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रांची: कतरी जलाशय के विस्थापितों की नौकरी की मांग को लेकर दायर याचिका पर झारखंड हाइकोर्ट में गुरुवार को सुनवाई हुई। मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और न्यायाधीश एसएन प्रसाद की डबल बेंच ने मामले में राज्य सरकार के अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर कड़ी नाराजगी व्यक्त की है। अदालत ने राज्य सरकार के मुख्य सचिव और जल संसाधन सचिव को हाजिर होने का आदेश दिया है।
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अदालत ने दोनों अधिकारियों को 20 जुलाई को मामले की सुनवाई के दौरान वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से हाजिर होने के आदेश दिये हैं। उन्हें हाजिर होकर यह बताने को कहा है कि अभी तक विस्थापितों को क्यों नहीं नौकरी दी गई है? अदालत ने इनसे पूछा है कि जब 3 विस्थापितों को नौकरी दे दी गई है तो प्रार्थी को कोर्ट के आदेश पर नौकरी क्यों नहीं दी गई? मामले में अगली सुनवाई 20 जुलाई को होगी।
अधिवक्ता धीरज कुमार सुनवाई के दौरान प्रार्थी के अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि एकल पीठ ने प्रार्थी को नौकरी सहित मुआवजा देने का निर्देश दिया था, जबकि इस मामले में राज्य सरकार विज्ञापन निकाल कर नौकरी देने की बात कह रही है। इस पर अदालत ने कड़ी नाराजगी जताई। अदालत ने पूछा कि जब पुनर्वास नीति बनी है तो प्रार्थी को इसका लाभ क्यों नहीं मिला? वहीं, 3 लोगों को नियुक्ति कैसे दी गई है? प्रार्थी एसनाउल्लाह खान की जमीन का कतरी जलाशय के लिए वर्ष 1989-90 अधिग्रहण किया गया था, लेकिन प्रार्थी को अब तक नौकरी नहीं मिली है।
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