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कागजों पर हो रही छह करोड़ रुपए की नाशपाती बागवानी, हकीकत से परे ग्राउंड रिपोर्ट
कयूम खान/विकेश महतो
पेशरार-लोहरदगा: किसानों को आर्थिक लाभ पहुंचाने हेतू सरकार ने मनरेगा के तहत महत्वाकांक्षी ‘बिरसा हरित ग्राम योजना की’ की शुरुआत की है। लोहरदगा जिले के पेशरार प्रखंड अंतर्गत अतिनक्सल प्रभावित सुदूर जंगलवर्ती पठारी इलाके में भी इस योजना की शुरुआत की गई। किसानो को फायदा पहुंचाने के लिए करोड़ों खर्च कर नाशपाती की बागवानी लगाई गई थीं। लेकिन ग्राउंड रिपोर्ट सिफर है। करोड़ों रुपये के गड़बड़झा का मामला स्पष्ट है। उल्लेखनीय है कि जिले के पेशरार प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत तुईमू और हेसाग पंचायत में किसानो की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए मनरेगा की ओर से बिरसा हरित ग्राम योजना के अंतर्गत 200 एकड़ में 200 लाभुको के जमीनों पर नाशपाती की बागवानी लगाई गई थी।जिसमें 6 करोड़ 2 लाख 34 हजार 4 सौ (6,02,34,400) रूपए की लागत लगी थी। जबकि जमीनी हकीकत कुछ भी नहीं। जमीनी हकीकत बताते हैं कि उक्त योजना सिर्फ कागजों पर ही सीमित रह गई है। बागवानी में न तो देख-रेख होती है, और ना ही किसानों को कुछ रोजगार दिया गया है। पूरे बागवानी के इलाके में बड़े-बड़े घास छोड़कर कुछ नहीं रह गए हैं। नाशपाती के बागान में नाशपाति ही नही दिखती। ज्यादातर नाशपाती के पौधे या तो मर चुके हैं अथवा लगाए ही नहीं गए। करोड़ों की यह महत्वाकांक्षी योजना फेल होती नजर आ रही है। देखने से ऐसा प्रतीत होता है कि सरकारी खजाने के करोड़ों रुपए सिर्फ कागजों पर खर्च की गई है, धरातल पर नहीं।
इस मामले पर जब ग्रामीणों और किसानों से बात की गई, तो चंद्रकिशोर असुर, गंदूर खेरवार आदि का कहना था कि विभाग कि तरफ से किसानो को कोई सुविधा नहीं मिलती है और न ही कोई रोजगार भत्ता दिया जाता है। जिसके कारण समय पर पटवन और देख-भाल नहीं होने के कारण से यह योजना सफल नहीं हुए। समय पर किसान को न तो पैसे मिलते हैं और ना ही सुविधाएं। जिसके कारण धीरे-धीरे पौधे नष्ट हो रही हैं। उन्होंने स्पष्ट कहा कि अधिकारियों द्वारा कहा जाता है कि पैसे मिलेंगे, लेकिन अभी तक नहीं मिली है।
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