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गोरखपुर: नगर निगम के ठेकेदार सोमवार को कमिश्नर अनिल डिगर से मुलाकात करेंगे

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गोरखपुर नगर निगम में हुए एक अद्वितीय मुद्दे के बारे में चर्चा करते समय, नगर निगम के ठेकेदारों और पार्षदों के बीच विवाद की चर्चा करेंगे। इस विवाद का मुख्य कारण है कमीशन खोरी, जिसके बारे में ठेकेदारों ने आरोप लगाया है कि पार्षदों और अभियंताओं ने कमीशन लेने की कोशिश की है। यह विवाद इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह नगर निगम के विकास कार्यों की गुणवत्ता और निष्पक्षता पर प्रभाव डाल सकता है।

ठेकेदारों की दावा

ठेकेदारों का कहना है कि वे निर्माण विभाग में काम करने के लिए अग्रिम कमीशन देने के लिए मजबूर हैं। अगर किसी ठेकेदार को कमीशन देने से मन करता है, तो निर्माण विभाग के अभियंता उनकी पत्रावली में अड़वांस कमीशन रोक देते हैं। इस समस्या के समाधान के लिए पहले भी ठेकेदार कमिशनर से मिल चुके हैं, लेकिन इसके बाद उन्होंने नगर निगम की जांच टीम को गठित की थी।

निगम की टीम पर उनका आक्रोश

ठेकेदारों का कहना है कि इस जांच के लिए गठित नगर निगम की टीम पर उन्हें भरोसा नहीं है। उनकी वजह यह है कि जांच अधिकारी खुद जोनल अधिकारी है और विकास से जुड़ी फाइलों पर उनके भी दस्तखत होते हैं। इस स्थिति में जांच प्रभावित होने से इनकार नहीं किया जा सकता है। उनकी मांग है कि इस प्रकरण की निष्पक्ष जांच कराई जाए, जिससे सच्चाई बनी रहे।

कमीशन खोरी का आरोप

कमीशन खोरी को लेकर ठेकेदारों में आक्रोश है। ठेकेदारों ने कमीशन लेने का प्रमाण भी इकट्ठा करने का दावा किया है। कॉन्ट्रैक्टर वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष वेद प्रकाश मिश्रा ने बताया कि नगर निगम में भ्रष्टाचार बढ़ता जा रहा है और इसके पीछे पार्षदों और अभियंताओं का हाथ है। इन लोगों को कमीशन देने के कारण कार्य की गुणवत्ता भी ठीक नहीं है।

नगर निगम के अधिकारी

नगर निगम के महापौर डॉक्टर मंगलेश श्रीवास्तव और नगर आयुक्त गौरव सिंह सोगरवाल अपने दायित्व का निर्वहन कर रहे हैं, लेकिन पार्षदों और अभियंताओं के कारण उन्हें कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इस समस्या पर ध्यान देते हुए, नगर आयुक्त गौरव सिंह सोगरवाल ने नगर निगम में जांच के लिए कमेटी गठित की है, लेकिन इसके बाद से ही अधिकारियों पर दबाव बढ़ने लगा है।

मांग

ठेकेदारों की मांग है कि किसी और विभाग की टीम को इस प्रकरण की जांच करने की जरूरत है, ताकि निष्पक्षता बनी रहे। यह एक महत्वपूर्ण समस्या है और उसका समाधान उचित तरीके से होना चाहिए। इससे नगर निगम के विकास कार्यों की गुणवत्ता सुनिश्चित हो सकेगी।

समापन

इस विवाद के समाधान के लिए नगर निगम के अधिकारी और ठेकेदारों के बीच एक मुलाकात का आयोजन होने वाला है। इसके बाद ही समस्या का समाधान संभव हो सकेगा।

5 अनूठे सवाल

  1. क्या इस विवाद के समाधान के लिए नगर निगम और ठेकेदारों के बीच की मुलाकात सही कदम है?
  2. क्या नगर निगम के अधिकारियों की जांच टीम की निष्पक्षता पर शक किया जा सकता है?
  3. क्या कमीशन खोरी के आरोपों में सच्चाई है?
  4. क्या ठेकेदारों को पार्षदों को कमीशन देने का कोई सबूत है?
  5. क्या नगर निगम के विकास कार्यों पर इस विवाद का कोई प्रभाव पड़ सकता है?

इस खबर का पूरा समर्थन करते हुए, हम आशा करते हैं कि इस विवाद का जल्दी से समाधान मिलेगा और नगर निगम के विकास कार्य बिना किसी रुकावट के जारी रहेंगे।

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