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गंगा में खनन के मामले में हाईकोर्ट ने एनएमसीजी से मांगा जवाब

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नैनीताल : उत्तराखंड की तीर्थनगरी हरिद्वार में गंगा नदी के एक हिस्से में हो रहे खनन के मामले में मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी की अगुवाई वाली पीठ ने मंगलवार को सुनवाई करते हुए राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) से तीन सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है। इस मामले की अगली सुनवाई 14 सितंबर को होगी।
इस मामले को कनखल हरिद्वार की संस्था मातृसदन की ओर से जनहित याचिका के माध्यम से चुनौती दी गयी है। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि रायवाला से भोपुर तक गंगा नदी में नियमों को ताक पर रखकर खनन कार्य करवाया जा रहा है। इससे गंगा के अस्तित्व को खतरा उत्पन्न हो गया है। वन विकास निगम की ओर से खनन को अंजाम दिया जा रहा है।
याचिकाकर्ता की ओर से यह भी उल्लेख किया गया कि एनएमसीजी की ओर से गंगा में खनन को प्रतिबंधित किया गया है। वन विकास निगम की ओर से आधुनिक मशीनों से खनन करवाया जा रहा है। हालांकि सरकार की ओर से इसका प्रतिवाद करते हुए कहा गया कि गंगा नदी में खनन प्रतिबंधित नहीं है। इसके बाद अदालत एनएमसीजी को पक्षकार बनाने के निर्देश दिये थे।
आज एनएमसीजी की ओर से अदालत से जवाब पेश करने के लिये अतिरिक्त समय की मांग की गयी जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया। अब एनएमसीजी को बताना है कि गंगा में खनन कार्य हो सकता है या नहीं? इस मामले में अगली सुनवाई 14 सितम्बर को होगी।

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