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रांची: कोरोना के कारण स्कूलों के बंद रहने की स्थिति में बड़ी संख्या में सरकारी स्कूलों के बच्चे शिक्षा से वंचित हैं। उन्हें आनलाइन शिक्षा का भी लाभ नहीं मिल पा रहा है। इसे देखते हुए राज्य सरकार ने सरकारी स्कूलों के बच्चों को शिक्षा से जोड़ने, उनके बीच शैक्षणिक सामग्री पहुंचाने तथा उनका नामांकन सुनिश्चित कराने की जिम्मेदारी स्वयंसेवकों (वालेंटियर) को देने का निर्णय लिया है। झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद के निदेशक शैलेश कुमार चौरसिया ने इसे लेकर सभी उपायुक्तों को आदेश जारी किया है।
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इसके तहत स्वयंसेवक पोषक क्षेत्र के छह से 18 वर्ष आयु वर्ग के ड्राप आउट बच्चों तथा विशेष आवश्यकता वाले बच्चों का स्कूलों में नामांकन कराएंगे। विद्यालय के पोषक क्षेत्रों में वापस आए प्रवासी श्रमिकों को जागरूक करेंगे, ताकि उनके बच्चे निकटतम स्कूलों में नामांकन करा सकें। स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग द्वारा डिजिटल माध्यम से उपलब्ध कराई जा रही शिक्षण सामग्री को भी स्वयंसेवक यथासंभव बच्चों तक पहुंचाएंगे।डिजिटल माध्यम की उपलब्धता नहीं होने की स्थिति में प्राप्त शिक्षण सामग्री को बच्चों तक पहुंचाना तथा उसकी समझ विकसित करना भी उनका काम होगा। बच्चों के बीच हैंडराइटिंग, कविता, निबंध, क्विज, चित्रांकन आदि गतिविधियों का सरकार द्वारा समय-समय पर कोविड-19 के निर्देश का अनुपालन करते हुए आयोजित कराएंगे।
ये स्वयंसेवक के रूप में कर सकेंगे काम
स्वेच्छा से पठन-पाठन कराने के इच्छुक युवक-युवती,संबंधित विद्यालय के पूर्ववर्ती छात्र,नेहरू युवा सेवा संस्थान के सदस्य,निकटतम शिक्षण संस्थानों के छात्र, बीए आदि,निकटतम तकनीकी संस्थानों के छात्र,कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय की पूर्ववर्ती छात्राएं,अवकाश प्राप्त सरकारी सेवक, शिक्षक, प्रोफेसर आदि,सामाजिक कार्यकर्ता,-संबंधित क्षेत्र में कार्य करने वाले गैर सरकारी संस्थानों के सदस्य।
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