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सुरंग में फंसे 40 लोगों का मामला हाईकोर्ट पहुंचा, 48 घंटे में मांगा जवाब

HC की देखरेख में SIT से जाच की मांग

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सुरंग में फंसे मजदूरों के मामले को उत्तराखंड हाईकोर्ट ने काफी गंभीरता से लिया है. इस मामले में अदालत ने उत्तराखंड सरकार से 48 घंटों के भीतर जवाब मांगा है. उत्तरकाशी के सिलक्यारा में 12 नवंबर की सुबह जमीन धंसने से 40 मजदूर सुरंग में फंस गए थे. घटना के बाद से उन्हे निकालने की लगातार कोशिश की जा रही है परन्तु अबतक सफलता नहीं मिल पाई है.

सुरंग में नहीं था मजदूरों की सुरक्षा का इंतजाम-याचिकाकर्ता

 

 

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देहरादून की समाधान नामक गैर सरकारी संस्था (एनजीओ) की ओर से इस मामले को लेकर उत्तराखंड हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका डाली गई है. याचिका पर सुनवाई कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनोज कुमार तिवारी और न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की युगलपीठ में हुई.

याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि निर्माण से पहले टनल में मजदूरों की सुरक्षा के लिये कोई उपाय नहीं किये गये और न ही ऐसे उपकरण मौके पर मौजूद थे. याचिकाकर्ता ने इसे एक आपराधिक मामला बताते हुए एसआईटी से इसकी जांच कराने की अपील की है.

याचिका में यह भी कहा गया कि प्रदेश में लगातार ऐसे कई हादसे सामने आ रहे हैं और प्रदेश सरकार गरीब मजदूरों के लिये आज तक कोई मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार नहीं कर पायी है. याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि मानव जीवन की कीमत पर विकास की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए.

 

HC की देखरेख में SIT से जाच की मांग

 

 

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जनहित याचिका में अदालत से सरकार और सक्षम प्राधिकारियों को निर्देश देने की अपील की गई है ताकि मजदूरों का जीवन बचाने के लिये हर संभव उपाय किये जायें और इसमें एक भी जनहानि न हो पाये. इसके साथ ही याचिकाकर्ता ने मांग की है कि भविष्य में सुरक्षा उपाय किये बिना प्रदेश में कोई भी सुरंग निर्माण का कार्य शुरू न किये जाये और ऐसे स्थल पर एयर एम्बुलेंस की स्थायी व्यवस्था की जाये.

टनल में मजदूरों की सुरक्षा का इंतजाम नहीं किए जाने को आपराधिक मामला बताते हुए याचिका में उच्च न्यायालय की देखरेख में एक एसआईटी से जांच कराने जांच रिपोर्ट अदालत में सौंपे जाने का अनुरोध किया है.

अदालत ने मामले को माना गंभीर

 

हाईकोर्ट ने मामले को गंभीरता से लिया है. अदालत ने कहा कि राज्य सरकार समय पर मामले की गंभीरता को भांपने में असफल रही है और समय पर गंभीर कदम नहीं उठाये गये. हालांकि राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि सरकार इस मामले में गंभीर है और फंसे लोगों को निकालने के लिये हरसंभव उपाय कर रही है. मजदूरों को भोजन, पानी और दवाई उपलब्ध कराने के साथ ही उनके जीवन को बचाने के लिये सभी कदम उठाया जा रहा है. मजदूरों से लगातार बात भी की जा रही है.

 

अदालत ने 48 घंटे में मांगा जवाब

 

उत्तराखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर 48 घंटे में जवाब देने को कहा है. इस मामले में केन्द्र सरकार के सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय, राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण आफ इंडिया, राष्ट्रीय राजमार्ग इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट लिमिटेड, सचिव राज्य आपदा प्रबंधन, आपदा प्रबधन प्राधिकरण, सचिव लोक निर्माण विभाग, आयुक्त गढ़वाल और जिलाधिकारी उत्तरकाशी को पक्षकार बनाया गया है.

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