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तीन हजार करोड़ भूमि- मुआवजा घोटाला में हाईकोर्ट ने सीबीआई को पार्टी बनाने का निर्देश दिया

राज्य सरकार द्वारा एसआईटी रिपोर्ट पर कार्रवाई नही करने के बाद हाईकोर्ट में दायर हुई थी याचिका

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images 15हजारीबाग: हजारीबाग में एनटीपीसी द्वारा जमीन अधिग्रहण मामले के दौरान हुए 3000 (तीन हजार) करोड़ के भूमि-मुआवजा घोटाले मामले में दायर जनहित याचिका पर सोमवार को चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्रा के बेंच में सुनवाई हुई. याचिकाकर्ता मंटू सोनी,अनिरुद्ध कुमार की तरफ से अधिवक्ता अभिषेक कृष्ण गुप्ता और मदन कुमार ने कोर्ट में सीबीआई को प्रतिवादी बनाने का आग्रह किया. चीफ जस्टिस के बेंच ने पूरे मामले को सुनने के बाद सीबीआई को प्रतिवादी बनाने की मांग स्वीकार करते हुए दो सप्ताह बाद सुनवाई करने का समय निर्धारित कर दिया है.

एसआईटी रिपोर्ट में 3000 करोड़ के भूमि-मुआवजा घोटाले की रिपोर्ट राज्य सरकार दबा के बैठी थी

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हज़ारीबाग़ में भूमि-मुआवजा से सम्बंधित गड़बड़ियों के सामने आने के बाद वर्ष 2016 में तत्कालीन उपायुक्त मुकेश कुमार के अनुसंशा पर राज्य सरकार ने रिटायर्ड आईएएस अधिकारी देवाशीष गुप्ता की अध्यक्षता में तीन सदस्य एसआईटी टीम गठित किया था. एसआईटी टीम ने राज्य सरकार को अपनी रिपोर्ट में 3000 करोड़ के भूमि मुआवजा घोटाले किए जाने और 300 करोड़ मुआवजा बांट दिए जाने की जानकारी दी थी. राज्य सरकार द्वारा एसआईटी रिपोर्ट दबा दिया गया था. राज्य सरकार द्वारा कार्रवाई के नाम पर अब तक सिर्फ एनटीपीसी के प्रबंध निदेशक और हज़ारीबाग़ उपायुक्त को पत्राचार किया गया है. एसआईटी रिपोर्ट से राज्य सरकार इतना घबराई हुई है कि अब तक देवाशीष गुप्ता की अध्यक्षता वाली रिपोर्ट सार्वजनिक नही किया है. रिपोर्ट में कई रसूखदारों द्वारा सरकारी गैर मजरुआ खास-आम भूमि,सार्वजनिक उपयोग की जाने वाली जमीन,श्मशान घाट,स्कूल,मैदान आदि जमीनों का भी फर्जी कागजात बनाकर मुआवजा का बंदरबांट किया गया था.

पीएमओ ने मुख्य सचिव को लिखा था पत्र, फिर भी कार्रवाई नही हुई

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देवाशीष गुप्ता की अध्यक्षता वाली एसआईटी रिपोर्ट पर कार्रवाई नही किए जाने के बाद मंटू सोनी ने इसकी शिकायत पीएमओ से किया था. पीएमओ की तरफ से मुख्य सचिव को कार्रवाई करने और कार्रवाई की रिपोर्ट तलब करने के बाद भी अब तक कोई कार्रवाई नही हुई है. इधर राज्य सरकार द्वारा एसआईटी रिपोर्ट के बाद एनटीपीसी को कई बार पत्राचार किया गया लेकिन एनटीपीसी के तरफ से कोई जवाब नही दिया गया. एनटीपीसी अपनी सफाई में बस इतना कहती है कि हमने जो मुआवजा बांटा है वह राज्य सरकार के अधिकारियों के क्लियरेंस देने के बाद बांटा है. लेकिन इस सवाल का जवाब नही देती है. कि मुआवजा वितरण से पहले जमीन का भौतिक सत्यापन क्यों नही किया .

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