कमजोर चंद्रमा, नीच शनि या नीच सूर्य का प्रभाव जब पड़ता है, तो भी रक्त में विकार हो सकता है।
कुंडली मिलान का महत्व
थैलेसीमिया बीमारी से प्रभावित बच्चों के माता-पिता की शादी के समय गुण मिलान का महत्व होता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, अगर गण मिलान उत्तम नहीं होता या फिर चन्द्रमा के नक्षत्रों में विरोधाभास हो, तो इससे बच्चे को थैलेसीमिया की समस्या हो सकती है।
उपचार और उपाय
थैलेसीमिया के उपचार के लिए नियमित रक्त चढ़ाने की आवश्यकता होती है। बच्चों को हर 10 से 15 दिन में रक्त चढ़ाना पड़ता है। सही उपचार लेने पर बच्चे लम्बे समय तक जीवित रह सकते हैं।
ज्योतिष का योगदान
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कुंडली में ग्रहों की स्थिति और राशियों का प्रभाव बच्चे के स्वास्थ्य पर भी असर डालते हैं। मंगल, शनि और अन्य पाप ग्रहों के प्रभाव से बच्चे को थैलेसीमिया जैसी बीमारियां हो सकती हैं।
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