Live 7 Bharat
जनता की आवाज

पहले करते थे मजदूरो की हकमारी अब डकार रहे है अपने शंकर बच्चों को मिलने वाले चावल और कंकड़

- Sponsored -

रामप्रसाद सिन्हा

- Sponsored -

पाकुड़: झारखंड राज्य के अंतिम छोर में बसे पाकुड़ जिले में अजब गजब कहानी लिखी और गढ़ी जा रही है। जिले में अपने एक ऐसे शंकर की कथा कहानी की खुब चर्चा है। चर्चा तो यह भी है कि पहले मजदूरों की हकमारी करने वाले ये शंकर अब स्कुली बच्चों को मिलने वाले चावल और कंकड़ डकारने का काम कर रहा। इसलिए अपने इस शंकर को लेकर लोग चौक चौराहे पर कह रहे कि अपना यह शंकर अब डकार रहा बच्चों को मिलने वाला चावल और कंकड़। अपना यह शंकर बहुुत सारे कामो के लिए अपने क्षेत्र के साथ साथ जिले में मसहुर और चर्चित भी है। लोगो के जीवन की गारंटी का मामला हो या मजदूरों की हकमारी का पहले से महारत हासिल अपने इस शंकर की मध्यान भोजन योजना के चावल पर नजर गड़ गयी है। नजर गड़ते ही इन्होने अपना जाल बिछाया और सुदुरवर्ती गांवो के स्कुलो तक पहुंचने वाला अनाज को डकारने के लिए योजना बनायी। शंकर ने शिक्षा दान करने वाले समुह को पहले चमकाया धमकाया और फिर अपने रसुख का धौंस जमाकर चंगुल में लिया और फिर प्रतिमाह दो दो बोरा बच्चों को मिलने वाला चावल रास्ते में ही फोर टु का वन करना शुरू कर दिया। अपने इस शंकर को काल कोठरी के आनंद का भी अनुभव प्राप्त है इसलिए इसे कायदा कानुन से कोई डर भय नही लगता। अपने इस चावल कंकड़ डकारने वाले शंकर को इनके क्षेत्र के लोग मल्टीपर्पस महापुरूष की भी संज्ञा दे रखी है, क्यांेकि इन्होने बहुत सारे कामकाज सरकारी अमले और जुमले के बीच पैठ बनाकर जो संभाल रखा है। इन्होने बोरिंग लोरिंग में भी डिप्लोमा हासिल किया है। फिलवक्त अपना यह शंकर जंगल पहाड़ों में रहने वाले बच्चों का चावल और कंकड़ डकार रहा और सुर्खिया बटोर रहा। शिक्षादान करने वाला समुह शंकर के तांडव नृत्य से परेशान परेशान है। कार्रवाई की जद में आने के डर की वजह से शिक्षादान करने वाला समुह कही लिखित शिकायत इसलिए नही कर रहा कि कहीं उल्टे उन्हे ही परेशान न होना पड़ जाय। बहरहाल शिक्षादान करने वाला समुह चौक चौराहे पर अपनी समस्या को बयां कर मन के बोझ को हल्का जरूर कर रहा।
Looks like you have blocked notifications!

- Sponsored -

- Sponsored -

Comments are closed.

Breaking News: