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रांची: चेहल्लुम एक मुस्लिम पर्व है जिसे मुहर्रम के चालीसवें दिन मनाया जाता है। चेहल्लुम अजादारी असत्य पर सत्य की जीत के रूप में मनाई जाती है। वास्तव में चेहल्लुम हजरत हुसैन की शहादत का चालीसवां होता है। इस दिन न केवल भारत, बल्कि संपूर्ण विश्व में चेहल्लुम का आयोजन किया जाता है। वास्तव में इसका रिश्ता तो मरग-ए-यजीद (इस्लाम जिंदा होता है हर कर्बला के बाद) से है। हजरत इमाम हुसैन और शहीदान ए करबला की याद में हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी राजधानी रांची में 11 सफर से यानी 19 सितंबर मजलिस का आयोजन हो रहा है। ये मजलिसें 28 सितंबर तक चलेंगी।चेहल्लुम इस बार 28 सितंबर को बड़े ही अकीदत व एहतराम के साथ मनाया जाएगा। चेहल्लुम शहीदान ए करबला इस बार कोविड प्रोटोकॉल और सरकारी दिशा निर्देश के अनुसार आयोजित किया गया है। हर वर्ष इस मौके पर शिया समुदाय द्वारा मेन रोड विश्वकर्मा मंदिर लेन स्थित अनवर आर्केड से मातमी जुलूस निकाला जाता था। इस बार कोविड प्रोटोकॉल और सरकारी दिशा-निदेर्शों के अनुसार ये जुलूस नहीं निकाला जायेगा। सैयद फराज अब्बास ने बताया कि 26 सितंबर को हजरत इमाम अली असगर की याद में शबीह की ज्यारत कराई जाएगी।
वहीं 27 सितंबर को हजरत इमाम हुसैन की याद में शबीह ताबूत की ज्यारत कराई जाएगी। 28 चेहल्लुम के दिन दो मजलिस होगी। पहली मजलिस को हजरत मौलाना नसीर आजमी संबोधित करेंगे और दूसरी मजलिस को हजरत मौलाना जहीन हैदर दिलकश गाजीपुरी संबोधित करेंगे। इसमें नोहा खानी शबीह गोपालपुरी, पेश खानी एलिया अजहर गाजीपुरी पढ़ेंगे। यह मजलिस स्वर्गीय अनवर हुसैन के खानवादे के द्वारा आयोजित की गई है । 28 को पहली मजलिस मेन रोड विश्वकर्मा मंदिर लेन स्थित अनवर आर्केड अंजुमन मदरसा के पिछले गली में की जाएगी और दूसरी मजलिस अंसार नगर चर्च रोड स्थित मस्जिद ए जाफरिया मे होगी।
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