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भारत सरकार द्वारा वर्ष 2018 में कराये गये सर्वे में देशभर के 115 जिले को अति पिछडे जिला मे पश्चिमी सिंहभूम चौथे स्थान पर, कुपोषण में भी पहला
थर्ड वेब में सबसे अधिक 0 से 18 वर्ष के बच्चों के संक्रमित होने की संमभावना , राज्य भर में 7 लाख से अधिक बच्चों के संक्रमित होने का अंदेशा
चाईबासा : झारखंड में कोरोना वायरस की थर्ड वेव के आने से पूर्व ही स्वास्थ चिकित्सा विभाग में बड़ा फेरबदल की तैयारी हो रही है. स्वास्थ्य विभाग के अनुसार कोरोना की तीसरी लहर में सबसे अधिक 0 से 18 वर्ष के बच्चों के संक्रमित होने की संमभावना है. साथ ही पूरे राज्य में 7 लाख से अधिक बच्चों के संक्रमित होने का अंदेशा लगाया गया है. इसी बीच राज्य के स्वास्थ्य विभाग के द्वारा लंबे समय से एक ही जिले या स्थान पर पदस्थापित चिकित्सकों की तबादले की तैयारी की जा रही है.जिसका खामियाजा पश्चिमी सिंहभूम जिले के नौनिहालों को भुगतना पड़ सकता है. उपसचिव सीमा कुमारी उदयपुरी ने पिछले 28 जून 2020 को जिले के प्रभारी सिविल सर्जन डॉ ओमप्रकाश गुप्ता को पत्र भेजकर 10 वर्षों या अधिक समय से एक ही स्थान पर पदस्थापित चिकित्सकों की सूची तैयार करने का निर्देश दिया है. साथ ही चिकित्सकों के पदस्थापना को लेकर उनसे इच्छुक पांच विकल्प प्राप्त करने को कहा है. कुपोषित बच्चों के लिए झारखंड का पश्चिमी सिंहभूम जिला राज्य ही नहीं, बल्कि परे देशभर में जाना जाता है.
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जिले में 5 वर्ष से कम उम्र के करीब 35 हजार बच्चे कुपोषण की जद मे
भारत सरकार द्वारा वर्ष 2018 में कराये गये एक सर्वे में देशभर के 115 जिले को अति पिछला जिला घोषित किया गया था. जिसमें पश्चिमी सिंहभूम जिले को चौथे स्थान प्राप्त है. जिले में पांच वर्ष से कम उम्र के करीब 35 हजार बच्चे ऐसे हैं जो कुपोषण की जद में हैं. नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (एनएफएचएस)-4 की रिपोर्ट के अनुसार, जिले में 0-5 आयु वर्ष के 37 फीसद बच्चे कुपोषित हैं. यानी लंबाई और ऊंचाई के अनुसार इनका वजन बहुत कम है और इनकी इम्युनिटी पावर भी काफी कम है. यह आंकड़ा भयावह हैं और पश्चिमी सिंहभूम जिले को पूरे झारखंड में पहले पायदान पर खड़ा करता है. आंकड़ों के मुताबिक जिले में करीब 13.1 फीसद बच्चे अति गंभीर कुपोषित हैं. यानी कोरोना के तीसरी लहर के दौरान अगर सही तरीके से इनकी निगरानी नहीं हुई तो इनका जीवन खतरे में पड़ सकता है. ऐसे में जिले में कुपोषण की दर को देखते हुए सदर एमटीसी के प्रभारी डॉ जगन्नाथ हेम्ब्रम समेत 18 चिकित्सकों का तबादला भारी पड़ सकता है.
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प्रशिक्षित डॉक्टर, नर्स, टेक्नीशियन व नर्स सहित अन्य कर्मियों के नहीं होने के कारण वेंटिलेटर पड़े-पड़े लगे जंग
कोरोना की तीसरी लहर से निपटने के लिए पश्चिमी सिंहभूम जिला मुख्यालय स्थित सदर अस्पताल के पुरूष वार्ड को 40 बेडड पेडियाट्रिक इंटेंसिव केयर यूनिट (पीआइसीयू) में तब्दील किया जा रहा है. इसमें कोरोना संक्रमित गंभीर बच्चों के स्वास्थ्य की उचित देखभाल के लिए ऑक्सीजन बेड के साथ-साथ आइसीयू एवं वेंटिलेटर बेड मौजूद होगा, लेकिन बड़ा सवाल यह है कि विशेषज्ञ चिकित्सकों के अभाव में जिला अस्पताल में इसे चलायेगा कौन? क्या सिर्फ एनआइसीयू बना देने भर से संक्रमित बच्चों का इलाज संभव हो पायेगा. कोरोना की पहली व दूसरी लहर में सभी यह अनुभव कर चुके है, लेकिन इससे सबक लेने के बावजूद थर्ड वेब के आने से पूर्व सुधार करने की बजाय विभाग जिले में चिकित्सकों की कमी करने जा रहा है. कोरोना की पहली व दूसरी लहर के दौरान पश्चिमी सिंहभूम जिला चिकित्सकों की भारी कमी से जूझ चुका है. नतीजन स्वास्थ्य उपकरण एवं संसाधन होने के बावजूद कोरोना संक्रमित को बेहतर इलाज के लिए जमशेदपुर के एमजीएम व टीएमएच अस्पताल के अलावा रांची के रिम्स अस्पताल में रेफर करना पड़ा. दरअसल जिले में कोरोना के पहली व दूसरी लहर के बीच पर्याप्त संख्या में वेंटिलेटर तो पहुंच गया था, लेकिन उसे संचालित करने वाला कोई नहीं था जबकि आइसीयू के संचालन के लिए प्रशिक्षित डॉक्टर, नर्स, टेक्नीशियन व नर्स सहित अन्य कर्मियों की आवश्यकता होती है. जो कि जिले में नहीं होने के कारण वेंटिलेटर पड़े-पड़े जंग खाने लगे थे.
जिले में 10 वर्षों से अधिक समय से एक ही स्थान पर पदस्थापित है कुल 18 चिकित्सक
पश्चिमी सिंहभूम जिले में 10 वर्षों या इससे अधिक समय से एक ही स्थान पर पदस्थापित कुल 18 चिकित्सकों के पदस्थापना संबंधी सूची जिले के प्रभारी सिविल सर्जन डॉ ओमप्रकाश गुप्ता के द्वारा तैयार की गयी है. इसमें सदर अस्पताल, चाईबासा में पदस्थापित स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ बीके पंडित व डॉ मीरा अरूण, सदर प्रखंड के चिकित्सा पदाधिकारी सह सदर कुपोषण निवारण केंद्र के प्रभारी डॉ जगन्नाथ हेम्ब्रम, सदर अस्पताल के फिजिशियन डॉ बिरेंद्र कुमार सिंह व नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ सेलीन सोशन टोपनो के अलावा बंदगांव सीएचसी में पदस्थापित डॉ केस्टो मंगल बोदरा, दुधकुंडी पीएचसी में पदस्थापित डॉ धर्म महेश्वर महाली, जैंतगढ़ पीएचसी में पदस्थापित डॉ दीपक कुमार, मंझारी सीएचसी में पदस्थापित डॉ सनातन चातर, मंझगांव सीएचसी में पदस्थापित डॉ कृष्णा लाल व मझगांव आरएच में पदस्थापित डॉ बिरनागाना सिंकु, जराईकेला पीएचसी में पदस्थापित डॉ नरेंद्र सुम्ब्रई, छोटानागरा पीएचसी में पदस्थापित डॉ उत्पल मुर्मू, सोनुवा सीएचसी में पदस्थापित डॉ नरेश बास्के, टोंटो सीएचसी में पदस्थापित डॉ रनदीप मेलगांडी व डॉ समीर कुमार मुर्मू, जंगलहाट पीएचसी में पदस्थापित डॉ अनुप तिर्की एवं चक्रधरपुर एमएलसीयू में पदस्थापित नंदु होंहागा शामिल है. उक्त सभी चिकित्सकों से जिले के प्रभारी सिविल सर्जन डॉ ओमप्रकाश गुप्ता ने उनके इच्छुक पांच पदस्थापना विकल्प (वर्तमान के पदस्थापना स्थल को छोड़कर) चुनने को कहा है.
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