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टीम से हटाने के बाद द्रविड़ और गांगुली पर बरसे साहा

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कोलकाता: दक्षिण अफ्रीका सीरीज के बाद राहुल भाई ( राहुल द्रविड़, प्रमुख कोच) ने मुझे कमरे में बुलाया और कहा,
ऋद्धि, मुझे पता नहीं कि मुझे यह कैसे कहना है, लेकिन चयनकर्ता और टीम प्रबंधन अब एक नए चेहरे की तलाश में हैं। चूंकि आप हमारे पहले विकेटकीपर नहीं हैं और आप अंतिम एकादश में भी नहीं हैं, इसलिए हम अब किसी युवा विकेटकीपर को टेस्ट दल में रखना चाहते हैं। मैंने कहा, ओके, कोई बात नहीं। इसके बाद उन्होंने कहा, आप अगर श्रीलंका के खिलाफ टीम में नहीं चुने जाते हैं, तो आश्चर्यचकित मत होइएगा। तब तक अगर आप कोई और निर्णय लेना चाहते हैं, तो ले सकते हैं। फिर मैंने उनसे कहा कि मैं संन्यास के बारे में नहीं सोच रहा। मैंने क्रिकेट खेलना इसलिए शुरू किया था क्योंकि मुझे यह खेल खेलना पसंद है और मैं तब तक खेलूंगा जब तक यह मुझे अच्छा लगेगा।
10-12 दिन बाद मुझे चेतन शर्मा (चयन प्रमुख) का फोन आया। उन्होंने मुझसे पूछा कि क्या आप रणजी ट्रॉफी में खेल रहे हैं? मैंने कहा कि मैंने अभी कोई निर्णय नहीं लिया है। फिर उन्होंने वही बात दोहराई जो राहुल भाई ने कही थी। फिर मैंने उनसे पूछा कि क्या यह बस इस सीरीज के लिए है या फिर आॅस्ट्रेलिया और इंग्लैंड सीरीज के लिए भी? तब उन्होंने दो सेकंड रुकते हुए कहा, अब आपको चयन के लिए आगे कभी नहीं कंसीडर नहीं किया जाएगा। फिर मैंने उनसे पूछा क्या यह मेरे प्रदर्शन और फिटनेस की वजह से है या मेरी उम्र की वजह से? उन्होंने कहा फॉर्म और फिटनेस की कोई बात नहीं लेकिन अब हम नए चेहरों को टीम में देखना चाहते हैं और ऐसा बिना आपको ड्रॉप किए संभव नहीं है। इसके बाद उन्होंने कहा कि अगर आप रणजी ट्रॉफी खेलना चाहते हैं तो यह आपका निर्णय है।
साहा ने कहा,”रणजी ट्रॉफी नहीं खेलने का चयन से कोई लेना-देना नहीं है। कुछ समय पहले मेरी पत्नी को डेंगू हो गया था और वह अब भी इससे पूरी तरह से उबर नहीं पाई हैं। हमारे दो बच्चे भी हैं। मुझे अपने परिवार को भी समय देना है। इसलिए मैंने क्रिकेट एसोसिएशन आॅफ बंगाल (कैब) से स्पष्ट कह दिया कि मैं व्यक्तिगत कारणों से इस सीजन में अनुपलब्ध रहूंगा।
क्या आपको लगता है कि आपको संन्यास लेने के लिए मजबूर किया गया? उन्होंने कहा,’जब चयनकर्ताओं और कोच ने मुझे यह बताया कि वे इस बारे में कुछ समय से सोच रहे हैं, तब ही मुझे लग गया था कि यह सिर्फ एक या दो लोगों का निर्णय नहीं है, इसमें अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और अन्य अधिकारी भी शामिल हैं।
मेरे लिए सबसे आश्चर्य की बात यह थी कि जब मैंने न्यूजीलैंड के खिलाफ कानुपर में चोटिल होते हुए भी 61 रन बनाया, तब दादा (बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली) ने मुझे मैसेज कर के बधाई दी और कहा कि जब तक वह बोर्ड में हैं, तब तक उन्हें चिता करने की कोई जरूरत नहीं है।लेकिन उसके एक ही सीरीज के बाद जो मुझसे कहा गया, वह ठीक इसके उलट था।
लेकिन चयन प्रक्रिया में तो बोर्ड अध्यक्ष की कोई भागीदारी नहीं होती है? साहा ने कहा मैं यह सब नहीं जानता। मुझे चयन से कोई शिकायत भी नहीं है। अगर मेरा चयन होता, तो मैं अच्छा करने की कोशिश करता। मैं ड्रॉप हुआ हूं तो मैं नहीं पूछ रहा कि क्यों मुझे बाहर किया गया है। टीम को अब मेरी जरूरत नहीं है, इसलिए उन्होंने ऐसा निर्णय लिया है। मैं इसके ŸिखलाŸफ कुछ भी कहने नहीं जा रहा हूं।
तो क्या आप संतुष्ट हैं? उन्होंने कहा कि प्रदर्शन और फिटनेस कोई मुद्दा नहीं है। हम बस नए चेहरों को मौका देना चाहते हैं। अब मैं रणजी ट्रॉफी खेलूं, दोहरा या तिहरा शतक बनाऊं, लेकिन तब भी मैं चयन के लिए कंसीडर नहीं किया जाऊंगा।
दादा (गांगुली) से कोई बात होने के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा,”नहीं, उस मैसेज के बाद नहीं!

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