क्या सपा की जगह बसपा से गठबंधन चाहती है कांग्रेस ?
क्या अखिलेश यादव दबाव की राजनीति कर रहे हैं या फिर कांग्रेस भी सपा की जगह यूपी में बसपा के साथ गठबंधन चाहती है ? ऐसे बहुत से सवाल उठ रहे है।
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अखिलेश अखिल
क्या इंडिया गठबंधन लोकसभा चुनाव से पहले ही टूट जायेगा ? मध्यप्रदेश चुनाव को लेकर जिस तरह से कांग्रेस और सपा के बीच रार मची है और जिस तरह के बयान दोनों पार्टियों की तरफ से आये हैं उससे लगता है कि जैसे -जैसे चुनाव नजदीक आएंगे दलों के बीच नाराजगी बढ़ेगी और फिर अंत में वही होगा जो बीजेपी चाह रही है। बीजेपी यही चाहती है कि इंडिया गठबंधन में एकता न रहे। ऐसा होने से बीजेपी को लाभ होता रहा है। वोट बंटते रहे हैं और बीजेपी की जीत आसान होती रही है।
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में सबसे ज्यादा प्रतिष्ठा कांग्रेस की फंसी हुई है। कांग्रेस किसी भी सूरत में यह चुनाव जीतना चाहती है। पिछली बार भी कांग्रेस ने जीत तो हासिल कर ली थी लेकिन ऑपरेशन कमल के जरिए कमलनाथ की सरकार चली गई। कांग्रेस नेता सिंधिया ने बड़ा खेल किया। वह बीजेपी के साथ जा मिले और फिर अपने दो दर्जन से ज्याद विधायकों को तोड़कर भी बीजेपी के साथ ले गए। लेकिन इस बार कांग्रेस कोई कुछ भी खोना नहीं चाहती। उसकी नजर सत्ता की कुर्सी पर है। कांग्रेस को लग रहा है कि अगर इस बार सत्ता से चूक गए तो न सर पार्टी की तमाम तैयारी बेकार मानी जाएगी बल्कि लोकसभा चुनाव में भी पार्टी की दुर्गति होगी। इसके साथ ही एमपी की हार के बाद इंडिया गठबंधन में भी कांग्रेस की सीटों को लेकर बार्गेनिंग ताकत कमजोर पड़ जाएगी।
एमपी के चुनाव में अभी कांग्रेस काफी आगे चल रही है। वह बीजेपी का मुकाबला भी कर रही है। तमाम सर्वे भी बता रहे हैं कि कांग्रेस की हालत बहुत अच्छी है और वह बीजेपी को पछाड़ सकती है। बीजेपी को भी लग रहा है कि पहली बार वह कांग्रेस की तैयारी में फंस गई है और उसके कई नेता ही अब पार्टी के खिलाफ काम कर रहे हैं। संघ से जुड़े लोग भी अब कह रहे हैं कि अगर हम स्थिति पर नियंत्रण नहीं कर पाए तो परिणाम बीजेपी के विपरीत हो सकते हैं। बीजेपी की हार भी हो सकती है। बता दें कि संघ एमपी में काफी मजबूत है और उसकी पकड़ हर घर तक है।
बीजेपी का एमपी में क्या होगा यह तो बाद की बात है। मुसीबत तो कांग्रेस और इंडिया गठबंधन के बीच ही खड़ी हो गई है। दरअसल एमपी में समाजवादी पार्टी भी चुनाव लड़ रही है। सपा मुखिया अखिलेश यादव के बयान को ही सही माने तो कांग्रेस सपा को 6 सीटें देने वाली थी। लेकिन कांग्रेस ने ऐसा कुछ भी नहीं किया और सभी सीटों पर अपने उम्मीदवारों के नाम तय कर दिए। सपा जब कुछ भी नहीं मिला तो अखिलेश यादव उखड गए और उन्होंने कहा दिया कि सपा के साथ कांग्रेस का व्यवहार ठीक नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि लगता है कि इंडिया गठबंधन सिर्फ लोकसभा चुनाव के लिए है। विधान सभा चुनाव में सब अलग -लग ही लड़ेंगे। अखिलेश नमे ाबत को आगे बढ़ाते हुए यह भी कह दिया कि अगर कांग्रेस का यही रवैया रहा तो लोकसभा के लिए सीट बंटवारे में सपा भी कांग्रेस के साथ वही कुछ करेगी जो अभी वह मेरे साथ कर रही है।
अखिलेश के इस बयान के बाद राजनीतिक हलकों में कई तरह की बातें सामने आने लगी। कई तरह के कयास भी लगाए जाने लगे। जानकार यह भी कहने लगे कि संभव है कि आने वाले समय में इंडिया गठबंधन में टूट भी हो सकती है। सीटों का मसला बड़ा ही पेचीदा है। इंडिया गठबंधन के जो क्षत्रप है वे अपने ा-पने इलाके में काफी मजबूत है और उनका जातीय और वोट का बड़ा आधार भी है। सपा यूपी में काफी ताकतवर है और वही बीजेपी को दे रही है।
ये सब बाते चल ही रही है इसके बीच ही मध्यप्रदेश के कांग्रेस अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ का बयान भी सामने आया है। उन्होंने जिन शब्दों का इस्तेमाल किया है वह सपा के लिए और भी परेशान करने वाला है। सीटों की मांग पर कमलनाथ ने कहा कि अखिलेश -वखिलेश की बात छोड़िये। हमें अभी यह चुनाव देखना है। लोकसभा चुनाव में जो होगा यह देखा जायेगा।
कमलनाथ के इस बयान के साथ ही यूपी कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय का बयान भी सपा के लिए घातक है। अजय राय ने कहा है कि लोकसभा चुनाव में जो होगा देखा जाएगा लेकिन अभी एमपी में जो सपा कर रही है वह बीजेपी को लाभ पहुंचाने की ही कोशिश है। सपा एमपी में बीजेपी को फायदा पहुंचाने के लिए अपने उम्मीदवार को मैदान में उतार रही है।
बयानों के इस खेल में राहुल गाँधी से लेकर कांग्रेस के किसी भी बड़े नेता ने कोई बात नहीं कही है। कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व इस मसले पर चुप है लेकिन एक बात तय है कि आने वाले समय में इंडिया गठबंधन के भीतर भी तनाव होने तय हैं। जो हाल अब ही यूपी में होते दिख रहे वही हाल बंगाल में भी होंगे। दक्षिण के राज्यों में भी होंगे। महाराष्ट्र में भी कुछ यही खेल हो सकता है। आप पार्टी के साथ दिल्ली और पंजाब में भी यही सब होना तय माना जा रहा है। संभावना है कि लोकसभा चुनाव आते -आते इंडिया गठबंधन में कुछ भी बिखराव हो और कांग्रेस के साथ वही यूपीए का कुनबा बच जाए।
लेकिन जानकार यह भी मान रहे हैं कि जिस तरह जातीय जनगणना के नाम पर कांग्रेस के साथ कुछ जातियों की आस्था बढ़ती जा रही है ऐसे में कांग्रेस को सबसे ज्यादा लाभ बसपा के साथ गठबंधन करने में हो सकता है। सूत्रों से जो जानकारी मिल रही है उसके मुताबिक़ कांग्रेस चाहती है कि उत्तर प्रदेश में अधिकतम सीटों पर कांग्रेस मैदान में उतरे और यह तभी संभव है जब बसपा के साथ उसका गठबंधन बने।
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