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आर्मीनिया और अजरबैजान के बीच सीमा पर तनाव बढ़ता जा रहा है। अजरबैजान की सेना हजारों की तादाद में सीमा के पास जमा हो रही है। इन सैनिकों ने अपने टैंक और अन्य हथियारों पर एक खास तरीके का निशान बनाया है, जिससे आशंका बढ़ गई है कि वे हमला करने की तैयारी कर रहे हैं।
इस बीच, आर्मीनिया का अपने सबसे पुराने दोस्त रूस पर से भरोसा उठता दिख रहा है। आर्मीनिया अब अमेरिका और पश्चिमी देशों के पाले में जाता दिख रहा है।
आर्मीनिया ने अब रूस से अंतरराष्ट्रीय आपराधिक अदालत के अधिकार क्षेत्र को लेकर चर्चा शुरू कर दी है। आर्मीनिया के इस कदम का रूस ने बहुत कड़ा विरोध किया है और पुतिन सरकार ने धमकी दी है।
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दरअसल, यह वही कोर्ट है जिसने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी कर रखा है।
आर्मीनिया रूस का सबसे पुराना दोस्त है, लेकिन यूक्रेन पर पुतिन के हमले के बाद दोनों देशों के बीच संबंध अब काफी खराब होते जा रहे हैं।
आर्मीनिया ने कहा है कि वह आपराधिक अदालत के अधिकार क्षेत्र में शामिल होने की दिशा में आगे बढ़ेगा। इस बीच, रूस ने आर्मीनिया को धमकी दी है कि अगर उसने ऐसा किया तो इसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे।
दरअसल, अजरबैजान ने जब नागोर्नो-काराबाख पर हमला किया था तो रूस ने आर्मीनिया को सुलह समझौते के तहत सुरक्षा का आश्वासन दिया था।
रूस यूक्रेन युद्ध में फंसने के बाद अपने वादे को पूरा करने में फेल साबित हो रहा है। वहीं, अजरबैजान लगातार भीषण हमले कर रहा है।
यही वजह है कि अभी कुछ दिन पहले ही आर्मीनिया के प्रधानमंत्री ने साफ कह दिया था कि उनका देश रूस के ऊपर सुरक्षा के गारंटर के रूप में भरोसा नहीं कर सकता है।
यह पूरा इलाका दशकों से रूस के प्रभाव वाला रहा है, लेकिन अब पुतिन की पकड़ कमजोर होती जा रही है।
वहीं, रूस के कमजोर होते ही अमेरिका ने आर्मीनिया में अपनी भूमिका बढ़ा दी है। अमेरिका के सैनिक अब आर्मीनिया में ‘शांतिरक्षक ट्रेनिंग’ के नाम पर पहुंचे हैं, जिससे रूस की सरकार भड़की हुई है।
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यह अभ्यास 10 दिनों तक चलेगा, जिसमें अमेरिका के 85 सैनिक और आर्मीनिया के 175 सैनिक हिस्सा ले रहे हैं।
यह अभ्यास भले ही बहुत छोटे स्तर का हो, लेकिन इसे रूस के विदेश मंत्रालय ने अपने दोस्त आर्मीनिया का ‘गैर दोस्ताना’ कदम करार दिया है।
यही नहीं, आर्मीनिया ने हाल ही में पहली बार यूक्रेन को मानवीय मदद भेजी है।
अगर आर्मीनिया की संसद अंतरराष्ट्रीय आपराधिक अदालत के अधिकार क्षेत्र को लेकर अपनी मंजूरी दे दी तो अपने सबसे पुराने दोस्त देशों में से एक में पुतिन अब कदम नहीं रख पाएंगे।
तनाव बढ़ने के संभावित परिणाम
आर्मीनिया और अजरबैजान के बीच तनाव बढ़ने से क्षेत्र में युद्ध की आशंका बढ़ गई है।
अगर दोनों देशों के बीच युद्ध हुआ तो इससे पूरे क्षेत्र में अस्थिरता बढ़ सकती है।
यह युद्ध रूस और अमेरिका के बीच टकराव को भी बढ़ा सकता है।
भारत के लिए चुनौती
भारत के लिए यह एक बड़ी चुनौती है कि वह दोनों देशों के बीच तनाव को कम करने में कैसे मदद कर सकता है।
भारत दोनों देशों के साथ अच्छे संबंध रखता है और वह दोनों देशों के बीच शांति और स्थिरता चाहता है।
भारत को दोनों देशों के साथ बातचीत कर तनाव को कम करने की कोशिश करनी चाहिए।
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