पितृपक्षः बेटा नहीं होने पर कौन कर सकता है पितरों का श्राद्ध, जानिए पत्नी और दामाद का क्या अधिकार है
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गया, 18 सितंबर 2023: बिहार के गया में 28 सितंबर से पितृपक्ष शुरू हो रहा है. पितृपक्ष में पितरों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान और तर्पण किया जाता है. शास्त्रों के अनुसार, श्राद्ध करने का पहला अधिकार पुत्र का होता है. लेकिन, किसी कारणवश अगर किसी व्यक्ति का कोई पुत्र नहीं है, तो फिर कौन गया में श्राद्ध कर सकता है?
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पंडित संजीत कुमार मिश्रा कहते हैं कि शास्त्रों में इसकी व्याख्या की गई है. इसके अनुसार, श्राद्ध करने के लिए निम्नलिखित लोग पात्र हैं:
- घर के मुखिया या प्रथम पुरुष: घर के मुखिया या प्रथम पुरुष को अपने पितरों का श्राद्ध करने का अधिकार है. अगर मुखिया नहीं है, तो घर का कोई अन्य पुरुष अपने पितरों को जल चढ़ा सकता है.
- पिता का श्राद्ध पुत्र को ही करना चाहिए: पिता का श्राद्ध पुत्र को ही करना चाहिए. अगर पुत्र न हो, तो पत्नी श्राद्ध कर सकती है.
- पत्नी, सगा भाई, पुत्री का पति और पुत्री का पुत्र भी श्राद्ध कर सकते हैं: अगर पत्नी नहीं है, तो सगा भाई और भी नहीं हैं तो पुत्री का पति और पुत्री का पुत्र भी श्राद्ध कर सकते हैं. परिवार में अगर कोई नहीं है तो संपिंडों को श्राद्ध करना चाहिए.
- एक से अधिक पुत्र है, तो सबसे बड़ा पुत्र श्राद्ध करता है: किसी को एक से अधिक पुत्र है, तो सबसे बड़ा पुत्र श्राद्ध करता है.
- पुत्र के न होने पर पौत्र या प्रपौत्र भी श्राद्ध कर सकते हैं: पुत्र के न होने पर पौत्र या प्रपौत्र भी श्राद्ध कर सकते हैं.
- विधवा स्त्री भी श्राद्ध कर सकती है: अगर किसी व्यक्ति के पुत्र, पौत्र या प्रपौत्र न हो तो उसकी विधवा स्त्री भी श्राद्ध कर सकती है.
- वंश समाप्त हो गया हो तो उसकी पुत्री का पति एवं पुत्री का पुत्र भी श्राद्ध के अधिकारी हैं: अगर किसी व्यक्ति का वंश समाप्त हो गया हो तो उसकी पुत्री का पति एवं पुत्री का पुत्र भी श्राद्ध के अधिकारी हैं.
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इस प्रकार, पितृपक्ष में श्राद्ध करने के लिए कई लोग पात्र हैं. शास्त्रों में इसकी व्याख्या की गई है.
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