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झारखंड में आयुष्मान भारत योजना के तहत आंखों के ऑपरेशन में फर्जीवाड़ा की आशंका
मुख्य बिंदु:
- झारखंड में आयुष्मान भारत योजना के तहत आंखों के ऑपरेशन में फर्जीवाड़े की आशंका है.
- राज्य में कई अस्पतालों में ड्यूटी डॉक्टर नहीं हैं, फिर भी आयुष्मान के तहत इलाज और ऑपरेशन हो रहे हैं.
- राज्य में अभी आयुष्मान योजना के तहत होनेवाले इलाज का 40% हिस्सा सिर्फ आंख के ऑपरेशन का है.
- फर्जी पैथोलॉजी रिपोर्ट और डॉक्टरों के नाम का गलत इस्तेमाल कर किया जा रहा इलाज का दावा है.
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विस्तृत जानकारी:
झारखंड में आयुष्मान भारत योजना के तहत आंखों के ऑपरेशन में फर्जीवाड़े की आशंका है. राज्य में कई ऐसे अस्पताल हैं, जहां ड्यूटी डॉक्टर नहीं हैं, फिर भी आयुष्मान के तहत इलाज और ऑपरेशन हो रहे हैं. इन सबके बावजूद आंखों के ऑपरेशन में झारखंड देश में दूसरे नंबर पर है.
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आंकड़ों के अनुसार, राज्य में आयुष्मान भारत योजना के तहत फरवरी 2022 से जनवरी 23 तक कुल 1.81 लाख लोगों के इलाज के भुगतान का दावा पेश किया गया था. इसमें से 74.66 हजार मामले सिर्फ आंखों के ऑपरेशन से जुड़े थे. यानी 12 महीनों में आयुष्मान के तहत किये गये इलाज का 41 प्रतिशत आंखों के ऑपरेशन से संबंधित था. फरवरी 2023 से अगस्त तक (सिर्फ सात महीने में) आयुष्मान के तहत हुए इलाज में आंखों के इलाज का हिस्सा 33 प्रतिशत तक पहुंच गया है.
इसकी वजह यह है कि राज्य में कई अस्पतालों में फर्जी पैथोलॉजी रिपोर्ट और डॉक्टरों के नाम का गलत इस्तेमाल कर इलाज का दावा किया जा रहा है. इससे राज्य सरकार को करोड़ों रुपए का नुकसान हो रहा है.
इस मामले में राज्य सरकार ने जांच के आदेश दिए हैं. जांच में अगर फर्जीवाड़ा पाया जाता है, तो संबंधित अस्पतालों और डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
विपक्षी दलों ने उठाए सवाल:
विपक्षी दलों ने इस मामले में सरकार पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा कि सरकार को इस मामले में सख्त कार्रवाई करनी चाहिए.
झारखंड कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने कहा कि यह मामला बेहद गंभीर है. सरकार को इस मामले में तुरंत जांच करनी चाहिए और दोषियों को कड़ी सजा दिलानी चाहिए.
झारखंड जनता दल के प्रदेश अध्यक्ष उपेंद्र प्रसाद यादव ने कहा कि यह सरकार की लापरवाही है कि राज्य में फर्जीवाड़ा हो रहा है. सरकार को इस मामले में जवाबदेह होना चाहिए.
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