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एहसान राजा
सिकिदिरी: कहते हैं, अगर कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो कुछ भी नामुमकिन नहीं। कुछ ऐसा ही कर दिखाया है राँची जिला स्थित ओरमाँझी के युवा लेखक देव कुमार ने। देव कुमार ने झारखण्ड के लुप्तप्राय आदिम जनजाति बिरहोर द्वारा प्रयोग किये जाने वाले शब्दों और ध्वनियों को संकलित करते हुए बिरहोर-हिंदी-अंग्रेजी शब्दकोश की रचना कर देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया हैI
ज्ञात हो कि बिरहोर एक आदिम जनजाति है जो झारखण्ड के हजारीबाग, कोडरमा, गिरिडीह, चतरा, रामगढ़, राँची एवं सिमडेगा में निवास करती है l जनगणना 2011 के अनुसार झारखंड राज्य में इनकी जनसंख्या मात्र 10,726 है और ये जनजाति अपने भाषा-संस्कृति को बचाने के लिए संघर्षरत है।
लेखक श्री देव कुमार द्वारा इस शब्दकोश के माध्यम से बिरहोर समुदाय की भाषा और संस्कृति को संरक्षित करने का प्रयास किया गया है। लेखक द्वारा बिरहोर समुदाय के बीच जाकर उनके धरातलीय विशेषताओं को समेटते हुए पुस्तक की रचना की गयी है, जिससे मौलिक शब्दों व पृष्ठभूमियों का समावेशन संभव हो पाया है। संभवतः यह झारखण्ड की पहली ऐसी पुस्तक है जो आपको लुप्तप्राय बिरहोर भाषा एवं संस्कृति से अवगत कराने हेतु प्रयासरत होगी।
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आखिर क्या खास है शब्दकोश में
पुस्तक में बिरहोर जनजातियों द्वारा दैनिक जीवन में बोलचाल में प्रयुक्त होने वाली शब्दावलियों का समावेश किया गया है l शब्दकोश को कुल 22 अध्यायों में विभक्त किया गया है। स्कूली बच्चों की मनोवृत्ति का ख्याल रखते हुए विशिष्ट शब्दों को रंग-बिरंगे सुंदर चित्रों से प्रस्तुत किया गया है जो लेखक की कल्पनाशीलता और समुदाय के प्रति संवेदनशीलता का परिचय कराती है।
देश-विदेशों में हो रही सराहना
देश-विदेश के लेखकों, विकास कार्यों से जुड़े प्रोफेशनलों, साहित्यकारों,भाषा विद्वानों एवं शोधकर्ताओं द्वारा पुस्तक की सराहना की जा रही है । राज्य सरकार द्वारा ऐसी पुस्तकों को शैक्षणिक पाठ्यक्रमों में शामिल करने से यह विलुप्तप्राय बिरहोरों की मातृभाषा के संरक्षण में मील का पत्थर साबित होगी।
“शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा मातृभाषा को बढ़ावा देने हेतु राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 लागू की गई है एवं यूनेस्को द्वारा बिरहोर भाषा को गंभीर खतरे की भाषा में शामिल किया गया है। अतः इस शब्दकोश को प्राथमिक कक्षाओं में अवश्य पढायी जानी चाहिए।
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प्रो0 मोहन के0 गौतम
कुलपति, यूरोपियन यूनिवर्सिटी ऑफ वेस्ट एंड ईस्ट, नीदरलैंड।
बिरहोर-हिंदी-अंग्रेजी शब्दकोश तीन भाषाओं में चित्रों के माध्यम से लिखी गई है।यह सिर्फ बिरहोर बच्चों को मातृभाषा सीखने में प्रेरित ही नहीं बल्कि भाषाविदों को बिरहोर द्वारा प्रयुक्त होने वाली सामान्य शब्दावलियों को सीखने में मददगार होगी।
डॉ0 नेत्रा पी0 पौडयाल
शोध विद्वान, कील विश्वविद्यालय, जर्मनी।
प्रकाशन
बिरहोर-हिंदी-अंग्रेजी शब्दकोश को गुरुकुल पब्लिशिंग, हैदराबाद द्वारा प्रकाशित किया गया है।
सम्प्रति
श्री देव कुमार वर्तमान में झारखण्ड सरकार के ग्रामीण विकास विभाग अंतर्गत झारखंड स्टेट लाईवलीहुड प्रोमोशन सोसाईटी (जेएसएलपीएस) में प्रखंड कार्यक्रम प्रबंधक के पद पर कार्यरत हैं। ये राष्ट्र के प्रतिष्ठित संस्थान निफ्ट,राँची के छात्र रह चुके हैं तथा विगत कई वर्षों से विकास कार्यों से जुड़े हैं ।
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