Flood Update: अब लाल निशान के नीचे बह रहीं बिहार की प्रमुख नदियां, गंगा समेत इन नदियों का बढ़ा जलस्तर…
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बिहार की सभी प्रमुख नदियाँ रविवार को खतरे के निशान से नीचे बह रही थीं। दोपहर में वाल्मिकीनगर बराज से गंडक नदी में 83 हजार 900 क्यूसेक पानी छोड़ा गया. हालांकि, जलस्तर में बढ़ोतरी के संकेत हैं. वहीं वीरपुर बराज से कोसी नदी में 88 हजार 650 क्यूसेक पानी छोड़ा गया. जलस्तर में कमी के संकेत मिल रहे हैं. केंद्रीय जल आयोग के मुताबिक रविवार को गंगा, पुनपुन और घाघरा नदियों के जलस्तर में वृद्धि के संकेत हैं. वहीं गंडक नदी डुमरिया घाट पर खतरे के निशान से 65 सेमी नीचे बह रही है. सोमवार सुबह तक आठ सेमी बढ़ोतरी की संभावना है।
मंत्री संजय झा ने बाढ़ सुरक्षा कार्यों की समीक्षा की, दिये निर्देश
सूचना एवं जनसंपर्क सह जल संसाधन मंत्री संजय कुमार झा ने रविवार को बाढ़ सुरक्षा कार्यों की समीक्षा की, साथ ही अधिकारियों व इंजीनियरों को कई महत्वपूर्ण निर्देश दिये. उन्होंने बाढ़ प्रबंधन सुधार सहायता केंद्र (एफएमआईएससी) द्वारा बाढ़ सुरक्षा कार्यों एवं नई तकनीक पर आधारित नवीन प्रयोगों की समीक्षा की। राष्ट्रीय जल विज्ञान परियोजना के तहत निर्माणाधीन जल ज्ञान केंद्र स्थल का भी निरीक्षण किया। इस दौरान अपर मुख्य सचिव चैतन्य प्रसाद, प्रमुख अभियंता (बाढ़ नियंत्रण एवं जल निकासी) शैलेन्द्र, वित्तीय सलाहकार रवीन्द्र कुमार शंकर, संयुक्त निदेशक (एफएमआईएससी) आलोक कुमार, निदेशक (एमएमसी) आरती सिन्हा एवं विभाग के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे.
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पूर्णिया के अमौर में बाढ़ और मुश्किलें
पूर्णिया के अमौर में बाढ़ का पानी गांवों में घुस गया है. विधानसभा क्षेत्र की छह पंचायतों की 50 हजार की आबादी आज भी प्रखंड मुख्यालय से जिला मुख्यालय तक आने-जाने के लिए नाव का सहारा लेने को मजबूर है. विधानसभा क्षेत्र के सिरसी पंचायत, खपड़ा, हफनिया, खादिमहिंगगांव आदि पंचायतों के करीब पचास हजार लोगों को जिला मुख्यालय से प्रखंड मुख्यालय जाने के लिए खड़ी हाट होते हुए फकीर टोली चौक जाना पड़ता है. फकीरटोली से खड़ीहाट जाने वाली सड़क पर कनकई नदी पर पुल नहीं बनने से क्षेत्रवासियों को आवाजाही में काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. खासकर बाढ़ के दौरान स्थिति भयावह हो जाती है. लोगों तक राशन, पानी और जरूरी सामान पहुंचाने का एकमात्र साधन नावें ही हैं। नाव संचालन में छोटी-मोटी दुर्घटनाएं होती रहती हैं। लोगों की आवाजाही की समस्या को देखते हुए वर्ष 2011 में कनकई नदी के खाड़ी घाट पर पुल का निर्माण कार्य शुरू हुआ. लेकिन 12 साल बाद भी निर्माण कार्य पूरा नहीं हो सका।
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बारिश से भी राहत नहीं मिली
इस बार मौसम ने भी लोगों का साथ नहीं दिया. खासकर किसानों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. अधिकांश गांवों में मानसून चक्र टूटने के बाद छिटपुट बारिश ही जारी है। इससे एक ओर जहां किसानों को अपनी खेती और घर-गृहस्थी पटरी पर लौटने की कोई उम्मीद नहीं बची है. किसान अपनी लागत के पैसे की बर्बादी की समस्या से घिर गये हैं. अब किसान भगवान से अधिक से अधिक आमदनी की गुहार लगाने लगे हैं। अधिकांश खेतों की नमी बरकरार रही। लाख कोशिशों के बाद भी कोई फायदा नहीं होता. नतीजा, किसानों को पंपसेट व मोटर के सहारे किसी तरह नमी बचाकर रखनी पड़ रही है।
किसानों की चिंता
किसान इस बात से चिंतित हैं कि किसी तरह धान के बिचड़े की रोपाई कर ली है. अगर आगे बारिश नहीं हुई तो आपको अपनी आय से ज्यादा खर्च करना पड़ेगा. उधर, तेज धूप के कारण रोपनी के बाद भी पानी की जरूरत बढ़ने लगी। एक साथ इन आपदाओं के कहर ने सभी को परेशानी में डाल दिया है. किसान आसमान की ओर टकटकी लगाए हुए हैं. उनका कहना है कि छिटपुट बारिश से गर्मी कम होने की बजाय और तेज हो जाती है. कृत्रिम उपायों से अल्पकालिक लाभ मिल पाता है। फिर स्थिति जस की तस हो जाती है. उमस बढ़ गई है. बाहर निकलने पर तेज धूप के कारण लोग बीमार भी हो रहे हैं। दिन में चाहकर भी खेतों में जाना मुश्किल हो गया है।
प्रदेश की नदियाँ और तालाब लबालब हैं
आपको बता दें कि पिछले दिनों बिहार और नेपाल में लगातार हो रही बारिश के कारण राज्य की नदियों में उफान आ गया है. नदियाँ, तालाब और पोखर आदि लबालब भरे हुए हैं। नतीजन अब डूबने की घटनाएं बढ़ गई हैं। राज्य में कई जगहों से ऐसी खबरें सामने आ रही हैं. पिछले दिनों तीन दर्जन से अधिक लोगों की डूबने से मौत हो गयी. इनमें अधिकतर वे बच्चे शामिल हैं जो नहाते समय गहरे पानी में डूब गये.
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