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दुमका /मसलिया: मसलिया प्रखंड के किसान अच्छी बारिश के लिए दो महीने से खुली आसमान को निहार रहे हैं, लेकिन पानी की एक बूंद जमीन पर पड़ नहीं रहा है। श्रावण माह में यहां किसानों की खेती लगभग पूरी हो जाती थी वहां धान का एक गोछ नहीं पड़ा है। खेतों पर बिचड़ा मरने के कगार पर है। जिस कारण किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें और भी गहरी होती जा रही है।मसलिया के सुसनिया डंगाल करेले का हब कहा जाने वाला जगह सुनसान है। यहां करेले की खेती सवा सौ एकड़ जमीन पर होता है जो पानी नहीं गिरने से किसान के सामने आर्थिक संकट आ गया है।यह धान की खेती की बात नहीं बल्कि यही स्थिति मकई बाजरा व अन्य सब्जियों का है। करेले की खेती छह महीने का रोजगार व अपने परिवार का भरण पोषण का जरिया होता है जो बर्बाद हो रहा है। महंगे दामों के लगाए बीज का अंकुरण नहीं हो पा रहा है जिससे किसान वर्ग हतोत्साहित है। अगर और दस दिन पानी नहीं गिरता है तो खेती की उम्मीद नहीं बचेगी। इसके लिए प्रत्येक दिन भगवान से प्रार्थना कर रहे हैं।
युवा किसान अब पलायन को मन बनाकर दिल्ली गुजरात व अन्य राज्यो के लिए रवाना हो रहा है। मानसून के भरोशे खेती नहीं होते देख भुखमरी की स्थिति उत्पन्न न हो जाये इसके लिए हर दिन सैकड़ो युवक पलायन कर रहे हैं। पुनर्वसु नक्षत्र की समाप्ति के बाद आज पुख का आगमन हो गया है लेकिन आसमान में बैशाख महीने की तरह सफेद बादल दिख रहा है। रात में तारे टिमटिमाते किसान की आंखे आसमान में घने बादल को देखने के लिए तरस रहे हैं। अब जो भी हो मसलिया के किसान भुखमरी व मसलिया क्षेत्र सुखाड़ की स्थिति से गुजरने वाला है।
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