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फर्जी एफआईआर मामले में कोर्ट ने पुलिस अधिकारियों को माना दोषी, हजारीबाग सादर सीजीएम ने जारी किया समन

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रांची: हज़ारीबाग़ के बड़कागांव थाना में  कांड संख्या 135/16 को तत्कालीन कार्यपालक दंडाधिकारी कुमुद झा के आवेदन को बदलकर अन्य लोगों को अभियुक्त बनाकर तत्कालीन थाना प्रभारी रामदयाल मुंडा द्वारा मामला दर्ज  करने के मामले में मंटू सोनी द्वारा दर्ज परिवादवाद पर बयान और गवाहों को सुनने के बाद ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट सुश्री शिवानी शर्मा की कोर्ट ने पुलिस अधिकारियों को प्रथम दृष्टया दोषी मानते हुए संज्ञान लिया है. संज्ञान लेने के साथ उन्हें सम्मन जारी करने का आदेश जारी किया है। कोर्ट ने तत्कालीन थानेदार(वर्तमान मधुपुर, देवघर इंस्पेक्टर रामदयाल मुंडा,तत्कालीन थानेदार अकील अहमद वर्तमान में स्पेशल ब्रांच मुख्यालय इंस्पेक्टर,तत्कालीन कार्यपालक दंडाधिकारी वर्तमान गढ़वा प्रखंड विकास पदाधिकारी कुमुद झा,तत्कालीन इंस्पेक्टर अखिलेश सिंह(अब सेवानिवृत्त) एनटीपीसी के तत्कालीन जीएम टी गोपाल कृष्ण पर धारा 166,166 ए,167 218 और 220 पर प्रथम दृष्टया दोषी मानते हुए संज्ञान लेते हुए सम्मन जारी करने का आदेश दिया है. अधिवक्ता अनिरुद्ध कुमार,पवन यादव,रंजन कुमार ने कोर्ट को बताया कि परिवादवाद में दर्ज सभी आरोपी अधिकारी स्वयं अपने अपराध को अपने बयानों,केस रिकॉर्ड में उपलब्ध साक्ष्यों और कोर्ट गवाही में स्वीकरोक्ति बयानों से स्पष्ट कर चुके हैं. सूचक मंटू सोनी ने कोर्ट को बताया कि परिवादवाद संख्या 2252/15 के मामले में एफआईआर करने के कोर्ट आदेश को पेंडिंग रखते हुए रामदयाल मुंडा ने पद का दुरूपयोग कर आपराधिक साजिश कर कार्यपालक दंडाधिकारी कुमुद झा के हस्तलिखित आवेदन को बदलकर मंटू सोनी के अलावे 29 अन्य लोगों को अभियुक्त बनाने का अपराध किया है. जिसकी पुष्टि खुद अपराधी रामदयाल मुंडा ने केस डायरी के पैरा एक मे कुमुद झा द्वारा हस्तलिखित आवेदन प्राप्त होने की बात लिख साबित किया है. जिसकी पुष्टि कुमुद झा ने कोर्ट में अपने बयान में पुष्टि करते हुए कहा था उनके लिखित आवेदन को बदलकर थानेदार ने अपने मुंशी से टाइप करवाकर एफआईआर किया था. हालांकि एफआईआर और कोर्ट में कुमुद झा का अलग-अलग सिग्नेचर है. एफआईआर कॉपी में सिग्नेचर और डेट लिखावट कोर्ट में किए सिग्नेचर और डेट लिखावट में फर्क स्पष्ट नजर आता है.
इस प्रकरण में मंटू सोनी ने हज़ारीबाग़ सदर सीजीएम ऋचा श्रीवास्तव की अदालत में परिवादवाद संख्या 1644/22 दायर किया था । जिसके बाद परिवादवाद ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट सुश्री शिवानी शर्मा की कोर्ट में ट्रांसफर किया गया था.  जिसमे तत्कालीन कार्यपालक दंडाधिकारी कुमुद झा,थानेदार रामदयाल मुंडा,अकील अहमद,इंस्पेक्टर अखिलेश सिंह,एनटीपीसी के जीएम टी गोपाल कृष्णा सहित अन्य को आरोपी बनाया गया है.
दंडाधिकारी कुमुद झा के आवेदन को बदल जोड़ दिया था अन्य लोगों का नाम

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बड़कागांव के तत्कालीन थानेदार रामदयाल मुंडा ने तत्कालीन कार्यपालक दंडाधिकारी कुमुद कुमार झा द्वारा थाना में दिए आवेदन को बदलकर थाना के मुंशी से मंटू सोनी व अन्य अभियुक्तों के नाम लिखवाकर कुमुद झा से हस्ताक्षर करवा लिया था.  कुमुद झा ने कांड संख्या 135/16 में ट्रायल के दौरान कोर्ट में दिए गवाही में स्वीकार किया है. जिसमें उन्होंने कहा कि मेरे द्वारा थाना में दिए आवेदन में दो लोगों का नाम था. थाना प्रभारी ने मेरे आवेदन को हटाकर मुंशी से अन्य लोगों का नाम लिखवाकर हस्ताक्षर करवा लिया था.

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प्रथम दृष्टया दोषी अधिकारियों को कराना होगा बेल या जाना होगा जेल
हज़ारीबाग़ मजिस्ट्रेट शिवानी शर्मा की कोर्ट ने सूचक,गवाहों को सुनने के बाद कॉग्निजेंस बहस में अधिवक्ता अनिरुद्ध कुमार,पवन यादव को सुनने के बाद रामदयाल मुंडा,अकील अहमद,अखिलेश सिंह,कुमुद झा और एनटीपीसी के जीएम टी गोपाल कृष्ण को प्रथम दृष्टया दोषी मानते हुए संज्ञान लिया है. हालांकि परिवादवाद में  कानूनी प्रोविजन का हवाला देते हुए आईपीसी 195 के तहत कई अन्य धाराओं को कोर्ट ने संज्ञान नही लिया. संज्ञान लेने के बाद सम्मन जारी होते हुए दोषी अधिकारियों को बेल कराना होगा या उन्हें जेल भी जाना पड़ सकता है.
गृह सचिव,डीजीपी के निर्देश के बाद आरोपी अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं कर रही हज़ारीबाग़ पुलिस- अधिवक्ता अनिरुद्ध कुमार
बड़कागांव थाना कांड संख्या 135/16 में कूट रचना,झूठे सबूत गढ़ने और गलत तरीके से पद का दुरूपयोग कर लोगों पर मुकदमा दर्ज करने के मामले में एक तरफ जहां ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट सुश्री शिवानी शर्मा की अदालत ने आरोपी सभी अधिकारियों को प्रथम दृष्टया दोषी मानते हुए संज्ञान लिया है,वहीं मुख्य सचिव,डीजीपी,गृह सचिव द्वारा आरोपियों पर विभागीय एक्शन और एफआईआर के निर्देश के बाद भी हज़ारीबाग़ पुलिस दोषी अधिकारियों को बचा रही है और अभी तक कोई कार्रवाई करने से बच रही है. उक्त बातें बताते हुए अधिवक्ता अनिरुद्ध कुमार ने कहा है कि हज़ारीबाग़ पुलिस आरोपियों को बचाने में लगी हुई है. अगर एक अब भी कार्रवाई नही करती है तो दोषियों को बचाने वाले अधिकारियों को पार्टी बनाते हुए हाईकोर्ट में रिट दायर करेंगे. किसी भी कीमत में दोषियों को उनके किए की सजा दिलाकर रहेंगे.
आंदोलन को आमदनी का जरिया और धरना को धंधा बनाने वालों ने यहां के रैयतों को मुकदमों में उलझा कर अपने धंधे में लग गए हैं,घड़ियाली आंसू बहाकर जनता को फिर से गुमराह किया जा रहा है. घायलों-मृतकों को भुलाकर राजनीति रोटी सेंकने वालों को कभी भी राजनीतिक रोटी सेंकने नही दिया जाएगा,उनकी हर चालबाजी को उजागर किया जाएगा.
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